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पैदल यात्रियों के लिए सड़कें बनी मौत !

सड़क हादसे के शिकार केवल कोई वाहन चालक ही नहीं, बल्कि पैदल चलने वाले लोग भी होते हैं। सड़क हादसे की खबरों में हम पढ़ते हैं कार का एक्सीडेंट लेकिन वाहन वाले लोग ही हादसे के शिकार नहीं होते बल्कि भारत में हर 4 मिनट में एक पैदल यात्री की मौत हो जाती है। ये खुलासा हुआ है जर्मनी की बॉश लिमिटेड की एक हालिया रिपोर्ट में। इस रिपोर्ट को कंपनी ने संयुक्त राष्ट्र संघ के वैश्विक सड़क सुरक्षा सप्ताह में प्रस्तुत किया है।

रिपोर्ट पर बात की जाए तो पता चलता है कि देश की सड़को पर अब पैदल यात्रियों के लिए जगह ही नहीं है। पैदल यात्री खतरा मोल लेकर इन मौत की सौदागर सड़कों पर चलने के लिए विवश हैं। उन्हें खतरनाक सड़कों को अपनी सूझबूझ और जोखिम के साथ पार करना पड़ता है। सबसे अधिक कठिनाई होती है छोटे बच्चों और बड़े-बुजुर्ग लोगों को। वर्तमान में महानगरों की सड़कों पर नियम तो हैं लेकिन उन्हें न कोई मानता है न कोई व्यवस्था ही ठीक है। सरकार द्वारा केवल पैदल पार-पथ पट्टी का रंग-रोगन करके अपने कर्तव्यों की इतिश्री समझ लिया जाता है। लेकिन उन पर चलने का अधिकार पैदल यात्रियों को मिले, यह सुनिश्चित नहीं किया जाता है।

मई 2023 में सातवें संयुक्त राष्ट्र वैश्विक सड़क सुरक्षा सप्ताह (15-21 मई, 2023) के दौरान जर्मन इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी कंपनी बॉश लिमिटेड द्वारा सड़क पर पैदल यात्रियों की समस्याओं का पहला व्यापक अध्ययन किया गया था। कंपनी ने एक रिसर्च पेपर में कहा कि भारतीय सड़कों पर मारे जाने वाले हर दस लोगों में से एक पैदल यात्री होता है। हर दिन नब्बे पैदल यात्री कभी घर नहीं लौट पाते और 165 अस्पताल में घायल हो जाते हैं।

2021 में दिल्ली में 504, चेन्नई में 297, मुंबई में 174, बेंगलुरु में 160, अहमदाबाद में 161, गुरुग्राम में 118, हैदराबाद में 94 और कोलकाता में 78 लोगों की मौत सड़क हादसों में हुई। लगभग अस्सी प्रतिशत पैदल यात्रियों की मृत्यु कारों या हल्के वाहनों के कारण हुई। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, 2021 में कुल 18,900 पैदल यात्रियों की सड़कों पर मौत हुई। अधिकांश लोगों की मौत व्यस्त सड़कों पर उचित फुटपाथ व्यवस्था न होने के कारण होती है।

 

पैदल यात्रियों की मौत के कारण

रिपोर्ट में पैदल यात्रियों की मौत का मुख्य कारण पैदल यात्रियों द्वारा अक्सर वाहनों को गुजरने देने के लिए सड़क के बीच में ही रुक जाना बताया गया है।  हालांकि, पश्चिमी देशों में वाहन चालक पैदल चलने वालों को प्राथमिकता देते हैं।
क्या कहते हैं आंकड़े?

भारत के रोड एक्सीडेंट सैंपलिंग सिस्टम (RASSI) से 6,300 से अधिक मामलों पर आधारित विश्लेषण के अनुसार, लगभग 91 प्रतिशत दुर्घटनाओं में मानवीय त्रुटि पाई जाती है। जबकि बुनियादी ढांचे और वाहन कारकों के कारण क्रमशः 63 प्रतिशत और 44 प्रतिशत हादसे देखने को मिलते हैं।

पिछले साल आई विश्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक देश में हर साल 4.5 लाख सड़क दुर्घटनाएं होती हैं और इनमें 1.5 लाख मौतें होती हैं। ऐसे में देश में हर घंटे 53 सड़क दुर्घटनाएं होती हैं और हर 4 मिनट में 1 मौत होती है।

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