जब पीसीगले साल कोरोना वायरस महामारी की पुख्ता वैक्सीन का इंतजार लंबा खिंच रहा था । तब वैज्ञानिकों ने ही सुझाया था कि इस कारण अब पुरानी बीमारियों की दवाओं में ही इसका इलाज तलाशा जा रहा है ताकि, इस जानलेवा महामारी से थोड़ी राहत मिल सके। अब भी वैज्ञानिकों का कहना है कि इसके लिए संभावित दवाइयों की सूची में एंटी वायरल दवा रेमडेसिविर सबसे ऊपर है, जिसकी मदद से पांच साल पहले इबोला महामारी का इलाज किया गया था। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस दवा की मदद से कोविड-19 मरीजों की तुरंत रिकवरी के परिणाम भी सामने आए हैं।
कोरोना महामारी के बढ़ते संक्रमण के बीच इसके इलाज में इस्तेमाल हो रही दवाओं को लेकर कई तरह की बातें कही जाती रही थीं। इलाज में प्रायोगिक तौर पर इस्तेमाल के बाद उपचार प्रोटोकॉल में शामिल करने से लेकर, शोध में कारगर नहीं साबित होने तक दवाओं पर सवाल उठते रहे हैं। हालांकि कोरोना के इलाज में शुरुआत से ही यह कहा जाता रहा है कि चिकित्सक की निगरानी में ही इलाज किया जाना चाहिए और बिना डॉक्टरी सलाह के कोई दवा नहीं लेनी चाहिए। कोरोना के इलाज में कारगर दवाओं की खोज के दौरान ‘रेमडेसिविर’ ने अच्छा असर दिखाया। हालांकि हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस दवा पर सवाल उठाया है। वहीं, अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने इसे पूर्णत: मंजूरी दे दी थी ।
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अब जबकि लगातार कोरोना के पेशेन्ट बढ़ते जा रहे हैं। एक बार भी रेमेडेसिविर दवा की मांग बढ़ती जा रही है। राज्य सरकारें सुनिश्चित कर रही हैं कि इस दवा की कमी न होने पाएं।
मोदी सरकार लगातार देश के सभी फार्मासूटिकल कंपनियों से इस दवा को लेकर जानकारी इकट्ठा कर रही है। सभी राज्यों के फार्मासूटिकल विभागों (DOP) को आदेश भी जारी किए गए हैं कि वे केन्द्र सरकार को रेमेडेसिविर की उपलब्धता को लेकर जानकारी देती रहें।
लेकिन दूसरी तरफ NPPA ( नैशनल फार्मासूटिकल प्राइसिंग ऑथोरिटी) और AIOCD(ऑल इंडिया आर्गेनाईजेशन ऑफ केमिस्ट एंड ड्रग गिवर) ने इस दवा को लेकर अलग-अलग बयान दिया है।
NPPA जहां एक ओर दावा किया है कि गुजरात राज्य के साथ-साथ अन्य कई राज्य हैं जहां पर इस दवा की पर्याप्त उपलब्ध्ता है। तो दूसरी तरफ AIOCD ने इस दवा की विभिन्न राज्यों में जरूरी आपूर्ति को लेकर कई सवाल उठाए हैं। उनके अनुसार रेमेडेसिविर की भारी कमी देखी जा रही है और यह चिंता का विषय है।
जम्मू के सीएसआईआर-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटिग्रेटिव मेडिसिन के निदेशक राम विश्वकर्मा ने भी रेमेडेसिविर पर कहा था कि,फिलहाल एक ही प्रभावी तरीका है। पहले से अन्य बीमारियों के लिए मंजूर की गईं दवाओं को कोविड-19 के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। इसका एक उदाहरण रेमडेसिविर है।”
उन्होंने कहा भी है कि, “रेमडेसिविर लोगों को तेजी से रिकवर करने में मदद करती है और ज्यादा गंभीर बीमार मरीजों में भी मृत्युदर को घटाती है। यह कोरोना वायरस के खिलाफ जीवन रक्षक साबित हो सकती है।”