असफल होता कांग्रेस का चिंतन
कांग्रेस द्वारा दस राज्यसभा सीटों के लिए जिस तरह से उम्मीदवारों का चयन किया गया है, उसके बाद राजस्थान से लेकर महाराष्ट्र तक कई नेताओं ने सीधे और कुछ ने अप्रत्यक्ष रूप से शीर्ष नेतृत्व के फैसले पर सवाल खड़े कर दिए हैं
अभी कांग्रेस दिग्गजों के चिंतन किए हुए मुश्किल से एक महीना भी नहीं बीता कि नया घमासान शुरू हो गया है। मामला राज्य सभा टिकट के वितरण का है। कांग्रेस द्वारा 10 सीटों के लिए जिस तरह से नाम और जगह का चयन किया गया है, उसके बाद राजस्थान से लेकर महाराष्ट्र तक कई नेताओं ने शीर्ष नेतृत्व के फैसले पर सवाल खड़े कर दिए हैं। नाराजगी का आलम यह है कि नेता सीधे पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को निशाना बना रहे हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि ये नेता सोनिया गांधी की उदयपुर में दी गई नसीहत शायद भूल गए, जिसमें उन्होंने कहा था कि कांग्रेस ने हमें सब कुछ दिया है, अब कर्ज चुकाने का समय है।
दरअसल, कांग्रेस की ओर से घोषित किए गए राज्यसभा उम्मीदवारों को लेकर पार्टी में लगातार कलह जारी है। प्रवक्ता पवन खेड़ा और नगमा के बाद अब पार्टी के नेता प्रमोद कृष्णम, मनीष तिवारी जैसे कई नेताओं ने टिकट बंटवारे पर नाराजगी जाहिर की है। प्रमोद कृष्णम् ने कहा है कि कुछ लोगों की शिकायतें हैं। राज्यसभा लोकतंत्र का मंदिर है। इसलिए वहां बुद्धिजीवी और अनुभवी लोगों को भेजा जाना चाहिए, जो देश के लिए काम करें और पार्टी को मजबूती दें। लेकिन जो फैसले लिए गए हैं, वे निराश करने वाले हैं।
प्रमोद कृष्णम्
प्रमोद कृष्णम ने गुलाम नबी आजाद जैसे सीनियर नेताओं की उपेक्षा का भी पार्टी पर आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘अब तो फैसले लिए जा चुके हैं। लेकिन गुलाम नबी आजाद, तारिक अनवर, सलमान खुर्शीद और राशिद अल्वी जैसे लोग स्थापित और चर्चित नेता रहे हैं। इन लोगों का सम्मान किया जाना चाहिए था।’ कांग्रेस की राज्यसभा टिकटों की लिस्ट पर राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के सलाहकार संयम लोढ़ा भी सवाल उठा चुके हैं। उन्होंने बाहरी नेताओं को उतारे जाने पर कहा था कि इस सूची में ऐसा कौन नेता है, जो राजस्थान का है या फिर उसने राज्य के लिए कोई योगदान दिया हो।
पार्टी आलाकमान पर जातिगत और क्षेत्रीय समीकरणों का ध्यान न रखने के आरोप लगाए जा रहे हैं। एक तरफ पार्टी ने इमरान प्रतापगढ़ी को महाराष्ट्र से टिकट दे दिया है तो वहीं प्रमोद तिवारी और रणदीप सुरजेवाला जैसे नेताओं को राजस्थान से हरियाणा भेजने की तैयारी की है। इसके अलावा अजय माकन को हरियाणा से राज्यसभा भेजने की तैयारी है। यही नहीं 10 नेताओं में से 5 नेता ब्राह्मण समुदाय से आते हैं, इसे लेकर भी विवाद खड़ा हो गया है। लिस्ट में एक भी नेता ओबीसी समुदाय से न होने को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।
पवन खेड़ा
सवाल उठाने वालों में सबसे पहले अभिनेत्री और कांग्रेस पार्टी की नेता नगमा ने ट्वीट कर सोनिया गांधी पर निशाना साधा और उसके बाद महाराष्ट्र से ही कांग्रेस नेता विश्वबंधु राय ने यूपी के नेता इमरान प्रतापगढ़ी को राज्य सभा टिकट देने पर पार्टी आलाकमान को चिट्ठी लिख डाली है। इसके पहले राजस्थान से पार्टी के वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा और विधायक संयम लोढ़ा ने भी उम्मीदवारों के चयन पर नाराजगी जताई है। वहीं जी-23 के नेता मनीष तिवारी ने यहां तक कह दिया है कि राज्य सभा का पार्किंग स्थल के रूप में इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए। और उन्होंने राज्य सभा के औचित्य पर ही सवाल उठा दिए हैं।
सबसे ज्यादा घमासान कांग्रेस द्वारा यूपी के नेता इमरान प्रतापगढ़ी के चयन पर मचा हुआ है। कांग्रेस नेता विश्वबंधु राय ने एआईसीसी को चिट्ठी लिखते हुए कहा कि क्या पार्टी आलाकमान सिर्फ दिल्ली दरबार करने वालों को ही निष्ठावान और पार्टी को मजबूती प्रदान करने योग्य समझती है? इमरान प्रतापगढ़ी, जुम्मा-जुम्मा चार दिन पहले पार्टी से जुड़े हैं। मुरादाबाद लोकसभा सीट से करीब 6 लाख वोट से हार चुके हैं। वह अभी तक नगर निगम का चुनाव भी नहीं जितवा सके हैं। अब उन्हें राज्यसभा में भेजा जा रहा है। क्या उनके मुशायरे में इतनी खूबी है।’
नगमा
इसी तरह राजस्थान से विधायक संयम लोढ़ा ने ट्वीट करते हुए कहा है कि कांग्रेस पार्टी को यह बताना चाहिए कि राजस्थान के किसी भी कांग्रेस नेता को राज्यसभा चुनाव में प्रत्याशी नहीं बनाने के क्या कारण है? इसके पहले नगमा ने भी ट्वीट कर कहा था कि सोनिया गांधी ने उन्हें 2003-04 में व्यक्तिगत तौर पर वादा किया था कि उन्हें राज्य सभा का उम्मीदवार बनाएंगी लेकिन 18 साल बीत गए। इसी तरह राजस्थान से आने वाला पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने भी ट्वीट कर लिखा है कि शायद उनकी तपस्या में कोई कमी रह गई।
नेतृत्व के खिलाफ नाराजगी
असल में कांग्रेस ने जिस तरह 10 उम्मीदवारों और उनके राज्य का चयन किया है। उसकी वजह से पार्टी नेताओं में भारी नाराजगी दिख रही है। मसलन राजस्थान में 2023 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। राजस्थान से जिन 3 उम्मीदवारों का चयन किया गया है, उनका राजस्थान से कोई नाता नहीं है। रणदीप सुरजेवाला, प्रमोद तिवारी और मुकुल वासनिक तीनों राजस्थान के लिए बाहरी हैं। सुरजेवाला हरियाणा के हैं, तो प्रमोद तिवारी उत्तर प्रदेश और मुकुल वासनिक महाराष्ट्र से हैं।
इसी तरह उत्तर प्रदेश से संबंध रखने वाले राजीव शुक्ला, प्रमोद तिवारी और इमरान प्रताप गढ़ी को राज्यसभा भेजने के फैसले पर भी सवाल उठ रहे हैं। नेताओं का कहना है कि यूपी विधानसभा चुनाव में केवल 2 सीट जीतने वाले कांग्रेस को 3 नेताओं को राज्यसभा भेजने की क्या जल्दी पड़ी है। ऐसे ही कांग्रेस ने राजीव शुक्ला और रंजीत रंजन को छत्तीसगढ़ से टिकट दिया है। वहां भी स्थानीय नेताओं की अनदेखी की गई है।
कांग्रेस नेतृत्व के टिकट वितरण तरीके को राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि असल में अगर कांग्रेस नेतृत्व के टिकट वितरण को देखा जाए तो उसमें साफ तौर पर गांधी परिवार से वफादारी रखने वालों को तरजीह दी गई है। जबकि उन पर सवाल उठाने वालों से दूरी बनाई गई है। इसके लिए स्थानीय नेताओं को नजरअंदाज किया गया है। क्योंकि अब कांग्रेस के पास ऐसी ताकत नहीं बची है कि वह अपने दम पर ज्यादा सीटें जिता पाए। 10 जून को होने वाले 57 सीटों में 10 सीटों पर कांग्रेस के लिए जीत आसान दिख रही है। इसीलिए राज्यसभा में विपक्ष के नेता रह चुके गुलाम नबी आजाद और पार्टी के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा को जी-23 में शामिल होने की सजा मिली है। वहीं पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम, जयराम रमेश, रणदीप सुरजेवाला, अजय माकन, राजीव शुक्ला, रंजीत रंजन को मुश्किल वक्त में गांधी परिवार के साथ खड़े रहने का ईनाम मिला है। जबकि गांधी परिवार के साथ तालमेल न बैठाने का खामियाजा पवन खेड़ा जैसे नेताओं को उठाना पड़ा है।