उदयनिधि द्वारा सनातन धर्म पर दिए गए विवादित बयान के बाद अब पिछले कुछ दिनों से राजनितिक पार्टियों के बीच सनातन धर्म के मुद्दे को लेकर बवाल बढ़ रहा है तो दूसरी ओर समर्थन भी किया जा रहा है। दरअसल ”सनातम उन्मूलन सम्मेलन” में सनातन धर्म पर बयान देते हुए उदयानिधि स्टालिन ने सनातन धर्म की तुलना ऐसी बीमारियों से की जो कभी ठीक नहीं हो सकती।
भाषण देते हुए उदयानिधि स्टालिन ने सनातन धर्म की तुलना मलेरिया, डेंगू और कोरोना वायरस से कर दी। उन्होंने कहा, ‘कुछ चीजों को खत्म करना ही होगा, जैसे- मच्छर, डेंगू, मलेरिया, कोरोना। इनका विरोध नहीं किया जा सकता है। इसलिए इसे समाप्त कर देना चाहिए। सनातन धर्म भी ऐसी ही है। इस सम्मेलन का नाम एकदम सही रखा गया है। मैं इसकी सराहना करता हूं। स्टालिन द्वारा दिए गए इस बयान के बाद से ही उनकी तीखी आलोचना हो रही है। इसके अलावा RJD के नेता जगदानंद ने ऐसा ही एक विवादित बयान देते हुए कहा कि तिलक लगाकर घूमने वालों ने भारत को गुलाम बनाया है। उन्होंने कहा, देश में मंदिर बनाने से काम नहीं चलेगा। इसके बाद से हिन्दू संगठन भी इसपर प्रतिक्रिया दे रहे हैं । वहीं बीजेपी इस बयान को लेकर अब पूरे ‘इंडिया’ गठबंधन पर ही सवाल खड़ा कर रही है। तो वहीं दूसरी ओर एक बार फिर द्रविण और सनातन के बीच का संघर्ष तजा हो गया है। अपने बयान के संबंध उन्होंने यह भी कहा कि सनातन का अर्थ है कुछ भी बदला नहीं जाना चाहिए और सब कुछ जैसा है वैसा ही रहेगा । लेकिन द्रविड़ मॉडल बदलाव की मांग करता है और सभी की समानता की बात करता है।
सनातन और द्रविड़ का सम्बन्ध
द्रविड़ और सनातन के संघर्ष के मूल में भेदभाव और छुआछूत रहा है। इसकी पृष्ठभूमि वैसे तो काफी पुरानी है। इसका एक राजनीतिक स्तर पर लाने वाला अंग साल 1924 में केरल में त्रावणकोर के राजा के मंदिर की ओर जाने वाले रस्ते पर दलितों का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया। इससे दलितों के आत्म सम्मान को चोट पहुंची और उन्होंने इसका खुला विरोध करना शुरू किया। जिसमें त्रावणकोर के बाद पेरियार ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कहा जा सकता है की ये आंदोलन मुख्य रूप से सनातन धर्म में कुप्रथाओं को खत्म करने और परिवर्तनों की मांग करता है। साथ ही द्रविड़ का समर्थन करता है। तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता भी इस आंदोलन से संबंधित थी। जिन्हे हिन्दू धर्म का होने बावजूद जलाया नहीं बल्कि दफनाया गया था।
सनातन धर्म के बयान की प्रतिक्रिया
रिपोर्ट्स के अनुसार उदयनिधि द्वारा दिए गए इस विवादित बयान में प्रतिक्रिया देने से सपा सांसद राम गोपाल यादव ने मना कर दिया है हालांकि उनका कहना है कि किसी को भी किसी धर्म के खिलाफ नहीं बोलना चाहिए। उन्होंने कहा कि वे बाहर थे इसलिए उन्होंने देखा नहीं की उदयनिधि का क्या बयान है। साथ ही ऐसे मामलों में, कई बार एक आदमी कहता है। दूसरा सुनता और तीसरे से कहता है, तो उसकी भाषा में अंतर हो जाता है, इसलिए मैं इस पर कोई कमेंट नहीं करना चाहता, कोई भी बयान, किसी भी व्यक्ति को किसी धर्म या विचारों के खिलाफ नहीं देना चाहिए। लेकिन ‘धर्म के बारे में अगर कोई कुछ कहता है तो ये उस व्यक्ति का निजी विचार होता है। किन परिस्थितियों में क्यों ये बयान दिया गया या फिर कभी भी कोई बयान आता है किसी का तो बिना उसके गहराई में गए हुए, बिना उसका पता किए हुए उस पर भी कोई अगर बयान देता है वो भी आखिर में कष्टदायी होती है।
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सनातन धर्म है क्या
धर्म का शाब्दिक अर्थ है सही कार्य करना या सही कर्तव्य पथ पर चलना। धर्म को एक तरह से नियम भी कहा जा सकता है। हर धर्म के अपने कुछ विशेष नियम और रीति-रिवाज होते हैं। जो उस धर्म को अलग पहचान देता है। इसी में से एक सनातन धर्म भी है। ‘सनातन’ का शाब्दिक अर्थ है – ‘सदा बना रहने वाला’, जिसका कभी कोई आरम्भ हो और न कोई अंत न। इसे हिन्दू धर्म अथवा वैदिक धर्म के नाम से भी जाना जाता है। साथ ही इसे प्राचीनतम धर्म के रूप में भी जाना जाता है। कई प्रमाणों के अनुसार यह धर्म, करीब 12 हजार वर्ष पुराना है। जबकि कुछ पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हिंदू धर्म 90 हजार वर्ष पुराना है।