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शिवराज सरकार में भी सिंधिया को सता रहा किसानों का दर्द

सिंधिया को मंत्री बनाना भाजपा और सरकार दोनों की ही मजबूरी

कुछ माह पूर्व तब कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जनता की सेवा के लिए ‘सड़क’ पर उतरने की चेतावनी दी थी तो कांग्रेस कुर्सी से उतर गई थी, इसके बाद से आज प्रदेश में भले ही बीजेपी की शिवराज की सरकार हो, लेकिन अब बीजेपी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया फिर उसी तरफ कदम बढ़ाते दिख रहे हैं।

हाल में भारतीय जनता पार्टी के नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल को पत्र लिखकर किसानों की समस्याओं की ओर ध्यान दिलाया है।

जानकारी के अनुसार फिलहाल शिवराज सरकार ने उनकी बात पर ध्यान दिया है। लेकिन बात रखने के तरीके पर वैसा ही भाव व्यक्त किया है, जैसा कि पूर्व में ‘सड़क’ पर उतरने की चेतावनी पर तब मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा था ”उतर जाएँ”। यदि ऐसा ही रहा तो एक बार फिर सिंधिया उसी रास्ते पर जाते दिखेंगे।

 

 

सिंधिया ने ईमेल के जरिए भेजे पत्र में लिखा है कि वे राज्य के किसानों की एक बड़ी गंभीर समस्या की ओर ध्यान दिलाना चाहते हैं। उन्होंने लिखा है कि हमारे प्रदेश में इस बार चने और सरसों की बंपर पैदावार हुई है। इन दोनों फसलों की सरकारी खरीद की सीमा अभी क़रीब 15 एवं 14 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।

मेरा आपको सुझाव है कि यह प्रयास हो कि कोरोना संकट की इस घड़ी में प्रदेश के किसानों की चने और सरसों की फसल की सरकार द्वारा खरीद सीमा 20 क्विंटल तक वृद्धि की जाए तो संकट से जूझ रहे किसान को बहुत सहयोग और सहायता मिल जाएगी। मुझे आशा है मध्यप्रदेश के अन्नदाता के हित में शीघ्र ही आपका विभाग इस विषय में सकारात्मक एवं सशक्त कदम उठाएगा। सुझाव पर चर्चा यह भी है कि 15 एवं 14 क्विंटल प्रति हेक्टेयर या 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर ही क्यों, वह क्यों नहीं लिखा जो वास्तविक पैदावार है?

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