देश के कई राज्यों में बेरोजगारी दर तेजी से बढ़ी है। इस साल उच्च मुद्रास्फीति पर काबू पाना और लाखों लोगों के लिए रोजगार सृजित करना सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के आंकड़ों के मुताबिक केंद्र सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती है
हाल ही में एक ओर जहां भारत ब्रिटेन को पछाड़कर दुनिया की सबसे बड़ी पांचवी अर्थव्यवथा बना है वहीं दूसरी तरफ देश में बढ़ती बेरोजगारी का आलम यह है कि पिछले दो सालों में बेरोजगारी दर घटने के बजाए इसका ग्राफ अभी तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर 2022 में बेरोजगारी दर बढ़कर 8.30 फीसदी हो गई, जो पिछले 16 महीनों में सबसे अधिक है। चिंता बढ़ाने वाली बात यह है कि शहरी बेरोजगारी दर दिसंबर में बढ़कर 10.09 प्रतिशत हो गई, जो उससे पिछले महीने में 8.96 फीसदी थी, जबकि ग्रामीण बेरोजगारी दर 7.55 प्रतिशत से घटकर 7.44 हो गई।
सीएमआईई की रिपोर्ट में दर्ज आंकड़ों के अनुसार दिसंबर माह में सबसे कम बेरोजगारी दर ओडिसा में देखने को मिली जहां बेरोजगारी दर केवल 0.9 फीसदी ही दर्ज की गई है। वहीं दूसरी ओर इसके विपरीत सबसे अधिक बेरोजगारी दर हरियाणा में देखने को मिली जहां यह आंकड़ा 37.4 प्रतिशत तक पहुंच गया है। सीएमआईई ने देश के अन्य राज्यों के आंकड़े भी दर्शाए हैं जिसके अनुसार दिसम्बर माह में आंध्र प्रदेश की बेरोजगारी दर 7.7, असम 4.7, बिहार 19.1, छत्तीसगढ़ 3.4, दिल्ली 20.8, गोवा 9.9, गुजरात 2.3, हरियाणा 37.4, हिमाचल प्रदेश 7.6, जम्मू-कश्मीर 14.8, झारखण्ड 18.0, कर्नाटक 2.5, केरल 7.4, मध्य प्रदेश 3.2, महाराष्ट्र 3.1, मेघालय 2.7, ओडिसा 0.9, पुदुचेरी 4.7, पंजाब 6.8, राजस्थान 28.5, सिक्किम 13.6, तमिलनाडु 4.1, तेलंगाना 4.1, त्रिपुरा 14.3, उत्तर प्रदेश 4.3, उत्तराखण्ड 4.2 और पश्चिम बंगाल में 5.5 प्रतिशत बेरोजगारी दर रही।
रोजगार पैदा करना बड़ी चुनौती : अर्थव्यवस्था के जानकार मानते हैं कि 2024 चुनावों से पहले उच्च मुद्रास्फीति को रोकना और जॉब्स-मार्केट में आने वाले लाखों युवाओं के लिए रोजगार सृजित करना मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।
जुलाई-सितंबर में घटी थी दरः राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा संकलित और नवंबर में जारी तिमाही आंकड़ों के अनुसार, पिछली तिमाही में 7 .6 की तुलना में जुलाई-सितंबर तिमाही में बेरोजगारी दर घटकर 7 .2 रह गई थी।
बेरोजगारी के कारण : पिछले तीन वर्षों से कोरोना महामारी ने पूरे देश की अर्थव्यवस्था को हिला कर रख दिया। जिस कारण लोगों ने अपने रोजगार खोए और लोगों ने ग्रामीण इलाकों की ओर पलायन किया। जहां खेती और अन्य कई छोटे उद्योगों एवं सरकार द्वारा चलाई गई कई योजनाओं का लाभ उठाते हुए लोगों ने आजीविका हासिल की जिसके कारण बीते माह ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी दर सबसे कम देखने को मिली है। लेकिन शहरी इलाकों में बेरोजगारी के आंकड़े सबसे अधिक दर्ज किए गए। जिसका सबसे बड़ा कारण है बढ़ती आबादी।
जनसंख्या वृद्धि : स्टेट ऑफ द वर्ल्ड पॉपुलेशन रिपोर्ट में भारत इसी साल दुनिया का सबसे बड़ा जनसंख्या वाला देश बन जाएगा। ऐसे में जनसंख्या विस्फोट दिखाई देने लगा है और दूसरी ओर आर्थिक वृद्धि की दर अपेक्षा से कहीं ज्यादा कम रहा है, यही कारण है कि बेरोजगारी की समस्या गहराती जा रही है।
शिक्षा व्यवस्था : जानकार मानते हैं कि बेरोजगारी का दूसरा कारण शिक्षा व्यवस्था आजादी के 70 वर्षों के बाद भी लगभग 30 फीसदी जनसंख्या अशिक्षित है और केवल 10 प्रतिशत जनसंख्या ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट है। शेष 60 फीसदी जनसंख्या ने माध्यमिक तथा उच्च माध्यमिक शिक्षा भी पूर्ण नहीं किया है। देश की शिक्षा व्यवस्था में सबसे बड़ी गलती यह है कि यह केवल किताबी ज्ञान पर आधारित है इसमें कौशल तकनीकी ज्ञान को कोई महत्व नहीं दिया गया है परिणामस्वरूप युवा रोजगार के योग्य न होने के कारण उन्हें बेरोजगार रहना पड़ता है।
भ्रष्टाचार : बेरोजगारी के लिए तीसरा कारण कहीं न कहीं भ्रष्टाचार भी है। जिसमे सरकारें कहने को तो लाखो रोजगार हर वर्ष देती हैं लेकिन ये सब सिर्फ कागजों में ही सीमित रह जाती है। सरकार द्वारा मनरेगा (महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना), मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, राष्ट्रीय कैरियर सेवा योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम, दीन दयाल अंत्योदय योजना ऐसे न जाने कितने योजनाएं लागू कि गईं, और यदि ये सभी योजना सच में लोगों को रोजगार दे रहा है तो क्यों हर वर्ष लाखों मजदूर गुजरात, केरल, बिहार, उत्तर प्रदेश, ओड़िसा, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों से पलायन होकर दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों में आते हैं, यह सब भ्रष्टाचार ही है जो इन मजदूरों के साथ प्रति वर्ष किया जाता है।
कृषि व्यवस्था : कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ 60 फीसदी आबादी कृषि पर निर्भर है। लेकिन भारतीय कृषि मानसून पर निर्भर है। मानसून की अनिश्चितता के कारण कृषि क्षेत्र में रोजगार के अवसर अपेक्षा अनुसार नहीं बढ़ रहे हैं बाढ़ तथा सूखा भारतीय कृषि की सबसे बड़ी समस्या है जिससे बेरोजगारी साफ देखी जा सकती है। उद्योग क्षेत्र में कुटीर तथा लघु उद्योग श्रम ऊर्जा पर आधारित है और यह क्षेत्र रोजगार के ढेरों अवसर प्रदान करते हैं लेकिन समस्या यह है कि अधिकांश कुटीर तथा लघु उद्योग अपने कच्चे माल के लिए कृषि पर निर्भर होते हैं। अतः यह उद्योग केवल मौसमी रोजगार ही प्रदान करते हैं और इस क्षेत्र की गति इतनी धीमी है कि वह जनसंख्या वृद्धि के बोझ को सहन नहीं कर सकता है परिणाम स्वरूप बेरोजगारी का संकट गहराता जा रहा है।
बेरोजगारी निवारण के सुझाव
बढ़ती बेरोजगारी बीते सालों की तरह आने वाले साल में भी एक बड़ी समस्या का रूप ले सकती है जो देश के लिए एक बड़ी चुनौती है। देश में बढ़ती बेरोजगारी के कई कारण हैं जिसका समाधान करना आवश्यक है। बेरोजगारी दर में कमी लाने के लिए सरकार द्वारा कई बड़े कदम उठाये जा सकते हैं। जैसे सहायक और अनुपूरक उद्योगों का विकास, कृषि भूमि के क्षेत्र का विस्तार, स्वयं रोजगार योजना का विस्तार अर्थात् भारत के बेरोजगार नौजवानों को इस चीज के लिए प्रोत्साहित करना की वे स्वयं अपने रोजगार आरंभ करें, नौकरी के पीछे न भागें। जिससे रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी। इसी के साथ देश की जनसंख्या वृद्धि के नियंत्रण के लिए भी कदम उठाए जाने चाहिए, जो बेरोजगारी के प्रमुख कारणों में से एक है। जिसके लिए परिवार नियोजन के कार्यक्रम को बढ़ावा देना आवश्यक है। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर को कम करने के लिए कृषि के सहायक उद्योग-धंधों, जैसे-मुर्गीपालन, पशुपालन, मत्स्यपालन, दुग्ध व्यवसायी, बागवानी आदि का अधिक विकास किया जाना चाहिए।
सरकार द्वारा उठाए गए कदम
देश में बेरोजगारी की समस्या को देखते हुए केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा कई कदम उठाए गए हैं। बेरोजगारी से निपटने के लिए हाल ही में देश की सरकार ‘अग्निपथ योजना’ की शुरुआत की जिसके तहत इस साल 46 हजार युवाओं को सशस्त्र बलों में शामिल किया गया। योजना के मुताबिक युवाओं की भर्ती चार साल के लिए है और इसमें भर्ती होने वाले युवाओं को ‘अग्निवीर’ कहा जाएगा। अग्निवीरों की उम्र 17 से 23 वर्ष के बीच निर्धारित की गई है जिन्हें 30-40 हजार प्रतिमाह वेतन दिया जाता है। योजना के मुताबिक भर्ती हुए 25 फीसदी युवाओं को सेना में आगे मौका मिलेगा और बाकी 75 फीसदी को नौकरी छोड़नी पड़ेगी। अगर कोई अग्निवीर सेवा के दौरान शहीद हो जाता है तो उसके परिवार को एक करोड़ रुपए दिए जाएंगे और अगर सेवाकाल में ही दिव्यांग हो जाता है तो 100 प्रतिशत दिव्यांगता पर 44 लाख, 75 प्रतिशत पर 25 लाख व 50 प्रतिशत दिव्यांगता पर 15 लाख रुपए मिलेंगे।
इसी प्रकार एक अन्य योजना महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) है। जिसकी शुरुआत साल 2005 में की गई, यह योजना एक प्रकार से भारतीय श्रम कानून और सामाजिक सुरक्षा उपाय है जिसका उद्देश्य, ‘कार्य करने का अधिकार’ है। इस योजना को ‘एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों की गारंटीकृत मजदूरी रोजगार प्रदान करके ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका सुरक्षा को बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था, जिसके लिए प्रत्येक परिवार के वयस्क सदस्यों को अकुशल मैनुअल काम करने के लिए स्वयंसेवा किया गया था।’ इस योजना के तहत आवेदक को उसके निवास के 5 किमी के दायरे में रोजगार उपलब्ध कराया जाता है और न्यूनतम मजदूरी का भुगतान किया जाता है। यदि आवेदन करने के 15 दिनों तक रोजगार नहीं उपलब्ध है, तो आवेदक बेरोजगारी भत्ता के हकदार हैं।
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना
पीएमईजीपी योजना की शुरुआत 15 अगस्त 2008 में देश के बेरोजगार युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए शुरू की गई थी। इस योजना के तहत उन युवाओं को, जो अपना खुद का रोजगार शुरू करना चाहते हैं, उन्हें सरकार द्वारा 10 रुपए से लेकर 25 लाख रुपए तक का लोन प्रदान किया जाता है।
आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना
आत्मनिर्भर भारत योजना की शुरुआत साल 2020 के नवंबर महीने में कोरनोकाल के कारण बढ़ती बेरोजगारी की समस्या को देखते हुए देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा की गई थी। जिसके तहत उन प्रतिष्ठानों को सब्सिडी दी जाती है, जो रोजगार के लिए नई भर्तियां करते हैं। योजना का लाभ केवल उन्हीं लोगों को दिया जाता है जिनकी मासिक आय 15 हजार से कम होती है। इस योजना का उद्देश्य देश में रोजगार के अवसर को बढ़ावा देना है, ताकि बढ़ती बेरोजगारी को दूर किया जा सके।
सरकार पर हमलावर कांग्रेस
देश में बेरोजगारी, कीमतों में बढ़ोतरी और भाजपा की ‘विभाजनकारी राजनीति’ की बातें करते हुए मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने सितंबर 2022 में कन्याकुमारी से श्रीनगर तक एक मार्च जारी की है। जिसे ‘भारत जोड़ो यात्रा’ नाम दिया गया है। यह पैदल यात्रा 3 हजार 500 किलोमीटर तक होनी है। इसका नेतृत्व कर रहे कांग्रेस नेता राहुल गांधी बेरोजगारी महंगाई जैसे ज्वलंत मुद्दों को लेकर लगातार केंद्र की भाजपा सरकार पर हमलावर हैं।