तीस हजारी कोर्ट ने उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता के पिता की न्यायिक हिरासत में मौत के मामले पर भाजपा निष्काशित कुलदीप सेंगर को दोषी करार दिया है। साथ ही उनके दो भाई और दो दरोगा समेत साथ आरोपियों को भी दोषी करार दिया गया है। कोर्ट ने सेंगर को आईपीसी की धारा 304 और 120 बी के तहत दोषी करार दिया गया है। बाकी चार आरोपियों को सबूतों के न होने के कारण बरी कर दिया गया है। अब दोषियों की सजा पर कोर्ट में 12 मार्च को बहस होगी। कोर्ट ने कहा कि आरोपियों का इरादा हत्या का नहीं था लेकिन पीड़िता के पिता को बर्बर तरीके से मारा गया।
Delhi's Tis Hazari Court holds guilty the 7 accused including expelled BJP MLA Kuldeep Singh Senger (who is already convicted in rape case) for the custodial death of Unnao rape victim's father; 4 other acquitted by the Court pic.twitter.com/XJtEw9UDQV
— ANI (@ANI) March 4, 2020
कोर्ट ने यह भी कहा यह ट्रायल बेहद चुनौती पूर्ण था। कुलदीप सेंगर ने अपने आप को बचाने के लिए तकनीक का खूब प्रयोग किया, लेकिन सीबीआई ने इस चुनौतीपूर्ण माहौल में भी अच्छा काम किया। इस मामले में जिन लोगों को दोषी ठहराया गया है। उनमें सेंगर के अलावा दो यूपी पुलिस के अधिकारी, एसएचओ और एक सब इंस्पेक्टर शामिल हैं। इस मामले में कोर्ट ने कुलदीप सेंगर, उसके भाई अतुल, अशोक सिंह भदौरिया, उप निरीक्षिक कामता प्रसाद, सिपाही आमिर खान व छह अन्य के खिलाफ आरोप तय कर रखे थे।
इस मामले में 4 अप्रैल साल 2018 दायर किए आरोप पत्र के अनुसार, पीड़िता के पिता और उसके साथी कर्मी अपने गांव की ओर लौट रहे थे। लेकिन उसी दौरान उन्होंने रास्ते में शशि प्रताप नामक युवक से लिफ्ट मांगी थी। लेकिन उसने लिफ्ट देने से मना कर दिया था। इसी दौरान उनके बीच लड़ाई हो गई। इसके बाद शशि सिंह ने कुलदीप सेंगर के भाई अतुल और अन्यों को मौके पर बुलाया और पीडि़ता के पिता की बेहरमी से पिटाई की।
इस घटना में गंभीर रूप से घायल हुए पीड़िता के पिता को अस्पताल पहुंचाने के बजाए जेल में डाल दिया गया, जबकि उन्हें उपचार की जरूरत थी। उन्हें गहरी चोटें लगी थीं, जिस कारण 9 अप्रैल को उनकी न्यायिक हिरासत में मौत हो गई थी। इस घटना का एक वीडियो जब सोशल मीडिया पर वायरल होता दिखा तो यह मामला प्रकाश में आया। वीडियो में पीडि़ता के पिता को बुरी तरह पीटता हुआ दिखाया गया।
गौरतलब है कि साल 2017 कुलदीप सेंगर और उसके साथियों ने एक नाबालिग लड़की को अगवा सामूहिक दुष्कर्म किया था। इस पूरे मामले की जांच सीबीआई ने की थी। पीडि़ता की कार पर जानलेवा हमला होने की घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट ने दखल दिया और इस केस से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई लखनऊ से तीस हजारी कोर्ट में स्थानांतरित कर दी थी।