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उड़ान भरने को तैयार सचिन पायलट का प्लेन !

राजस्थान विधानसभा चुनाव में कुछ महीने ही बाकी हैं। इस बीच कांग्रेस की अंदरूनी कलह विभाजन तक पहुंच चुकी है। खबर है कि सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच किसी भी तरह का तालमेल बिठाने में हाईकमान असफल रहा है। ऐसे में सियासी कयास लगाए जा रहे हैं कि पायलट कांग्रेस का हाथ छोड़ अकेले उड़ान भर सकते हैं।

 

पार्टी  सूत्रों के मुताबिक सचिन पायलट ने तय कर लिया है कि वह नई पार्टी बनाएंगे। यही नहीं इसका नाम भी तय कर लिया गया है। सचिन पायलट ‘प्रगतिशील कांग्रेस’ नाम से नई पार्टी बना सकते हैं। इसका एलान 11 जून को जयपुर में किया जाएगा। इसी दिन सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट की पुण्यतिथि भी है। कांग्रेस हाईकमान ने बीते दिनों ही दिल्ली में बुलाकर अशोक गहलोत और सचिन पायलट से मुलाकात की थी। तब कांग्रेस नेताओं ने दावा किया था कि सचिन पायलट और गहलोत साथ काम करेंगे। यह भी कहा गया कि फाॅमूले के तहत पायलट को प्रदेश अध्यक्ष बनाने का फैसला लिया गया है। हालांकि सचिन पायलट कैंप की ओर से ऐसी खबरों को खारिज कर दिया गया और उन्होंने कहा कि वह अपने मुद्दों पर डटे हुए हैं। अब चर्चा है कि सचिन पायलट 11 जून को जयपुर में एक रैली करेंगे और हजारों समर्थकों की मौजूदगी में नया दल बनाने का एलान करेंगे।ऐसे में सवाल है कि सचिन पायलट यदि नई पार्टी बनाते हैं तो कितने विधायक उनके साथ जाते हैं? इसके अलावा अशोक गहलोत की सरकार के सामने कोई खतरा पैदा होगा या नहीं। इससे पहले 2020 में भी जब सचिन पायलट ने बागी तेवर अपनाए थे तो उनके साथ 19 विधायक थे। माना जा रहा है कि इस बार भी कई लोग उनके साथ जा  सकते हैं।

गौरतलब है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री पद पर दावा ठोक रहे सचिन पायलट ने अपनी ही सरकार पर कई आरोप लगाए हैं, जिनमें से एक यह है कि भाजपा की वसुंधरा सरकार के दौरान हुए करप्शन की जांच नहीं कराई गई। इन आरोपों को लेकर सचिन पायलट ने 11 मई को यात्रा भी शुरू की थी। 125 किलोमीटर की अजमेर से जयपुर की यात्रा के दौरान पायलट ने 15 दिनों की डेडलाइन भी दी थी, लेकिन दोनों पक्षों के बीच बात नहीं बन पाई। सचिन पायलट का कहना था कि यदि उनकी मांगें स्वीकार नहीं की गईं तो वह पूरे राज्य में ही आंदोलन करेंगे।

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राजनीति जानकारों का कहना है कि अगर सचिन पायलट नए राजनीतिक दल का गठन करके चुनावी मैदान में उतरते हैं तो न केवल कांग्रेस बल्कि कांग्रेस के साथ बीजेपी को भी नुकसान होना तय है। राजस्थान विधानसभा की करीब 40 सीटें ऐसी हैं, जहां पायलट का अच्छा प्रभाव देखा जा रहा है। इन सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी दोनों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसमें सवाई माधोपुर, जयपुर, अजमेर, भीलवाड़ा, राजसमंद, करौली, दौसा, कोटा, टोक, बूंदी, झालावाड़, चितौड़गढ़, अलवर, भरतपुर और झु नझुनूं जिलों में करीब 40 सीटें ऐसी हैं जहां गुर्जर मतदाता काफी संख्या में हैं। इन सीटों पर गुर्जर समाज बड़ी ताकत रखता है और प्रत्याशियों को जिताने-हराने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। पायलट गुर्जर समाज से हैं और समाज उन्हें एक आदर्श नेता के रूप में मानता है। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि अगर सचिन पायलट नई पार्टी की घोषणा करते हैं तो बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों को बड़ा नुकसान होना तय है।

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