उत्तर प्रदेश के इतिहास में शायद यह पहली बार हुआ है जब प्रतापगढ़ ज़िले में एक उपज़िलाधिकारी (एसडीएम) अपने ही ज़िलाधिकारी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए धरने पर बैठ गए। एसडीएम का आरोप है कि डीएम साहब ने उन पर एक मामले में माकूल रिपोर्ट लगाने का दबाव बनाया और न मानने पर उनका कैरियर ख़त्म करने की धमकी दी।
मामले की शिकायत लेकर पहुँचे एसडीएम सुनवाई न होने पर अपने ही ज़िलाधिकारी के सरकारी आवास पर उनके चैंबर में धरने पर बैठ गए। मामले की जाँच का आश्वासन मिलने के चार घंटे बाद एसडीएम ने धरना समाप्त किया। लेकिन इससे पहले ही शासन ने उप जिलाधिकारी विनीत कुमार को अनुशासनहीनता के आरोप में निलंबित कर दिया।
प्रतापगढ़ में यह मामला लालगंज इलाके की जमीन पर विद्यालय की मान्यता से जुड़ा है। बताया जा रहा है जिस जमीन पर विद्यालय होने की बात कहकर मान्यता ली गई, वहां विद्यालय न होकर दूसरी जगह संचालित हो रहा है। इस मामले की शिकायत आने के बाद एसडीएम अतिरिक्त विनीत उपाध्याय ने जांच की तो ये खुलासा हुआ। उन्होंने जांच रिपोर्ट बनाकर डीएम को फाइल भेज दी। लेकिन वह फाइल दबा दी गई। शासन को नहीं भेजी गई।
इसी बात को लेकर विनीत उपाध्याय नाखुश हैं।पीसीएस अधिकारी विनीत उपाध्याय ने डीएम डॉ.रुपेश कुमार पर फाइलें दबाने का गंभीर आरोप लगाया है। विनीत उपाध्याय का आरोप है कि एसडीएम सदर, एडीएम वित्त तथा डीएम डॉ. रुपेश कुमार ने मिलकर भ्रष्टाचार किया है। अब मेरे आरोप लगाने के बाद भी डीएम भ्रष्टाचार की जांच नहीं करवा रहे हैं।
वरिष्ठ पत्रकार और भारत समाचार के संपादक ब्रिजेश मिश्रा ने एक ट्वीट करके कहा है कि यूपी के प्रशासनिक तंत्र में भृष्टाचार अब संस्थागत हो गया है। प्रतापगढ़ के डीएम रुपेश कुमार पर उनके एसडीएम ने करप्शन का आरोप लगाया है। डीएम दफ्तर में ही एसडीएम विनीत उपाध्याय अनशन पर बैठ गए। महोबा की घटना याद ही होगी जहा डीएम-एसपी ने वसूली के लिए व्यापारी की हत्या करवा दी थी।