नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया को मुख्यमंत्री देखने को उत्सुक कांग्रेस कार्यकर्ताओं को निराशा हाथ लगी है। काफी खींचतान के बाद आखिरकार पार्टी आलाकमान ने कमलनाथ के नाम पर मुहर लगाई तो इसके खास मायने हैं। सूत्रों के मुताबिक सिंधिया पर न सिर्फ कमलनाथ का अनुभव भारी पड़ा, बल्कि कांग्रेस आलाकमान को भय लगा कि कहीं ऐसा न हो कि कमलनाथ की अनुपस्थिति में निकट भविष्य में सरकार पर संकट के बादल मंडरा जाएं।
हालांकि राज्य में कांग्रेस को 114 सीटें मिली हैं और सपा-बसपा एवं निर्दलीय के समर्थन से पार्टी के पास बहुमत से अधिक का आंकड़ा है। लेकिन जैसा कि कहा जाता है राजनीति में कब क्या हो जाए कहा नहीं जा सकता। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस आलाकमान भी युवाओं की भावनाओं का सम्मान करने के मूड में था, लेकिन अंत समय में लगा कि कहीं ऐसा न हो कि भारतीय जनता पार्टी निर्दलीय या बसपा विधायकों को अपने पक्ष में कर सरकार के लिए संकट खड़ा कर दे। इसी डर के चलते कमलनाथ के अनुभव पर भरोसा किया गया। माना जा रहा है कि सोनिया गांधी ने राहुल गांधी को अनुभव पर भरोसा करने के लिए कहा है, क्योंकि राज्य में जीत का अंतर काफी कम है। ऐसे में एक अनुभवी राजनेता ही सरकार को अच्छी तरह चला सकता है।