सीमा सैनी दिल्ली की एक समाजसेवी है। जिन्होंने आजकल 12 लाख बच्चों को मिड डे मील भोजन दिलाने की मुहिम शुरू की गई है। कोरोना महामारी के दौरान शुरू की गई उनकी इस मुहिम को लोगों का जोरदार समर्थन मिल रहा है। हालांकि, वह इस मामले को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में गई है।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के सरकारी व सहायता प्राप्त 1245 स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा 1 से 8 तक के लगभग 12 लाख बच्चों को कोरोना लाॅक डाउन व गर्मियों की छुट्टियों के दौरान का मध्याह्न भोजन वितिरित न किए जाने के मामले को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर की गयी जनहित याचिका पर अगली सुनवाई 16 जून को की जाएगी।
महिला एकता मंच व सोयायटी फार एनवायरमेंट एंड रेगुलेशन द्वारा उक्त मामले को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर याचिका पर आज सुनवाई करते हुए न्यायालय ने दिल्ली सरकार को दो सप्ताह में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है।
गौरतलब है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा 24 मार्च को एक अधिसूचना जारी की गई थी। जिनमें देश के सभी राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों को मध्याह्न भोजन योजना मिड डे मील (एम.डी.एम) के अंतर्गत प्राथमिक एवं उच्च प्राइमरी विद्यालयों के छात्रों को कोरोना लाॅक डाउन व जून माह की गर्मियों की छुट्टियों के दौरान का पका हुआ, कच्चा राशन के साथ ही खाना पकाने के खर्च का भुगतान करने का आदेश जारी किया गया है।
दिल्ली सरकार ने न तो इस दौरान बच्चों को पका हुआ भोजन दिया और न ही उन्हें अभी तक कच्चा राशन व खाना पकाने के लागत मूल्य का ही भुगतान किया है।
इसके तहत एम.डी.एम के अंतर्गत आने वाले प्राइमरी स्तर के छात्रों को प्रति छात्र 100 ग्राम कच्चा राशन व खाना पकाने की लागत 4.97 रु तथा उच्च प्राइमरी स्तर के छात्र को 150 ग्राम कच्चा राशन व 7.45 रु. प्रति छात्र दिये जाने का प्रावधान है।
20 मार्च से 30 जून के दौरान सभी सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 12 लाख बच्चों को मिड-डे-मील योजना के अंतर्गत वितरित होने वाले राशन व खाना बनाने की लागत का कुल मूल्य लगभग 100 करोड़ रुपये है। जिससे केजरीवाल सरकार ने जरुरतमंद बच्चों को वंचित कर दिया है।
दिल्ली सरकारी स्कूलों के दर्जनों छात्रों ने पत्र लिखकर महिला एकता मंच व सोयायटी फॉर एनवायरमेंट एंड रेगुलेशन से केजरीवाल सरकार द्वारा मिड-डे-मील के अंतर्गत राशन व की खाना पकाने की राशि न दिये जाने की शिकायत की है तथा मदद की अपील की। छात्रों व अभिभावकों की शिकायत को महिला एकता मंच, दिल्ली की संयोजक सीमा सैनी द्वारा विगत मई माह में शिक्षा निदेशक को ज्ञापन प्रेषित किया गया। जिसमें उन्होंने दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को केन्द्र सरकार के नियमानुसार मिड डे मील योजना के अंतर्गत कच्चा राशन व खाना बनाने की लागत का भुगतान करने का निवेदन किया था।
इसी क्रम में सोयायटी फार एनवायरमेंट एंड रेगुलेशन के महासचिव कलीमुद्दीन ने शिक्षा मंत्रालय, दिल्ली के सचिव तथा उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जिलाधिकारी को ज्ञापन प्रेषित कर भारत सरकार के 20 मार्च के आदेश के आदेशानुसार मिड-डे-मील वितरण करने का निवेदन किया है। अपने आपको आम आदमी की सरकार कहने वाली केजरीवाल सरकार ने अधिकारियों ने गरीब बच्चों के भोजन से जुड़े इस मामले में कोई ठोस कार्यवाही करने की जगह इन ज्ञापनों को रद्दी को टोकरी में डाल दिया है।
दिल्ली सरकार द्वारा गरीब बच्चों के भोजन से जुड़े इस मामले को महिला एकता मंच व सोयायटी फार एनवायरमेंट एंड रेगुलेशन ने एक जनहित याचिका के रुप में न्यायपालिका के समक्ष उठाया है।
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि 16 जून की सुनवाई में दिल्ली सरकार अपनी स्टेटस रिपोर्ट में प्रदेश के 12 लाख बच्चों को मिड डे मील वितरित नहीं करने को लेकर क्या पक्ष रखेगी। इस मामले की पैरवी दिल्ली हाईकोर्ट के एडवोकेट कमलेश कुमार कर रहे हैं।