देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण से लगातार हालात खराब हो रही है। हालांकि, हवा में कुछ सुधार जरूर हुआ है, लेकिन दिल्ली में प्रदूषण अब भी ‘बेहद खराब’ स्थिति में पहुंच गया है।अब प्रदूषण सेंटर फॉर साइंस एंड इनवार्यमेंट की डराने वाली रिपोर्ट सामने आई है।
दरअसल,केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, पिछले दिनों दिल्ली में AQI का स्तर 376 था। इससे पहले यानी 1 नवंबर को ये 424 पर था। आज दिल्ली की हवा में थोड़ा सुधार जरूर हुआ, लेकिन ये अब भी ‘बेहद खराब’ की श्रेणी में है। अब तक दिल्ली-एनसीआर की हवा खराब करने के लिए पराली को जिम्मेदार ठहराया जा रहा था, लेकिन सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की रिपोर्ट बताती है कि 21 से 26 अक्टूबर के बीच दिल्ली की हवा में PM2.5 बढ़ाने में आधा हिस्सा गाड़ियों से निकलने वाले धुएं का था। इसमें यह भी कहा गया कि दिवाली के हफ्ते के दौरान गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण की हिस्सेदारी 49.3% से 53% के बीच रही है।
PM2.5 सबसे खतरनाक होता है, क्योंकि ये हमारे बालों से भी 100 गुना छोटा होता है। PM2.5 का मतलब है 2.5 माइक्रोन का कण है। माइक्रॉन यानी 1 मीटर का 10 लाख वां हिस्सा। हवा में जब इन कणों की मात्रा बढ़ जाती है तो विजिबिलिटी प्रभावित होती है। ये इतने छोटे होते हैं कि हमारे शरीर में जाकर खून में घुल जाते हैं।इससे अस्थमा और सांस लेने में दिक्कत होती है। जानकारों का कहना है कि गाड़ियों के अलावा दिल्ली के प्रदूषण में घरेलू प्रदूषण की 13%, इंडस्ट्री की 11%, कंस्ट्रक्शन की 7%, कचरा जलाने और एनर्जी सेक्टर की 5% और सड़कों की धूल और दूसरे सोर्स की 4% हिस्सेदारी रही है।
दिवाली से पहले के दिनों में गाड़ियों की चलने की रफ्तार महज 27 किलोमीटर प्रति घंटे रही थी और कुछ-कुछ जगहों पर तो 17 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ियां चल रही थीं, जबकि इनकी रफ्तार कम से कम 60 किमी प्रति घंटे होनी चाहिए थी,लेकिन धीमी स्पीड से गाड़ियों के चलने के कारण इससे बड़ी संख्या में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड गैस निकलती है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक,सीएसई से जुड़े एक अधिकारी का भी कहना है कि दिल्ली की हवा खराब करने में सबसे बड़ा कारण गाड़ियां हैं, लेकिन इसके बावजूद इस पर सबसे कार्रवाई नहीं हो रहा है।