कहते हैं कि इंसान की परख बुरे समय में ही होती है। जो सच्चा इंसान होता है और इंसानियत की कद्र करता है, वह कभी भी बुरे समय में इंसानों की सेवा करने से पीछे नहीं हट सकता है। देश में ऐसे कई आईएएस ऑफिसर है जो कोरोना जैसी महामारी के बीच तीन महीने की छुट्टी लेकर अपने आप को फर्ज से दूर कर आराम तलब जिंदगी जीना चाहते हैं। कुछ दिनों पूर्व गौतम बुद्ध नगर के जिलाधिकारी रहे आईएएस बीएन सिंह ने इस मामले में अपना संवेदनहीन रूप दिखा दिया था।
लेकिन वहीं दूसरी तरफ देश में सृजना गुम्माला जैसी आईएएस ऑफिसर भी है जो अपने मैटरनिटी लीव की छुट्टी कैंसिल करा कर देश सेवा में जुट गई है। मात्र 22 दिन पहले उनको डिलीवरी हुई थी और एक नवजात ने उनके घर में जन्म लिया था। तब से वह छुट्टी पर थी। लेकिन देश में आई कोरोना महामारी जैसी विपदा के चलते वह छुट्टियों में घर में नहीं रह सकी और छुट्टियां कैंसिल करा कर कोरोना वायरस से लोगों को छुटकारा दिलाने के लिए देश सेवा में जुट गई।
आज सृजना गुम्माला के इस जज्बे को हर कोई सलाम कर रहा है। वह अपनी गोद में 22 दिन के नवजात को लेकर नौकरी कर रही है और दुनिया में जीती जागती मिसाल बन गईं। आईएएस सृजना गुम्माला आंध्र प्रदेश के ग्रेटर विशाखापट्टनम में नगर निगम की कमिश्रर हैं। उन्हें डिलीवरी होने के चलते छह महीने की मैटरनिटी लीव मिली थी। लेकिन उन्होंने छुट्टी लेने से इनकार कर दिया और महज 22 दिन के बच्चे को लेकर ड्यूटी जॉइन कर ली।
आईएएस सृजना गुम्माला का कहना है कि वह मैटरनिटी लीव पर थीं लेकिन उनका मन नहीं लग रहा था। वह एक जिम्मेदार अधिकारी के तौर पर घर में नहीं रुक सकती थीं। उन्होंने अपने मातृत्व के साथ ही फर्ज को भी अहमियत दी। सृजना के अनुसार उन्होंने अपनी छुट्टियां निरस्त कर दीं और वापस काम पर लौट आईं। वह अपने 22 दिन के बच्चे को घर पर नहीं छोड़ सकती थीं इसलिए समस्त सावधाऩी अपनाते हुए दफ्तर पहुंच गईं।
सृजना गुम्माला कहती है कि जिला प्रशासन वायरस के खतरे को रोकने के लिए एक संयुक्त कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा कि ग्रेटर विसाखापट्टनम नगर निगम यह सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास कर रहा है कि जमीनी स्तर पर सेनेटरी का काम हो। गरीबों के लिए जरूरी आवश्यकता को प्रदान करना और जिला अधिकारियों के साथ सभी स्तरों पर समन्वय स्थापित करना ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वायरस को विशाखापट्टनम में ही रोका जाए, यह उनके काम का हिस्सा है।
साथ ही कमिश्नर सृजना गुम्माला यह भी कहती है कि आपातकाल के दौरान ड्यूटी संभालने और लोगों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने की आवश्यकता थी। मेरी भूमिका इस कोशिश में केवल एक छोटा सा हिस्सा है। पूरे परिवार ने मुझे इस प्रतिबद्धता के लिए काम करने की ताकत दी है।
गौरतलब है कि आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले में कोरोना वायरस के पांच नए मामले सामने आए हैं। जिससे राज्य में संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 386 हो गई। आध्र प्रदेश में कोरोना वायरस से अब तक छह लोगों की जान जा चुकी है। जबकि 10 लोगों को ठीक होने के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। कुरनूल जिले के पांच नए मरीज तबलीगी जमात के कार्यक्रम में भाग लेने वालों के परिवार के सदस्य हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि आध्र प्रदेश का कुरनूल 82 मामलों के साथ राज्य में सबसे अधिक प्रभावित जिला है। उसके बाद 58 मामले के साथ गुंटूर दूसरे स्थान पर है।