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विधानसभा चुनाव 2022  को लेकर अब जनवरी में  होगा फैसला

अगले साल यानी कुछ ही महीनों के भीतर देश के पांच अहम राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनावों को लेकर राजनीतिक रैलियां भी शुरू हो गई हैं। लेकिन पिछले दो सालों से कोरोना की मार अभी खत्म नहीं हुई है । इस दौरान कोरोना के  नए  म्युटेशन ‘ओमिक्रान ‘ ने चिंता बढ़ा दी है। इस खतरे के बीच अगले साल पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव सरकार के लिए कड़ी चुनौती साबित होने वाले हैं। इसी के मद्देनजर आज यानि 27 दिसंबर को चुनाव आयोग और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के बीच अहम बैठक हुई। बैठक के बाद चुनाव आयोग ने कहा है कि 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर अब जनवरी में फैसला होगा। चुनाव आयोग स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ जनवरी, 2022 में एक और बैठक करेगा। इसके बाद तय किया जाएगा कि चुनाव कराए जाएं या फिर उन्हें स्थगित कर दिया जाएगा।

 

दरअसल, आज 27 दिसंबर को चुनाव आयोग ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ अहम बैठक की। इस बैठक में पांच राज्यों उत्तर प्रदेश,उत्तराखण्ड , गोवा, पंजाब और  मणिपुर में कोरोना व ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों पर चर्चा की गई। इन राज्यों में 2022 में विधानसभा चुनाव कराए जाने हैं।

खबरों के  मुताबिक चुनाव आयोग द्वारा बुलाई गई बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ पहुंचे। इस बैठक में देश में बढ़ते ओमिक्रॉन संक्रमण, विशेषकर चुनावी राज्यों में ओमिक्रॉन व कोरोना की स्थिति व टीकाकरण पर चर्चा हुई ।

विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ ही दिनों में ओमिक्रॉन के रूप में कोरोना की तीसरी लहर भी बड़े पैमाने पर आ सकती है। इस बीच 2022 में पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर अधिसूचना भी जारी हो सकती है। हालांकि, पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के अनुभवों व इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी के बाद चुनाव आयोग कुछ सख्त कदम उठा सकता है। चुनाव आयोग के अधिकारी पहले ही कह चुके हैं कि वे पांचो राज्यों का दौरा कर वहां की जमीनी हकीकत को जांच कर ही कोई फैसला लेंगे।

क्या टल सकते हैं चुनाव 

अभी तक चुनाव आयोग के रुख के अनुसार चुनावों के स्थगन की संभावना बहुत कम है। अधिकारियों के मुताबिक चुनाव टालने से कई तरह के बड़े निर्णय लेने होंगे। जैसे जिन राज्यों में विधानसभा का कार्यकाल पूरा हो चुका है वहां राष्ट्रपति शासन लगाना होगा। वहीं सारी तैयारियां भी नए सिरे से करनी होंगी। हालांकि चुनाव आयोग इस बार प्रचार और भीड़ प्रबंधन पर बड़ा कदम उठा सकता है।

गौरतलब है कि गोवा, पंजाब, उत्तराखण्ड और मणिपुर विधानसभाओं का कार्यकाल अगले साल मार्च में अलग-अलग तारीखों पर समाप्त हो रहा है, जबकि उत्तर प्रदेश में विधानसभा का कार्यकाल मई में समाप्त होगा। निर्वाचन आयोग अगले महीने चुनाव की तारीखों की घोषणा कर सकता है। आयोग चुनाव प्रचार, मतदान के दिनों और मतगणना की तारीखों के लिए अपने कोविड-19 प्रोटोकॉल में सुधार को लेकर भूषण से सुझाव भी मांगे  है।

उत्तर प्रदेश में चुनावी तैयारियों का जायजा लेने के लिए कल 28 दिसंबर  को मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों के राज्य का दौरा करने का कार्यक्रम है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति शेखर यादव की पीठ ने गत सप्ताह  सरकार और निर्वाचन आयोग से उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को एक या दो महीने के लिए टालने और कोविड-19 की तीसरी लहर की आशंका के बीच सभी राजनीतिक रैलियों पर प्रतिबंध लगाने पर विचार करने का आग्रह किया था।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की टिप्पणी के बाद  मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा ने  कहा था कि  ”मैं अगले हफ्ते उत्तर प्रदेश का दौरा करूंगा। स्थिति की समीक्षा करने के बाद उचित फैसला किया जाएगा।” आयोग चुनाव पूर्व तैयारियों का जायजा लेने के लिए पहले ही पंजाब, गोवा और उत्तराखण्ड का दौरा कर चुका है।

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