देश में मुफ्त की चुनावी रेवड़ियों को लेकर चर्चा काफी लम्बे समय से ही चल रही है। जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और सभी राजनीतिक पार्टियों से इन पर रोक लगाने को कहा था लेकिन साल के अंत में होने वाले गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक पार्टियां सक्रिय हो गई हैं। यहां तक कि दिल्ली के मुख्यमंत्री और ‘आप ‘ के संयोजक अरविन्द केजरीवाल लगातार गुजरात का दौरा कर रहे हैं और इस बीच उन्होंने राज्य में कई ऐसे वादे किए हैं जो मुफ्त वाली हैं।
कुछ दिन पहले मुफ्त की रेवड़ियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका पर कोर्ट कहा है कि यह मुद्दा गंभीर है। इस पर अभी कोई फैसला नहीं कर सकते। इसकी अगली सुनवाई की तारीख 17 अगस्त को दी गई है। कोर्ट ने इस सुनवाई के दौरान कहा कि जनहित की स्कीम आर्थिक स्थिति दोनों में ही संतुलन बनाये रखना जरूरी है। इसलिए कोर्ट ने केंद्र सरकार को समिति बनाने के आदेश दिया है। कोर्ट के अनुसार देश में इस तरह का रवैया ठीक नहीं है। चुनावी वादे और सोशल वेलफेयर स्कीम में काफी फर्क होता है।
इससे पहले मुफ्त की रेवड़ियां बाटने वाली राजनीतिक पार्टियों का चुनाव चिन्ह और मान्यता रद्द करने की याचिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान कहा था कि अगर चुनाव आयोग ने इस मसले पर पहले कदम उठाए होते तो आज इस तरह की नौबत नहीं आती। कोई भी राजनीतिक दल मुफ्त की योजनाओं के चुनावी हथकंडे छोड़ना नहीं चाहती । इस मुद्दे को सुलझाने के लिए विशेषज्ञों की कमेटी बनाने की जरूरत है, क्योंकि कोई भी दल इस पर बहस नहीं करना चाहेगा। कोर्ट द्वारा की गई इस सुनवाई से अंदाजा लगाया जा रहा है कि यदि मुफ्त की रेवड़ियों से संबंधित किसी राजनीतिक दल की मान्यता रद्द की जाती है तो आधे से ज्यादा राजनीतिक दल खत्म हो जाएंगे।
गौरतलब है कि कई राजनीतिक दल चुनाव के समय लोकलुभावन और जनता को भ्रमित करने वाली घोषणाए करते है। पंजाब विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 18 साल से अधिक उम्र की सभी महिलाओं को 1,000 रुपए महीना देने का वादा किया। शिअद ने हर महिला को 2,000 रुपए देने का वादा किया ,कांग्रेस ने घरेलू महिलाओं को 2000 हजार रुपए माह देने का वादा किया। वहीं उत्तर प्रदेश में कांग्रेस द्वारा 12वीं की छात्रा को स्मार्टफोन देने का वादा किया गया । उत्तर प्रदेश में भाजपा ने 2 करोड़ टैबलेट देने का वादा किया था, गुजरात में ‘आप’ ने बेरोजगारों को 3000 रु. महीना भत्ता देने का वादा कर दिया है । हर परिवार को 300 यूनिट फ्री बिजली का भी वादा किया है। ऐसे कई वादे राजनीतिक दलों द्वारा किये गए थे।
मुफ्त की रेवड़ियों के विरोध में भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने ये जनहित याचिका दायर की है। इसमें मांग की है कि चुनाव में उपहार और सुविधाएं मुफ्त बांटने का वादा करने वाले दलों की मान्यता रद्द की जाए। जिस पर आम आदमी पार्टी ने भी सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की है। इस याचिका में पार्टी की तरफ से कहा गया है कि शिक्षा, स्वास्थ्य आदि जन कल्याण पर खर्च को मुफ्त रेवड़ी नहीं माना जा सकता। वहीं उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा चंद लोगों के कर्जे माफी और टैक्स माफी को मुफ्त रेवड़ी माना जाना चाहिए। चुनाव से पहले की घोषणाओं को अहमियत न दी जाए।इससे कोई घाटा नहीं होता। चुनाव बाद सरकार द्वारा दी जाने वाली रेवड़ी (योजनाओं ) को महत्व दिया जाए। आप पार्टी के अनुसार कुछ पार्टियां चुनाव से पहले वादे कुछ और करती हैं, पर सरकार बनने पर कुछ और करती हैं। आम आदमी पार्टी ने इसके लिए भारतीय जनता पार्टी का उदाहरण दिया कि कैसे 2014 लोकसभा चुनाव से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव से पहले हर भारतीय को 15-15 लाख देने की बात कही थी, लेकिन सरकार बनने के बाद कुछ चंद लोगों के दस लाख करोड़ माफ कर दिए थे।
बीजेपी ने की याचिका दायर
आम आदमी पार्टी द्वारा दाखिल की गई याचिका से पहले ही चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा किये जा रहे मुफ्त सुविधाओं, वादों और योजनाओं के प्रचार को लेकर बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। बीजेपी ने इसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की घोषणाओं का जिक्र किया था ।
बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने ये याचिका दायर की है । दायर की गई याचिका के मुताबिक वोटरों को लुभाने के लिए मुफ्त योजनाओं की घोषणाए करने वाले राजनीतिक दलों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी । याचिकाकर्ता की ओर से उनके वकील विजय हंसारिया ने कहा कि ऐसे राजनीतिक दलों को ऐसी घोषणाएं करने से पहले आर्थिक प्रभाव की ओर ध्यान देना चाहिए। याचिका में ऐसे राजनीतिक दलों पर विशेष निगरानी रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट से एक खास समिति बनाने की याचिका की गई। इस समिति में मुख्य चुनाव आयुक्त ,वित्त आयोग के अध्यक्ष ,रिजर्व बैंक के गवर्नर ,सीएजी ,नीती आयोग के सीईओ ,नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस ऐंड पॉलिसी के चेयरमैन और विधि आयोग के अध्यक्ष को शामिल करने की अपील की गई। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इसकी सुनवाई 3 अगस्त को गई थी। जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने सरकार और विपक्षी दलों से अगली सुनवाई तक सुझाव मांगे थे।
आम आदमी पार्टी – जनता की सुख सुविधाएं मुफ्त रेवड़िया नहीं
गौरतलब है कि पूर्व उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने जाते जाते राजनीतिक दलों को मुफ्त रेवड़ियों को लेकर आगाह किया था। उन्होंने राजनीतिक दलों द्वारा जनता को भ्रमित करने वाली घोषणाए राज्यों के वित्तीय व्यवस्था के लिए बड़ा खतरा बताया । दरअसल आम आदमी पार्टी के बाद तेलंगाना में सत्ता रूढ़ टीआरएस ने भी मुफ्त वाली घोषणाएं की है। हालांकि अपना बचाव करते हुए टीआरएस ने कहा है कि गरीबों के कल्याण वाली योजनाओ को मुफ्त की रेवड़ी नहीं कहा जा सकता।
अरविंद केजरीवाल पहले ही कल्याणकारी योजनाओं को मुफ्त की रेवड़ी कहे जाने को लेकर आपत्ति जता चुके है । पार्टी अब जनता से पूछेगी की क्या जनता को 200 यूनिट तक बिजली देना और 400 यूनिट तक बिजली उसके आधे दामों पर देना सही है या नहीं। आमजन को 20 हजार लीटर तक मिलने वाला पेयजल ,स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में मुफ़्त सुविधायें उपलब्ध कराने के बारे में भी जनता से वो राय मांगेंगे । केजरीवाल के मुताबिक विपक्षी दलों द्वारा जिन सुख – सुविधाओं को मुफ्त की रेवड़ी बताया जा रहा है वे सुख सुविधाएं जनता को मिलनी चाहिए। देश में ऐसा माहौल बनाया जा रहा है जहां गरीबों और आमजन को मुफ़्त शिक्षा ,पानी ,बिजली देना गुनाह बताया जा रहा है। आप पार्टी के अनुसार विपक्षी दल ये चाह रहे हैं कि गरीबों को मिलने वाली ये सुविधाएं बंद हो जानी चाहिए।
‘आप ‘ ने पूरा नहीं किया कोई भी वादा
बीजेपी ने आम आदमी पार्टी पर आम जनता को भ्रमित और गुमराह करने का आरोप लगाया है। बीजेपी अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने आम आदमी पार्टी पर आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना सहित गरीबों के हित में बनाई गई केंद्र सरकार की कई जनकल्याणकारी योजनाओं को राजधानी में लागू नहीं किया है । इन जनकल्याणकारी योजनाओं से दिल्लीवासियों को वंचित रखा गया, और अरविंद केजरीवाल मुफ्त योजना की बात कर रहे हैं।
बीजेपी नेता के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा जारी किये गए आयुष्मान योजना से गरीबों का 5 लाख तक का निशुल्क इलाज होता है। दिल्ली में इस योजना का लाभ 55 लाख लोगों को मिल सकता था। लेकिन दिल्ली के मुुख़्यमंत्री ने इसे दिल्ली में लागू नहीं किया। यही नहीं केजरीवाल पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली मुख्यमंत्री सिर्फ वादे और घोषणा करते हैं। आठ सालों में 39 योजनाएं बनाई गई लेकिन इसमें से अधिकतर योजनाओं पर कोई काम – काज नहीं किया गया। कोरोना महामारी के दौरान जान गवाने वालों के परिवार को दिल्ली सरकार द्वारा 1 करोड़ रूपये की आर्थिक सहायता देने का वादा किया गया था। लेकिन अधिकतर परिवारों को सहायता की ये राशि नहीं मिली । यही नहीं दिल्ली विधानसभा चुनावों के दौरान गरीबों को घर देने का वादा भी किया गया था। लेकिन झुग्गी झोपडी में रहने वाले लोगों को अभी तक मकान नहीं मिल पाया है । 1797 में से सिर्फ 353 अनधिकृत कॉलोनी में पानी पहुंच पाता है । ये वादा भी पूरा नहीं कर पाए।
दूसरे राज्यों में बेरोजगारी भत्ता देने का वादा करने वाले केजरीवाल को ये बताना चाहिए दिल्ली में कितने लोगों को बेरोजगारी का भत्ता मिल पा रहा है। 2013 में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में प्रत्येक वर्ष 100 स्कूल बनवाने का वादा किया था। राज्य में स्कूल बनाने के बजाए 31 स्कूल जरूर बंद कर दिए गए हैं । स्कूल बनवाने के साथ -साथ कॉलेज बनवाने का वादा भी किया गया था। दिल्ली सरकार द्वारा यह वादा भी पूरा नहीं किया गया उसके बावजूद सरकार कॉलेजों में फीस बढ़ाने की कोशिस कर रही है। इन सभी समस्याओं के साथ -साथ दिल्ली में सीवरलाइन की समस्या की ओर भी बीजेपी नेता ने ध्यान दिलाया। उनके मुताबिक तीन सौ से भी कम अनधिकृत कालोनियों में सीवर लाइन की सुविधा नहीं है। 50 हजार से ज्यादा फ्लैट जर्जर हो रहे हैं लेकिन झुग्गियों में रहने वालों को आवंटित नहीं किया जा रहा है। बीजेपी नेता आदेश गुप्ता ने दिल्ली मुख्यमंत्री से दिल्लीवासियों के लिए निजी स्कूलों में निशुल्क शिक्षा और निजी अस्पतालों में निशुल्क स्वास्थ्य सेवा गरीबों को उपलब्ध कराने की मांग की है।