भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) Delhi के महिला विज्ञानियों ने आंखों के फंगस संक्रमण के इलाज का कारगर तरीका ढूंढा है। विज्ञानियों ने अमेरिकी दवा नटामाइसिन को पेप्टाइड के साथ मिलाकर प्रयोग किया। जिसका सकारात्मक परिणाम सामने आया है। इससे अमेरिकी दवा की एंटी फंगल क्षमता और बढ़ जाएगी।
भारत में फंगस संक्रमण ज्यादा
IIT Delhi के कुसुम school of boilogical science की प्रोफेसर अर्चना चुग ने बताया कि भारत की बड़ी आबादी कृषि संबंधी कार्यों पर निर्भर है। खेतों में काम करने के दौरान अक्सर पत्तों से आंखों पर हल्की चोट लग जाती है। कई बार आंखों में धूल चले जाने पर रगड़ होती है। चूंकि ये तत्काल हानि नहीं पहुंचाते इसलिए लोग नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन रगड़ या चोट से कई बार कार्निया की ऊपरी परत छिल जाती है।
इससे फंगस संक्रमण cornia में पहुंच जाता है। संक्रमण के शुरुआती लक्षण तो नहीं दिखते लेकिन जैसे जैसे दिन गुजरता जाता है काली पुतली के अंदर सफेद एवं बाद में लाल धब्बे दिखने लगते हैं। उस समय तक यह गंभीर हो जाता है। इससे धुंधला या फिर दिखाई देना बंद ही हो जाता है। इसे फंगल केराटाइसिस भी कहते हैं।

Fungal केराटाइसिस गंभीर होने पर बाजार में उपलब्ध दवाएं बहुत कारगर साबित नहीं होती। अमेरिकी-फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) द्वारा प्रमाणित नटामाइसिन को fungal केराटाइसिस के इलाज में प्रयोग किया जाता है। लेकिन यह दवा पर्याप्त मात्रा में आंखों में प्रवेश नहीं कर पाती। जिसकी चलते इसकी बूंदे बेकार हो जाती है।
यह दवा बनी प्रभावी : IIT Delhi
प्रोफेसर अर्चना चुग ने बताया कि नैनोटेक्नोलाजी का प्रयोग कर लैब में एक पेप्टाइड तैयार किया गया। Peptide प्रोटीन का ही हिस्सा होता है। इसे नटामाइसिन के साथ मिलाया गया। इस पेप्टाइड की खासियत है कि यह कोशिकाओं के अंदर खुद तो जाता ही है साथ में मालिक्यूल्स को भी लेकर जाता है। इस तरह जब पेप्टाइड और नटामाइसिन को मिलाकर प्रयोग किया। विज्ञानियों ने इसे खरगोश और चूहे पर प्रयोग किया। परिणाम आश्चर्यजनक थे, Natamycin को अकेले प्रयोग करने के मुकाबले पेप्टाइड के साथ प्रयोग करने पर प्रभाविकता पांच गुना बढ़ गई।