मणिपुर में दो समुदायों के बीच बढ़ती हिंसा ने दो महिलाओं को नग्न अवस्था में लाकर रख दिया है । हिंसा की आड में महिलाओं को प्रताड़ित किया जा रहा है। इस घटना के सामने आने के बाद देश में तनाव का माहौल बना हुआ है। मणिपुर के इंफाल क्षेत्र से 35 किलोमीटर की दूरी पर नांगपोक थाना क्षेत्र से मानवता को शर्मसार कर देने वाला यौन हिंसा का मामला सामने आया है। इस घटना का वीडियो 19 जुलाई से वायरल हो रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यह घटना 4 मई का है। पीड़ित दोनों महिलाओं में से एक की उम्र 20 वर्ष और दूसरी महिला की उम्र 40 वर्ष है।
वीडियो में सिर्फ़ दो महिलाएं नज़र आ रही हैं लेकिन बीबीसी की एक रिपोर्ट अनुसार भीड़ ने एक 50 वर्षीय महिला को भी कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया था। एक युवा महिला के साथ सामूहिक रूप से बलात्कार किया गया था। तीन मई को आधुनिक हथियारों से लैस 800 से लेकर 1000 लोगों ने थोबल ज़िले में स्थित उन महिलाओं के गाँव पर हमला किया। लोगों ने गाँव में लूटपाट करने के साथ ही आग लगाना शुरू कर दिया। ऐसी स्थिति में तीनो महिलाएं अपने पिता और भाई के साथ जंगलों की ओर भागे। पुलिस इन महिलाओं को बचाने में कामयाब भी हुई। पुलिस इन लोगों को थाने लेकर जा रही थी लेकिन थाने से दो किलोमीटर पहले ही भीड़ ने उन्हें रोक लिया। प्रदर्शनकारियों ने इन महिलाओं को पुलिस से छीन लिया, जिसके बाद युवा महिला के पिता को मौके पर ही मार दिया गया। एफआईआर के मुताबिक तीनों महिलाओं को भीड़ के सामने निर्वस्त्र होकर चलने के लिए विवश किया गया। युवा महिला के साथ सामूहिक बलात्कार को सरेआम अंजाम दिया गया। एफआईआर के मुताबिक जब इस महिला के 19 वर्षीय भाई ने उसे बचाने की कोशिश की तो उसे भी मार दिया गया।
पुलिस ने क्यों नहीं की कार्रवाई
मणिपुर की इस घटना को लेकर डबल इंजन की सरकार अब घिरी हुई हैं। वीडियो वायरल होने के बाद एक बार फिर मणिपुर में तनाव बढ़ गया है। लोगों द्वारा पुलिस पर आरोप लगाया जा रहा है कि इस घटना को लेकर 18 मई को जीरो एफआईआर दर्ज करवाया गया था। ढाई महीने तक इस मामले में पुलिस द्वारा ऐक्शन क्यों नहीं लिया गया। वीडियो वायरल होने से पुलिस पर दबाव बनाये जाने के बाद मुख्य आरोपी को अब जाकर 20 जुलाई की सुबह राज्य के थाउबल इलाके से गिरफ्तार किया है।
मणिपुर का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा
महिला की हत्या और महिलाओं के साथ इस तरह के अभद्र व्यवहार वाला यह मामला सर्वोच्च न्यायालय जा पहुंचा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा महिलाओं को हिंसा के साधन के रूप में इस्तेमाल करना मानवता के खिलाफ है। सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा है कि केंद्र सरकार ने इस मामले में अब तक क्या -क्या कदम उठाये है 28 जुलाई तक कोर्ट को अवगत कराए। दरअसल इस मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को तय की गई है। मुख्य न्यायधीश डी वाई चन्द्रचूड ने कहा है कि महिलाओं के साथ इस तरह का कृत्य बरदास नहीं किया जाएगा। सम्प्रदयिक झगडे की आड में महिलाओं को प्रताड़ित किया जाना बर्दास्त नहीं है। यदि सरकार इस पर कोई कार्रवाई नहीं करती तो न्यायालय द्वारा इस मामले में कार्रवाई की जाएगी।
महिला संगठन की ओर से इस मुद्दे पर विरोध मार्च निकालने का एलान किया गया है। राज्य सरकार ने घाटी के पांच जिलों में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू की घोषणा कर दी है। मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने महिलाओं के साथ हुई घटना को लेकर अपनी तरफ से पूरी कार्रवाई की बात की है। उन्होंने कहा है कि उनकी संवेदनाएं उन दो महिलाओं के प्रति हैं जिनके साथ बेहद अपमानजनक और अमानवीय कृत्य किया गया है। सीएम का कहना है कि इस मामले में गहनता से जांच चल रही है, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि अपराधियों पर कड़ी कार्यवाही करने का विचार किया जाए। वहीं मणिपुर में महिला यौन हिंसा के बाद विपक्ष मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग कर रहा है।
इस अमानवीय कृत्य को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दुख जताया है। पीएम ने कहा कि घटना करने वाले कौन और कितने हैं ,वो अपनी जगह पर है लेकिन शर्मसार पूरे देश को होना पड रहा है। उन्होंने सभी मुख्यमंत्रियों को अपने राज्य की कानून व्यवस्था मजबूत करने के लिए कहा है। प्रधानमंत्री ने कहा है कि देश में राजनीति और वाद विवाद से उठकर एक स्त्री का सम्मान है इसलिए गुनहगार को बख्शा नहीं जाएगा।
मणिपुर महिला यौन हिंसा पर विपक्ष की प्रतिक्रिया
वीडियो सामने आने के बाद विपक्ष केंद्र सरकार और मणिपुर राज्य सरकार की कड़ी आलोचना कर रहे हैं। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट कर कहा की मणिपुर से आ रही महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा की तस्वीरें दिल दहला देने वाली हैं। महिलाओं के साथ घटी इस भयावह हिंसा की घटना की जितनी निंदा की जाए कम है। ”हम सभी को मणिपुर में शांति के प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए हिंसा की एक स्वर में निंदा करनी पड़ेगी। केंद्र सरकार, प्रधानमंत्री जी आखिर मणिपुर की हिंसक घटनाओं पर आंख मूंद कर क्यों बैठे हैं? क्या इस तरह की तस्वीरें और हिंसक घटनाएं उन्हें विचलित नहीं करतीं?”
इसके अलावा कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी कहा है कि पीएम मोदी की चुप्पी और निष्क्रियता ने मणिपुर को अराजकता की ओर धकेल दिया है। जब भारत के विचार पर ही मणिपुर पर हमला किया जा रहा है तो ‘INDIA’ चुप नहीं बैठेगा। हम मणिपुर के लोगों के साथ खड़े हैं और सिर्फ़ शांति ही एक विकल्प है। बीबीसी अनुसार विपक्षी दलों ने अपने एकजुट मंच को ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इनक्लूसिव एलायंस’ नाम दिया है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस घटना पर ट्वीट करते हुए लिखा “मणिपुर की वारदात बेहद शर्मनाक और निंदनीय है। भारतीय समाज में इस तरह की घिनौनी हरकत बर्दाश्त नहीं की जा सकती मणिपुर के हालात बेहद चिंताजनक बनते जा रहे हैं। मैं प्रधानमंत्री जी से अपील करता हूँ कि वे मणिपुर के हालातों पर ध्यान दें। इस वारदात की वीडियो में दिख रहे दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करें’ भारत में ऐसे आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। वहीं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का कहना है कि मणिपुर के हालात के लिए आरएसएस की नफरत की नीति और भाजपा की वोट की राजनीति जिम्मेदार है. बहन-बेटियों के परिवार वाले अब तो भाजपा की ओर देखने तक से पहले एक बार ज़रूर सोचेंगे.’