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इन देशों को तेल बेचने से रूस का इनकार, जाने क्यों

यूक्रेन और रूस के बीच संघर्ष दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है। इस बीच रूस के विदेश मंत्रालय ने तेल पर प्राइस कैप लगाने के संबंध में एक बड़ा बयान दिया है। रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा कि पश्चिमी देशों द्वारा प्राइस कैप लगाने का प्रस्ताव बाजार विरोधी नियमों के खिलाफ है। तेल आपूर्ति श्रृंखला पर इसका बड़ा प्रभाव पड़ा है। साथ ही इससे वैश्विक ऊर्जा बाजार में स्थिति और खराब हो सकती है। उधर, रूस ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि रूस प्राइस कैप का समर्थन करने वाले किसी भी देश को तेल की आपूर्ति नहीं करेगा।

रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने कहा कि रूसी तेल की कीमतों पर प्राइस कैप लगाने का प्रस्ताव न सिर्फ बाजार विरोधी है बल्कि इसके कई नुकसान भी हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि रूस प्रस्ताव का समर्थन करने वाले सभी देशों को तेल नहीं बेचेगा। प्रवक्ता ने कहा कि यह प्रस्ताव पूरी तरह से रूस के खिलाफ है। इससे पहले रूसी उप प्रधान मंत्री अलेक्जेंडर नोवाक ने कहा था कि रूस उन सभी देशों को तेल नहीं बेचेगा जो इस प्राइस कैप का समर्थन करेंगे। चाहे वह रूस के लिए कितना भी लाभदायक क्यों न हो। डिप्टी पीएम ने कहा था कि हम बाजार के हालात के मुताबिक आगे काम करेंगे।

पिछले कई महीनों से रूस और यूक्रेन के बीच प्राइस कैप को लेकर जंग चल रही है। इसी वजह से रूस को अमेरिका, ब्रिटेन समेत कई प्रमुख पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है। यूएस-वर्चस्व वाले जी-7 समूह और यूरोपीय संघ ने रूस को झटका देने के लिए मूल्य कैप लगाने का फैसला किया। इस प्राइस कैप के जरिए रूसी तेल की कीमतें तय होंगी, जिसके आधार पर सिर्फ रूस ही अपना तेल बेच सकता है। हालांकि इस कीमत का रूस द्वारा विरोध किया जा रहा है। वहीं, पश्चिमी देश कार्यान्वयन में तेजी लाने की कोशिश कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह प्राइस कैप 5 दिसंबर से पहले लागू हो सकती है। मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि मूल्य सीमा के आधार पर रूसी तेल की कीमत 65 से 60 डॉलर प्रति बैरल तक बढ़ सकती है। हालांकि, इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

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रूस का यूक्रेन के साथ फरवरी से युद्ध चल रहा है। युद्ध की शुरुआत के बाद से पश्चिमी देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे। ऐसे में भारत ही वह देश था जिसने उस समय रूस से अपनी तेल खरीद बढ़ाई थी। धीरे-धीरे रूस की तेल आपूर्ति बढ़ती चली गई। वर्तमान में रूस भारत को शीर्ष तीन तेल आपूर्ति करने वाले देशों में शामिल है। दिलचस्प बात यह है कि शुरुआत में अमेरिका ने भी इस मामले पर आपत्ति जताई थी। हालांकि भारत ने साफ कर दिया है कि हम कोई भी लेन-देन अपने नागरिकों के हितों को ध्यान में रखकर करते हैं। जहां से भारतीयों को फायदा होता है, भारत इस समझौते को आगे बढ़ाता है।

रूस- यूक्रेन युद्ध ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहा है। कहा जा रहा था कि यह युद्ध जल्द ही ख़त्म हो जाएग, लेकिन ये युद्ध अभी भी जारी है। इस युद्ध के चलते दुनिया की अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ रहा है। रूस पर अब तक अमेरिका सहित पश्चिमी देश कई प्रतिबंध लगा चुके हैं। बावजूद इसके यूक्रेन पर रूसी आक्रमण जारी है।

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