देश में कोरोना ने फिर से पांव पसारना शुरू कर दिया है। ये चौथी लहर की आहट भी हो सकती है। स्वास्थ्य मंत्रालय के आकड़े भी इसी तरफ इशारा कर रहे हैं। ऐसे में एक बार फिर से सभी को सतर्क रहने की जरूरत है। देश में पिछले 24 घंटे के अंदर 56 लोगों की कोरोना संक्रमण के चलते मौत हो गई है। अब तक 2 हजार 380 लोग इसकी चपेट में आए हैं। देश के नौ राज्यों के 36 जिलों में हालात बेकाबू हैं। पॉजिटिविटी रेट पांच फीसदी से भी अधिक है। इसका सीधा अर्थ है कि जांच कराने वाले हर 100 लोगों में से पांच कोरोना पॉजिटिव पाए जा रहे हैं।
ऐसे में सबके जेहन में एक सवाल घूम रहा है कि क्या फिर से पाबंदियो को बढ़ाया जा सकता है ? क्या ये चौथी लहर है? जिस तेजी से मामले बढ़ रहे हैं उससे अनुमान लगाया जा रहा है कि क्या सरकार फिर से लॉकडाउन लगाने पर विचार करेगी ?
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से अपनी साप्ताहिक रिपोर्ट जारी की गई है। जिसमें देश के सभी जिलों में कोरोना के पॉजिटिविटी रेट का जिक्र है। साप्ताहिक रिपोर्ट में 13 से 19 अप्रैल तक के आंकड़े हैं। इसके मुताबिक, देश के नौ राज्यों में 36 जिले ऐसे हैं, जहां संक्रमण की दर पांच प्रतिशत से अधिक हो गई है।
केरल में सबसे अधिक 14 जिलों में तेजी से संक्रमण फैल रहा है। यहां पॉजिटिविटी रेट 14 प्रतिशत से 31.64 प्रतिशत तक है। दूसरे नंबर पर मिजोरम के आठ जिले हैं। यहां सात जिलों में पॉजिटिविटी रेट 10 प्रतिशत से अधिक है, जबकि एक में 6.87% है। इसके अलावा मणिपुर के दो, मेघालय के दो और अरुणाचल प्रदेश का एक जिला कोविड के बढ़ते मामलों की चपेट में है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देश में अभी 13 हजार 433 एक्टिव केस हैं। यानी, इन मरीजों का इलाज चल रहा है। रिकवरी रेट यानी मरीजों के ठीक होने की दर 98.76 फीसदी है। मतलब हर 100 मरीज में 98.76 लोग ठीक हो रहे हैं। अब अगर डेली पॉजिटिविटी रेट यानी हर रोज मिल रहे मरीजों का आंकड़ा देखें तो यह 0.53% है। बुधवार को देशभर में 4.49 लाख लोगों की जांच हुई थी और इनमें 0.53% लोग संक्रमित पाए गए। वहीं, वीकली पॉजिटिविटी रेट 0.43% है।
फिर से लगेगा लॉकडाउन?
इसी साल जनवरी में ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों को देखते हुए दिल्ली सरकार ने बड़ा फैसला लिया था। दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण यानी (डीडीएमए) के कोविड मैनेजमेंट के लिए तैयार ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन यानी जीआरएपी ने कहा था कि अगर लगातार दो दिन तक पॉजिटिविटी रेट पांच प्रतिशत या इससे ज्यादा रहा तो लॉकडाउन लगाया जा सकता है।
हालांकि, लॉकडाउन को लेकर केंद्र स्तर से कोई स्पष्ट गाइडलाइन नहीं है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रजनीकांत कहते हैं, ‘लॉकडाउन सबसे अंतिम विकल्प होता है। यह उस स्थिति में लगाया जाता है जब लगता है कि अब बिना इसके संक्रमण को नहीं रोका जा सकता है।’
डॉ. रजनीकांत के मुताबिक, ‘केंद्र सरकार की तरफ से अब कोई लॉकडाउन नहीं लगाया जा सकता है। शुरुआत में इसलिए केंद्र सरकार ने लॉकडाउन लगाया था, क्योंकि उस वक्त हमारे पास टेस्टिंग, हॉस्पिटल बेड, वैक्सीन व कोरोना से लड़ने के लिए अन्य संसाधन नहीं थे। आज सबकुछ अपने पास है। ज्यादा से ज्यादा आबादी को वैक्सीन लग चुकी है। बच्चों में भी वैक्सीनेशन की प्रक्रिया तेज हो चुकी है।’
राज्य और जिलों में लॉकडाउन के सवाल पर डॉ. रजनीकांत ने कहा, ‘यह राज्य सरकार और जिले के अफसर को तय करना है कि अगर उनके यहां कोरोना का पॉजिटिविटी रेट बढ़ रहा है तो उसे कैसे रोका जाए? इसके लिए उनके पास कई ऑप्शन होते हैं। मसलन वह कैंटेनमेंट जोन बना सकते हैं। नाइट कर्फ्यू जैसे अन्य प्रतिबंध लगा सकते हैं। अगर इसके बावजूद केस नहीं रुक रहे हों तो जिला स्तर पर लॉकडाउन लगाने का फैसला भी कर सकते हैं।’