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‘प्रधानमंत्री से इंसाफ की गुहार’

जम्मू एवं कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बने तीन बरस पूरे हो चुके हैं। अक्टूबर 2019 में जम्मू- कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित इकाइयों, जम्मू- कश्मीर और लद्दाख में बदलने के साथ ही केंद्र सरकार ने राज्य में विकास के नए आयाम पैदा करने की बात कही थी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 19 अक्टूबर 2019 को राज्यसभा में इस बाबत कहा था कि ‘मैं जम्मू-कश्मीर के लोगों को बताना चाहता हूं कि आर्टिकल 370 और 35ए ने उनका कितना नुकसान किया है। इन अनुच्छेदों के कारण यहां लोकतंत्र पूरी तरह स्थापित नहीं हो पाया। भ्रष्टाचार बढ़ा और विकास कार्य ठप्प पड़ गए।’ विकास लेकिन इन बीते तीन सालों में राज्य में लौटा नहीं है। उल्टे चुनी हुई सरकार के न होने का एक बड़ा खामियाजा आम जनता की कोई सुनवाई न होने और अपनी बात सरकार तक पहुंचाने के लिए दिल्ली में धरना-प्रदर्शन करने को मजबूर हैं। बीते कई दिनों से राज्य के संविदा कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर भीषण सर्दी में दिल्ली के जंतर-मंतर में धरनारत हैं। इन प्रदर्शनकारियों से हुई ‘दि संडे पोस्ट’ के प्रशिक्षु संवाददाता विजय साहनी की बातचीत के मुख्य अंश

आप लोग कौन हैं, कहां से हैं और क्या मांगें हैं आप लोगों की?
हम जम्मू-कश्मीर से आए हैं। संपदा विभाग से इस संपदा विभाग में हमारे 413 मुलाजिम हैं। मेरा नाम पुरुषोत्तम लाल है, हमारा मानना है कि जब घर में खाने को रोटी न हो, मुश्किल हालातों से गुजरना हो तो फिर रास्ता खुद-ब-खुद ही ढूंढना पड़ता है। हम किसी पार्टी-वार्टी से नहीं हैं। हम यहां मोदी सर से प्रार्थना करने आए हैं। जम्मू-कश्मीर में हम काफी समय से धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं पर वहां पर हमारी सुनवाई नहीं हो रही हैं हम यही आपके माध्यम से कहना चाह रहे है कि मोदी सर देखिए, जो आप कह रहे थे कि अच्छे दिन आएंगे, सबका साथ, सबका विकास, ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ पर बेटियां स्कूलों से बाहर निकलती जा रही हैं, हम बच्चों को पढ़ा नहीं पा रहे हैं। हमारी कोई सुन नहीं रहा है। जो हमारे उपराज्यपाल मनोज सिन्हा बैठाए गए हैं, वे तो बिल्कुल भी हमारी बात सुनने को राजी नहीं हैं। कैसे गुजारा होगा हमारा? हमें प्रत्येक दिन 300 व महीने के 9000 रुपए मिलते हैं। इतने कम पैसों में हम कैसे गुजारा करेंगे, डॉक्टर के पास जाएंगे, बच्चों की फीस भरेंगे, खुद का इलाज करवाएंगे, बच्चे जवान हैं उनका शादी करवाएंगे या खाएंगे। हमारे राज्य में तो कोई सुनवाई है नहीं इसलिए हम यहां जंतर-मंतर, दिल्ली में आए हैं। यहां हम आवाज उठाएंगे ताकि हमारी आवाज को हमारे प्रधानमंत्री मोदी साहब सुनेंगे, हमारे अमित शाह जी सुनेंगे ताकि वे एलजी मनोज सिन्हा साहब से बोल सकें कि इनका जल्द से जल्द मसला हल कीजिए जैसे लद्दाख में हुआ। एक हमारा अभिन्न अंग था वह लद्दाख उसको आपने केंद्र शासित का दर्जा दे दिया। उधर भी तो उपराज्यपाल बैठे हैं लेकिन वहां इंसाफ हो रहा है, पर जम्मू-कश्मीर में क्यों नहीं इंसाफ हो रहा है, क्यों नहीं मुलाजिम को इंसाफ मिल रहा है? जम्मू -कश्मीर में ऐसे हालात बन गए हैं कि सड़कों पर लोग निकल रहे हैं, धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। 162 दिन हो गए पीएचई वालों को धरना-प्रदर्शन करते हुए, हमें भी 52 दिन हो गए। हमारे प्रिंसिपल सेक्रेटरी, चीफ सेक्रेटरी और एलजी कोई भी सुनने को तैयार नहीं है तो हम कहां जाएंगे। दो दिन हो चुके हैं हमें खाना खाए हुए, हमारे पास पैसे इतने कम थे कि हमें ही पता है कि हम कैसे दिल्ली पहुंचे हैं।

आप लोग केंद्र सरकार के समक्ष अपनी बातें रख रहे हैं। क्या पहले जम्मू-कश्मीर में आप लोगों ने वहां की राज्य सरकार के समक्ष अपनी बातें रखी थीं?
जी रखी थी। वहां पर अभी भी हमारे लोग अपनी मांगों को लेकर आवाज उठा रहे हैं। हमें 52 दिन हो गए हैं वहां पर अपनी आवाज उठाते हुए। पिछली सरकारों ने हमें नियमित नहीं किया, हमने उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया। हमने बढ़-चढ़कर बीजेपी को आगे बढ़ाया। बीजेपी की 1 सीट होती थी, 1 से 8 सीटें हम लायें। 8 से 11 हुईं। 11 से 25 सीटें हो गईं। हम उम्मीद रखते हैं कि और भी सीटें लाएंगे लेकिन हमें हिसाब तो मिलना चाहिए। स्थायी मुलाजिम रहा नहीं, सब सेवानिवृत्त हो गए तो डेली वेजर वर्कर्स से ही काम चला रहे हैं। हमारा शोषण हो रहा है और हमें बिल्कुल भी हक नहीं मिल रहा है। मोदी सर अपनी मन की बात करते हैं इसलिए हमने भी सोचा कि हम भी दिल्ली जाकर मोदी सर को अपनी मन की बात सुनाएंगे।

आप लोग बता रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर में आप लोगों ने वहां की सरकार और स्थानीय प्रतिनिधियों के समक्ष अपनी मांगे रखीं, ट्टारना-प्रदर्शन किया, तो क्या कोई सुनवाई नहीं हुई?
बिल्कुल भी सुनवाई नहीं हुई। उन्होंने पांच सदस्य की एक कमेटी बना दी है पर इससे भी कोई समाधान नहीं हुआ। एलजी भी यही बोलते हैं कि हमने कमेटी बना दी है और भाजपा के नेता भी यही बोलते हैं कि हमने भी कमेटी बना दी है। 1 महीना, 2 महीना, 6 महीना, कब तक हम कमेटियों को देखते रहेंगे। सालों से हम कमेटियां ही देखते आ रहे हैं। हमारे बच्चों का साल-दर-साल बिगड़ता जा रहा है। हमारे हालात बिगड़ते जा रहे हैं और ये लोग कमेटियां ही बना रहे हैं। देखिए हम यह कहना चाहते हैं कि जो हमारे 25 विधायक हैं वे ही नहीं चाहते। अगर वे चाहें तो हर काम हो सकता है। क्योंकि प्रधानमंत्री जी को अगर वे पूरी बात विस्तार से बतायें और ठान लें कि हम इसका समाधान करा कर ही रहेंगे तो हमारे प्रधानमंत्री जी जरूर इसका समाधान निकालेंगे। ये लोग नहीं सुन रहे हैं इसलिए हमने खुद फैसला किया दिल्ली, जंतर-मंतर जाकर राष्ट्रीय मीडिया के जरिए हम देश को और प्रधानमंत्री जी को अपनी बात बताएंगे, जम्मू- कश्मीर की लोकल मीडिया हमारी बात सुन रही है हमें लगा हमारी आवाज यहां दिल्ली तक नहीं पहुंचती होगी। इसलिए हम यहां राष्ट्रीय मीडिया तक अपनी आवाज सुनाने आए हैं। जम्मू की जनता को पानी कौन पिला रहा है? एक डेली वेजर पिला रहा है, बिजली कौन दे रहा है? डेली वेजर दे रहा है? मनोज सिन्हा, आरआर भटनागर जो बड़े-बड़े सरकारी बंगलों में बैठे हैं इनके बंगले कौन चला रहा है? डेली वेजर कर्मचारी चला रहे हैं। लेकिन इनको इंसाफ नहीं मिल रहा है, हम यही प्रार्थना करना चाहते हैं नरेंद्र मोदी जी से।

आप लोगों के बातों से पता चल रहा है कि आप लोग किसी संगठन से जुड़े नहीं हैं, आप लोग भी डेली वेजर कर्मचारियों में से एक हैं और अपनी आमदनी में वृद्धि के लिए मांग कर रहे हैं ताकि आप लोगों की स्थिति सामान्य हो सके, क्या यही है?
बिल्कुल सर यही है, आपने बिल्कुल दुरुस्त फरमाया। हम किसी संगठन या राजनीतिक पार्टी से नहीं हैं। हमारा अपना ही मसला है, हम जितने भी बैठे हैं, सब एक साथ संपदा विभाग ;म्ेजंजम क्मचंतजउमदजद्ध में काम करते हैं, सब लोग निर्णय लेकर एक साथ आए हैं। इसे हमारा प्रार्थना समझ लो या चुनौती समझ लो अगर हमें इंसाफ नहीं मिला तो कल को हम अपने बीवी- बच्चों को भी यहीं लाएंगे फिर चाहे खुदखुशी कर लें या भूखे मर जाएं, लेकिन इस तरह की गुलामी और बंधुवा मजदूरी नहीं करेंगे।

वैसे यह मामला वहां की राज्य सरकार का है, यदि दिल्ली आने से पहले आप लोगों ने जम्मू-कश्मीर की सरकार के समक्ष अपनी मांगें रखीं तो आप लोगों को क्या जवाब मिला?
देखिए हम ही नहीं पूरे जम्मू-कश्मीर के डेली वेजर वर्कर्स के लोग परेशान हैं, सभी ने वहां की सरकार के समक्ष अपनी बातें रखीं पर उनका सिर्फ यही कहना होता है कि कमेटी बैठा दी है, पर इस कमेटी से आज तक कुछ हुआ नहीं। इन्होंने 2017 में डेली वेजर की आमदनी प्रत्येक दिन की 520 रुपये की लेकिन वह भी रद्द कर दिया अब इतनी महंगाई में 300 रुपये से क्या होता है?

कब तक यहां बैठ प्रदर्शन करते रहेंगे? वापसी का क्या सोचा है?
अभी तो हम नरेंद्र मोदी जी से हाथ जोड़कर प्रार्थना करने आए हैं कि हमारी समस्या सुन लो और इसे हल करो और इसके साथ-साथ राष्ट्रीय मीडिया के जरिए पूरे देश को भी दिखाने आए हैं कि भारत का जम्मू-कश्मीर किस संकट से गुजर रहा है। और यदि इस अपील से भी कोई सुनवाई नहीं हुई तो आने वाले समय में हम सब के सब यहां आ जाएंगे फिर हम पीछे नहीं हटेंगे चाहे कुछ भी हो जाए।

‘उचित मांगों का समाधान अवश्य निकाला जाएगा’

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा एक प्रोएक्टिव प्रशासक के बतौर राज्य में अपनी पहचान बना चुके हैं। नवंबर 2021 में उन्होंने जनता संग सीधा संवाद स्थापित करने के उद्देश्य से ‘जनता की स्कीम – जनता की भागीदारी’ योजना को शुरू किया था जिसके जरिए वे सीधे आमजन से संपर्क कर जनसमस्याओं का निवारण कर रहे हैं। ‘दि संडे पोस्ट’ ने जंतर-मंतर पर धरनारत राज्य के संविदाकर्मियों की बाबत उपराज्यपाल से बातचीत की

‘‘मैं इस विषय की जानकारी प्राप्त करवाता हूं। मोटे तौर पर यहां सत्तर-अस्सी हजार डेलीवेजेज कर्मचारी हैं जिनका चयन बगैर किसी संवैधानिक रूप से चयनित कमेटी द्वारा किया गया है। पांच लाख सरकारी कर्मचारी हैं। डेलीवेजेज कर्मचारियों को किसी विभाग में तीन हजार तो किसी में चार हजार के वेतनमान में रख लिया गया था। अब ये सभी स्थाई होना चाहते हैं। ये सभी 80 हजार लोग बैकडोर से एंट्री ले लिए गए हैं। राज्य सरकार के समक्ष पांच लाख स्थाई कर्मचारियों को वेतन देना ही भारी पड़ता है। यदि सभी को स्थाई किया गया तो गंभीर आर्थिक संकट खड़ा हो जाएगा। जैसा पंजाब व अन्य राज्यों में चार-चार महीनों तक वेतन नहीं मिलता है, वैसा ही संकट हमारे यहां हो जाएगा। आपसे इन धरनारत लोगों की जानकारी मिली है। मैं स्थानीय आयुक्त के जरिए इसकी पड़ताल करवाता हूं। इनकी उचित मांगों का समाधान अवश्य निकाला जाएगा।’’

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