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मिलावटी शहद बेच रही हैं नामी-गिरामी ब्रांडेड कंपनियां

अगर आप भी शहद का सेवन करते हैं तो इस खबर को पढ़ने के बाद आपको बड़ा झटका लग सकता है। शहद को भारत ही नहीं पूरी दुनिया में अतुल्य अमृत माना जाता है। लेकिन यही अतुल्य अमृत अब आपके स्वास्थ्य को खतरे में डाल सकता है। जी हां, क्योंकि जिन  ब्रांड्स को आप बेहतर मानते हैं और उनपर विश्वास करके शहद लेते हैं वहीं आपके साथ फूड फ्रॉड कर रहे हैं।

शहद का इस्तेमाल भारत के लगभग हर घर में किया जाता है क्योंकि शहद में कई औषधीय गुण समाए हुए हैं। लेकिन अब अतुल्य अमृत माने जाने वाले शहद में जबरदस्त मिलावट की जा रही है या यूँ कहें कि शहद के रूप में आपको मीठा जहर दिया जा रहा है। चिंताजनक ये भी है कि जिन ब्रांड्स या कंपनियों के शहद में मिलावट पाई गई है वो कोई सड़क किनारे भगोने में शहद बेचने वाले नहीं, बल्कि ग्राहकों को जिन बड़े-बड़े ब्रांड्स पर विश्वास है, यानी नामी गिरामी ब्राडेंड कंपनियां है।

शहद में मिलावट पाए जाने का यह बड़ा खुलासा सेंटर फार साइंस एंड एनवॉयरामेंट (CSE) द्वारा किया गया है। CSE की महानिदेशक सुनीता नारायण द्वारा इसका खुलासा किया गया है। उनके द्वारा बताया गया कि भारतीय बाजारों में बिक रहे शहद के लगभग सभी ब्रांडों में जबरदस्त तरीके से शुगर सिरप (Sugar syrup) की मिलावट की जा रही है। बता दें कि इससे पहले भी साल  2003 और 2006 के दौरान सॉफ्ट ड्रिंक में कीटनाशक की उपस्थिति का दावा किया था।

कोरोना काल में लोग कर रहे शहद का ज्यादा सेवन

सुनीता नारायण का कहना है कि शहद में भारी मात्रा में शुगर सिरप की मिलावट खाद्य धोखाधड़ी है। यह 2003 और 2006 में सीएसई द्वारा सॉफ्ट ड्रिंक में की गई मिलावट की खोजबीन से ज्यादा कुटिल और ज्यादा जटिल है। पहले से ही कोरोना के कारण लोग चिंता में हैं और बचने के मार्ग खोज रहे हैं। ऐसे संकट में अगर इस तरह की मिलावट सामने आती है चीनी के ज्यादा प्रयोग से हालात और चिंताजनक हो सकते हैं।

भारतीय लोग वैसे तो शहद का काफी प्रयोग करते हैं। लेकिन कोरोना काल में इसका इस्तेमाल और भी ज्यादा बढ़ गया है। इसके पीछे का कारण है कि लोगों में यह विश्वास है कि शहद विषाणुओं को खत्म करने में सक्षम है। मसलन एंटीमाइक्रोबियल और एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों के साथ इसमें प्रतिरक्षा को बनाने की क्षमता है। लेकिन इसके उलटे आपको शहद  के रूप में चीनी बेची जा रही है। जिससे मोटापा और अत्यधिक वजन बढ़ेगा और सम्भवतः यह आपको कोविड-19 संक्रमण के जोखिम में भी डाल सकता है।

मिलावट को पकड़ पाना बेहद कठिन

सीएसई के फूड सेफ्टी एंड टॉक्सिन टीम के कार्यक्रम निदेशक अमित खुराना की ओर से बताया गया कि हमने जो भी पाया वह चौंकाने वाला था। यह दर्शाता है कि मिलावट का व्यापार कितना विकसित है जो खाद्य मिलावट को भारत में होने वाले परीक्षणों से आसानी से बचा लेता है। हमारी चिंता सिर्फ इतनी भर नहीं है कि जो शहद हम खाते हैं वह मिलावटी है लेकिन यह चिंता इस बात को लेकर है कि इस मिलावट को पकड़ पाना बेहद जटिल और कठिनाई भरा है। हमने पाया कि शुगर सिरप इस तरह से डिजाइन किए जा रहे कि उनके तत्वों को पहचाना ही न जा सके।

बड़े बड़े बांड भी फेल हुए फेल

कहते हैं ऊँची दुकान फीका पकवान तो बस कुछ ऐसी ही कहानी है शहद बेचने वाले प्रमुख ब्रांड्स की। शहद के 77 फीसदी नमूनों में शुगर सिरप के साथ अन्य मिलावट पाए गए। जांचे गए कुल 22 नमूनों में केवल पांच ही सभी परीक्षण में पास हो पाए। शहद के प्रमुख ब्रांड्स जैसे डाबर, पतंजलि, बैद्यनाथ, झंडु, हितकारी और एपिस हिमालय, सभी एनएमआर टेस्ट में फेल हो गए। 13 ब्रांड्स में से सिर्फ 3 – सफोला, मार्कफेड सोहना और नेचर्स नेक्टर, सभी परीक्षणों में पास पाए गए।

गौरतलब है कि 1 अगस्त, 2020 से भारत में शहद के निर्यात पर एनएमआर परीक्षण अनिवार्य कर दिया गया है, जो इस बात का संकेत है कि भारत सरकार को मिलावटी व्यापार की जानकारी है। इसलिए उसे अधिक आधुनिक परीक्षणों की जरूरत महसूस हुई।

भारत और जर्मनी की प्रयोगशालाओं में हुआ है परीक्षण

किस तरह भारत मिलावट को भी पकड़ने में नाकाम है इसका भी खुलासा हुआ। ऐसा इसलिए क्योंकि जब भारत में सैम्पल्स की जाँच की गई तो 22 में से 5 ब्रांड्स पास हुए। लेकिन यही सैम्पल्स जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस स्पेक्ट्रोस्कोपी (NMR) द्वारा जांचे गए तो 13 ब्रांड्स में से केवल 3 पास हुए। इसपर संगठन का कहना है कि यह रिपोर्ट भारत और जर्मनी की प्रयोगशाला में हुए अध्ययनों पर आधारित है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की गई यह गहरी पड़ताल के अनुसार, भारत के सभी प्रमुख ब्रांड के शहद में बिना किसी डर के भारी मात्रा में मिलावट की जा रही है।

 77 फीसदी नमूनों में शुगर सिरप की उपस्थिति पाई गई। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस स्पेक्ट्रोस्कोपी (NMR) परीक्षण में 13 ब्रांड में सिर्फ 3 ब्रांड ही पास हुए।  जिसके बाद उनका कहना है कि भारत में  शहद के शुद्धता की जांच के लिए तय भारतीय मानकों के माध्यम से मिलावट को नहीं पकड़ा जा सकता, इसका कारण है चीन की कंपनियां जो ऐसे शुगर सिरप बना रही हैं जो भारतीय जांच मानकों से आसानी से बच निकलती हैं।

80 फीसदी तक मिलावट होने के बाद भी परीक्षण में पास

खुराना की ओर से बताया गया कि शहद पर अपने संदेह को दूर करने के लिए चीन की कंपनियों को ईमेल भेजे गए और उनसे आग्रह किया गया कि वे ऐसे सिरप भारत को भेजे। जो आसानी से भारत के परीक्षणों में पास हो जाएं। चीन से जवाब प्राप्त हुआ कि हमारे पास ऐसे सिरप हैं और उन्हें भारत भी पहुंचाया जा सकता है।

चीन ने दावा किया कि शहद में उनकी सिरप की 50 से 80 फीसदी तक भी मिलावट की जाएगी तो भी वे परीक्षणों में पास हो जाएंगी। परीक्षण को बाईपास करने वाले सिरप के नमूने को चीनी कंपनी ने पेंट पिगमेंट के तौर पर कस्टम्स के जरिए भेजा।

उत्तराखंड में है मिलावटी सिरप बनाने की फैक्ट्री

सीएसई की ओर से एक और बेहद चौंकाने वाला खुलासा किया गया। उसका कहना है कि मिलावटी सिरप बनाने वाली फैक्ट्री उत्तराखंड के जसपुर में पाई गई है। वे सिरप के लिए “ऑल पास” कोडवर्ड का प्रयोग करते हैं। सीएसई के अनुसंधानकर्ताओं ने उनसे संपर्क साधा और कुछ सैंपल ख़रीदे गए। ताकि पता लगाया जा सके कि क्या  यह शुगर सिरप प्रयोगशाला परीक्षण से पास हो सकते हैं, शुद्ध शहद में इन्हें मिलाया। जिसके बाद हैरान करने वाले परिणाम सामने आया। परीक्षणों में पता चला कि 25 फीसदी और 50 फीसदी शुगर सिरप वाले मिलावटी नमूने पास हो गए। जिसके बाद यह सुनिश्चित किया कि शुगर सिरप एफएसएसएआई के शहद मानकों को बाईपास कर सकते हैं।

चीन से जुड़े हैं है तार

भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने बीते वर्ष आयातकों और राज्य के फूड कमिश्नरों को बताया था कि देश में आयात किए जा रहे गोल्डन सिरप, इनवर्ट शुगर सिरप और राइस सिरप का प्रयोग शहद में मिलावट के लिए व्यापक तौर पर किया जा रहा है।

सीएसई के फूड सेफ्टी एंड टॉक्सिन टीम के कार्यक्रम निदेशक अमित खुराना ने कहा कि यह अभी भी साफ़ नहीं है कि क्या खाद्य नियामक इस काले कारोबार के बारे जानता है।  उनका कहना है कि एफएसएसएआई के निर्देश में उल्लिखित सिरप को उन नामों से आयात नहीं किया गया है या मिलावटी साबित नहीं हुआ है। इसके बजाय चीनी कंपनियां इस सिरप को फ्रुक्टोज के रूप में भारत भेजती हैं।

सीएसई ने अलीबाबा जैसे चीन के व्यापार पोर्टलों की जांच की, जिसमें उनके विज्ञापनों में दावा किया गया कि उनके फ्रुक्टोज सिरप भारतीय परीक्षणों को दरकिनार कर सकते हैं। यह भी पाया गया कि वही चीनी कंपनी जिसे फ्रुक्टोज सिरप को बढ़ावा दिया गया था, वह यह भी कह रही थी कि ये सिरप C3 और C4 परीक्षणों को दरकिनार कर सकते हैं और भारत में निर्यात किए जाते हैं। CSE ने इस मामले में और अधिक जानकारी हासिल करने के लिए एक अंडरकवर ऑपरेशन किया।

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