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यूपी में प्लास्टिक से बन रही सडक,अब नोएडा में मिली सफलता

 

बनी चाहे समंदर हों, धरती के ध्रुव हों या हिमालय जैसे पर्वत, या फिर जमीन, सब जगह प्लास्टिक बड़ी समस्या बन गया है। इसलिए अब धरती को बचाने के लिए जितने भी अभियान चल रहे हैं उनका पहला मकसद ही धरती को प्लास्टिक से मुक्त कराना है। प्लास्टिक हमारे जीवन में इस कदर घुस गया है कि कपड़े के झोले को भूल चुके हैं। प्लास्टिक से होने वाले नुकसान के मद्देनजर अब फिर से बाजार में कपड़े और जूट के थैलों का चलन शुरू हुआ है। इसी के साथ उत्तर प्रदेश में प्लास्टिक से सडक बनाने की भी शुरुआत हो चुकी है । लखनऊ और कानपुर के बाद गाजियाबाद में यह प्रयोग सफल रहा है। अब नोएडा में भी यह प्रयोग सफल हो गया है।

नोएडा में बेकार प्लास्टिक का इस्तेमाल करके बकायदा सड़क बना दी गई है। सेक्टर-14ए के सामने से महामाया फ्लाईओवर तक एक्सप्रेसवे पर 2.6 किलोमीटर लंबी सड़क के निर्माण में बिटुमिन के साथ बेकार प्लास्टिक का इस्तेमाल किया गया है । शहर में यह पहला प्रयोग है और इसे प्राधिकरण अधिकारी सफल बता रहे हैं ।

गौरतलब है कि करीब 2 महीने पहले नोएडा अथॉरिटी ने वेस्ट प्लास्टिक का इस्तेमाल करके सड़क बनाने में रुचि दिखाई थी । प्रदेश के तीन अन्य शहरों में भी इस तरह का प्रयोग किया गया है । इसी के चलते सेक्टर-14ए से महामाया फ्लाईओवर तक 2.6 किमी लंबी इस सड़क को बनाने में 6 टन बेकार प्लास्टिक का इस्तेमाल किया गया है ।

अधिकारियों की मानें तो सड़क निर्माण सामग्री में प्लास्टिक के उपयोग से इसकी मजबूती बढ़ेगी। अधिकारियों का तो यहां तक दावा है कि सामान्य सड़कों के निर्माण के तीन से चार वर्ष के बाद मरम्मत की जरूरत पड़ती है। वहीं प्लास्टिक कचरे को मिलाकर बनाई गई सड़क की मररमत की जरूरत 7 से 8 वर्ष तक नहीं पड़ेगी। सड़क पर बारिश का पानी का भी असर नहीं के बराबर होगा।

प्लास्टिक कचरे में पानी की खाली बोतल, ढक्कन, पॉलीथिन, रैपर आदि होते हैं। इन सभी को पिघलाकर तारकोल में मिलाया जाता है। प्लास्टिक से बनी सड़कों के लिए गिट्टी और तारकोल दोनों को मिलाया जाता है। पहला गिट्टी के साथ प्लास्टिक को मिलाया जाता है। दूसरा तारकोल के साथ प्लास्टिक को मिलाकर बाद में गिट्टी मिलाई जा सकती है। 60-130 डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच प्लास्टिक को पिघलाना होता है। प्लास्टिक को यदि 180 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर पिघलाया जाएगा तो वह पर्यावरण को नुकसान पहुंचाएगा।

इस प्लास्टिक को स्पेशल प्लांट में पिघलाकर बिटुमिन (कंक्रीट, बजरी, डामर) के साथ मिलाकर सड़क बनाई गई है । इससे सबसे ज्यादा फायदा इस बात का होगा है कि बेकार प्लास्टिक की रिसाइकिलिंग के लिए अलग से इंतजाम नहीं करना पड़ेगा ।

बताया जा रहा है कि नोएडा-ग्रेनो एक्सप्रेसवे के रिसर्फेसिंग का काम अक्तूबर में शुरू होगा। इसका बजट करीब 60 करोड़ रुपये होगा। इसमें जीरो माइल से 10 किलोमीटर और 10 से 20 किलोमीटर तक सड़क की री-सर्फेसिंग का काम होगा। इसे ढाई माह में पूरा कर दिया जाएगा। प्राधिकरण हर वर्ष सड़कों के रिसर्फेसिंग पर 1000 करोड़ रुपये खर्च करता है।

गौरतलब है कि देश में बहुत जल्द सिंगल यूज प्लास्टिक मोदी सरकार रोक लगाने की तैयारी में है । गत दिनों मोदी ने ग्रेटर नोएडा के एक कार्यक्रम में बकायदा इसकी घोषणा भी की थी। यही नहीं बल्कि कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में बनी हाई लेवल कमेटी ने इस पर अपनी रिपोर्ट भी बना ली है ।

माना जा रहा है कि 2 अक्टूबर से पहले सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया जाएगा । प्रदूषण से निपटने और प्लास्टिक के बढ़ते इस्तेमाल को कम करने के मकसद से केंद्र सरकार सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ मुहिम चला रही है ।

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