देश में पिछले कुछ महीनों से धर्म पर आधारित राजनीति चंद दिनों में ही अधर्म के चरम पर पहुंच गई है। हालांकि इन हंगामा बरपाने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्यवाही भी शासन-प्रशासन के द्वारा लगातार चल रही है, कहीं पर दंगा फसाद में शामिल लोगों के घरों पर सिस्टम बुलडोजर चलवा रहा है तो कहीं एनएसए तक लगाई जा रही है।
इस बीच ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर की गिरफ़्तारी को लेकर भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में भी ज़ुबैर की गिरफ्तारी को लेकर घमासान शुरू हो गया है। जर्मनी के विदेश मंत्रालय ने भारत के लोकतंत्र पर तंज़ कस कहा कि, भारत खुद को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहता है। ऐसे में उससे लोकतांत्रिक मूल्यों जैसे- अभिव्यक्ति और प्रेस की आज़ादी की उम्मीद कैसे की जा सकती है। प्रेस को ज़रूरी स्पेस दिया जाना चाहिए। हम अभिव्यक्ति की आज़ादी को लेकर प्रतिबद्ध हैं।
दुनिया भर में प्रेस की आज़ादी का हम समर्थन करते हैं। यह ऐसी चीज़ है, जिसकी काफ़ी अहमियत है, और यह भारत में भी लागू होता है। स्वतंत्र रिपोर्टिंग किसी भी समाज के लिए बेहद ज़रूरी है। पत्रकारिता पर पाबंदी चिंता का विषय है। पत्रकारों को बोलने और लिखने के लिए जेल में नहीं डाला जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा हम इस मामले में ईयू के संपर्क में हैं। ईयू का भारत के साथ मानवाधिकारों को लेकर संवाद है। इसमें अभिव्यक्ति और प्रेस की आज़ादी निहित है।’
गौरतलब है कि पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जर्मनी में जी-7 की बैठक में विशेष अतिथि के तौर पर शामिल हुए थे। भारत के अलावा इंडोनेशिया, अर्जेंटीना, दक्षिण अफ़्रीका और सेनेगल को भी विशेष अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया था। इन पाँचों देशों ने जी-7 देशों के साथ 27 जून को रेज़िलिएंट डेमोक्रेसिज़ स्टेटमेंट’ पर हस्ताक्षर किए थे। इसमें सिविल सोसायटी में विविधता और स्वतंत्रता की रक्षा, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा की बात कही गई है। इतना ही नहीं इसमें ऑनलाइन और ऑफ़लाइन विचार भी शामिल हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक,चार पन्ने के इस बयान में कहा गया , ”हम जर्मनी, अर्जेंटीना, कनाडा, फ़्रांस, इंडिया, इंडोनेशिया, इटली, जापान, सेनेगल, दक्षिण अफ़्रीका, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपियन यूनियन के साथ मिलकर लोकतंत्र को मज़बूत बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम लोकतंत्र का बचाव करेंगे और शोषण के अलावा हिंसा के ख़िलाफ़ मिलकर लड़ेंगे। वैश्विक स्तर पर लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करेंगे। सार्वजनिक बहस, प्रेस की आज़ादी और उसमें बहुलतावाद, ऑनलाइन और ऑफ़लाइन सूचनाओं के मुक्त प्रवाह और पारर्शिता के बचाव में साथ मिलकर काम करेंगे।
जब भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन लोकतांत्रिक मूल्यों को लेकर जी-7 के देशों के साथ मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जता रहे थे, उसी दिन फैक्ट चेकर वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबेर को दिल्ली पुलिस ने गिरफ़्तार किया था। मोहम्मद ज़ुबैर के वर्ष2018 के एक ट्वीट को लेकर एक ट्विटर यूज़र ने शिकायत की थी। उसने मोहम्मद ज़ुबैर पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने का आरोप लगाया है। दिल्ली पुलिस ने इसी आधार पर ज़ुबैर को गिरफ़्तार किया है। मोहम्मद ज़ुबैर की गिरफ़्तारी को नूपुर शर्मा की पैग़ंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी से भी जोड़ा जा रहा है। मोहम्मद ज़ुबैर ने नूपुर शर्मा की विवादित टिप्पणी का मुद्दा सोशल मीडिया पर ज़ोर-शोर से उठाया था।इसके बाद कई इस्लामिक देशों ने भारत के ख़िलाफ़ बयान जारी करके नूपुर शर्मा पर कार्रवाई की मांग थी। जिसके बाद भाजपा ने नूपुर शर्मा को पार्टी से निलंबित कर दिया था। इतना ही नहीं नूपुर शर्मा पर कई राज्यों में एफ़आईआर दर्ज की गई है लेकिक अभी गिरफ़्तारी नहीं हुई है। दूसरी तरफ़ पुलिस ने एक ट्विटर यूज़र की शिकायत पर मोहम्मद ज़ुबैर को गिरफ़्तार कर लिया है। इसके बाद उन पर कई आरोप भी लगाए गए हैं। इनमें विदेश से चंदा लेने का मामला भी शामिल है।
संयुक्त राष्ट्र ने भी जताया है विरोध ?
इस गिरफ्तारी को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने भी 29 जून को विरोध जताया था और कहा था कि पत्रकार क्या लिखता है, क्या ट्वीट करता है और क्या बोलता है, इसके लिए उसे जेल में नहीं डाला जासकताहै। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरस के प्रवक्ता ने कहा था कि पत्रकारों को बोलने और लिखने के लिए प्रताड़ित नहीं किया जा सकता है। यूएन प्रमुख के प्रवक्ता ने कहा था कि,मेरा मानना है कि दुनिया के किसी भी कोने में यह ज़रूरी है को लोगों को स्वतंत्र रूप से बोलने की आज़ादी हो, पत्रकारों अपना काम स्वतंत्र रूप से करने की आज़ादी हो। इसके लिए किसी को डराया या प्रताड़ित नहीं किया जाए। जिसके बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने यूएन पर कहा की यह निराधार है। भारत की स्वतंत्र न्यायपालिका में हस्तक्षेप है।इतना ही नहीं विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत में न्यायिक प्रक्रिया के तहत ही कोई कार्रवाई होती है।