बैंकों से पैसा कर्ज लेकर विदेश भाग जाना अब तो जैसे चलन बन चुका है। लगातार उद्योगपतियों द्वारा पैसा हड़पकर विदेश में बस जाने का सिलसिला जारी है। कोरोना संकट के इस दौर में अब 400 करोड़ से अधिक का एक और बैंक घोटाला प्रकाश में आया है। दरअसल, दिल्ली में स्थित बासमती चावल निर्यात करने वाली एक फर्म के खिलाफ एसबीआई की ओर से सीबीआई में शिकायत दर्ज कराई गई है।
कहा जा रहा है कि विदेश फरार हुए शख्स पर एसबीआई और दूसरे बैंकों का 400 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है। ये शख्स साल 2016 से ही लापता है। उसने 6 बैंकों से कर्ज लिया गया था। जब एसबीआई को उसका पैसा वापस नहीं मिला उसने सीबीआई में उसकी शिकायत की। फिलहाल आरोपी अपनी अधिकतर संपत्ति बेंचकर फरार हो गया है।
मालिक और 4 निदेशकों पर मामला दर्ज
बासमती चावल निर्यात फर्म राम देव इंटरनेशनल को साल 2016 में ही एनपीए घोषित कर दिया गया था। इसका मालिक विदेश भाग गया, लेकिन एसबीआई ने चार साल बाद 25 फरवरी, 2020 को शिकायत दर्ज कराई। अब सीबीआई मामले की जांच कर रही है। कंपनी के निदेशकों नरेश कुमार, सुरेश कुमार, संगीता और कुछ अज्ञात जनसेवकों पर जालसाजी और धोखाधड़ी जैसे कई आरोपों में मामला दर्ज किया गया है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की शिकायत पर सीबीआई ने कंपनी के मालिक और उसके चार निदेशकों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।
चार साल देरी से शिकायत
सबसे अहम बात यह है कि बैंक की ओर से शिकायत चार साल की देरी के बाद दर्ज कराई गई है। साल 2018 में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के आदेश के अनुसार, यह बताया गया कि ये प्रवर्तक दुबई फरार हो गए हैं। कंपनी के लोन को 2016 में एक गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) के रूप में वर्गीकृत किया गया था। बैंक ने चार साल की देरी के बाद इस साल फरवरी में एजेंसी को शिकायत दर्ज की। उनके खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी किए गए हैं। एसबीआई की शिकायत में कहा गया है कि हरियाणा स्थित उक्त कंपनी के पास करनाल जिले में 3 राइस मिल और 8 सॉर्टिंग और ग्रेडिंग इकाईयां हैं।
एक विशेष ऑडिट से ज्ञात हुआ है कि उधारकर्ताओं की ओर से खातों में छेड़छाड़ की गई साथ ही बैलेंस शीट को भी ठग लिया गया। बैंक धन की लागत पर गैरकानूनी तरीके से हासिल करने के लिए संयंत्र और मशीनरी को अनधिकृत रूप से हटाया है। एसबीआई से बैंकों का एक्सपोजर 414 करोड़ रुपये से 173 करोड़ रुपये, केनरा बैंक का 76 करोड़ रुपये, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया का 64 करोड़ रुपये, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का 51 करोड़ रुपये, कॉर्पोरेशन बैंक का 36 करोड़ रुपये और आईडीबीआई बैंक का 12 करोड़ रुपये है।