देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट आने वाली 4 फरवरी को अपना पहला स्थापना दिवस मनाएगी। देश के इतिहास में यह पहली बार है कि मुख्य न्यायाधीश धनंजय वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में इसका आयोजन किया जायेगा।
इस कार्यक्रम में सिंगापुर के मुख्य न्यायाधीश, जस्टिस सुंदरेश मेनन को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया है। जस्टिस मेनन ‘बदलती दुनिया में न्यायपालिका की भूमिका’ के बारे में बात करेंगे। इस समारोह में वकालत से जुड़ी देश-विदेश की कई हस्तियां शामिल होंगी।
स्थापना दिवस का उद्देश्य
रिपोर्ट के अनुसार डी.वाई. चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट के स्थापना दिवस मनाने की परंपरा इसलिए शुरू की है ताकि इसका भी अपना एक उत्सव हो। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में संविधान दिवस के अलावा अन्य कोई और जश्न नहीं मनाया जाता है जो पूर्ण रूप से संविधान को समर्पित होता है। इस स्थापना दिवस का उद्देश्य आम लोगों तक इस बात की जानकारी देना है कि आखिर सुप्रीम कोर्ट काम कैसे करता है और विदेशों में हो रही कार्रवाई से यहां की कार्रवाई कैसे अलग होती है।
सुप्रीम कोर्ट की स्थापना
सुप्रीम कोर्ट की स्थापना 28 जनवरी, वर्ष 1950 में भारत के एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने के दो दिन बाद हुई। इसका उद्घाटन समारोह संसद भवन के नरेंद्र मंडल (चेंबर ऑफ़ प्रिंसेज़) भवन में किया गया था। क्योंकि इससे पहले वर्ष 1937 से लेकर वर्ष 1950 तक चैंबर ऑफ़ प्रिंसेस ही भारत की संघीय अदालत हुआ करती थी। स्वतंत्रता के बाद भी वर्ष 1958 तक चैंबर ऑफ प्रिंसेस ही भारत के उच्चतम न्यायालय का भवन था, जब तक कि 1958 में उच्चतम न्यायालय ने अपने वर्तमान तिलक मार्ग, नई दिल्ली में स्थापित नहीं किया गया था ।
सुप्रीम कोर्ट का कार्य
सुप्रीम कोर्ट मुख्य रूप से संघ के सभी राज्यों के उच्च न्यायालयों और अन्य अदालतों आदि द्वारा सुनाय गए फैसले के विरुद्ध सुनवाई करता है। सुप्रीम कोर्ट नागरिकों के मूल अधिकारों की रक्षा करने के साथ-साथ देश के केंद्र सरकार बनाम राज्य सरकारों या राज्य सरकारों बनाम देश में किसी अन्य राज्य सरकार के बीच में होने वाले विवादों को हल करने के लिए अति आवश्यक है। सर्वोच्च न्यायालय की ओर से घोषित किया गया कानून भारत के अंदर और केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा भी सभी अदालतों पर बाध्यकारी हो जाता है।