सन 2005 की बात है जब गुर्जर समाज आरक्षण की मांग तो कर रहा था लेकिन आंदोलन प्रभावी नहीं हो पा रहा था। तभी एक रिटायर्ड कर्नल लाल पगड़ी पहने हुए गुर्जरों को एसटी में आरक्षण दिये जाने की मांग से जुड़ा था।
इसको लेकर जयपुर में एक दिन प्रेसवार्ता आयोजित हुई। उस दिन लाल पगड़ी पहने व्यक्ति को सबने देखा । मगर किसी ने भी गंभीरता से नहीं लिया। वह व्यक्ति और कोई नहीं कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला था ।
किसे पता था एक दिन यहीं रिटायर्ड फौजी आगे चलकर गुर्जर आरक्षण आंदोलन का अगुवा बनेगा। राजस्थान के गुर्जर समाज को 5 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए कर्नल बैंसला ने पूरी जान लगा दी थी। हालांकि इस आंदोलन में गुर्जर समाज के 70 लोगों की जान चली गई थी। वही कर्नल बैंसला गुर्जर आंदोलन के बड़े नेता के रूप में प्रसिद्ध हुए जिनके एक इशारे पर राजस्थान रुक जाता था।

कर्नल बैंसला ने सेना से रिटायरमेंट के बाद गुर्जर समाज के उत्थान के लिए जीवन समर्पित किया था। उन्होंने गुर्जर समाज के उत्थान के लिए आरक्षण दिलाने का बीड़ा उठाया था। ऐसे कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला कल रात इस दुनिया से रुखसत कर गए।
खास बात यह रही कि आंदोलन की शुरुआत से पूर्व गांव-गांव जन जागरण किया। वह अपनी महिंद्रा डीआई जीप को चलाकर रात-रात भर गांवों में जातें थे। जीप के बोनट पर उन्होंने एक स्लोगन लिखा था -‘हम होंगे कामयाब’।

आखिरकार गुर्जर समाज की दिशा और दशा बदलने में कर्नल बैंसला सफल हो ही गए। राजस्थान में आज गुर्जर समाज को जो 5 प्रतिशत आरक्षण मिला है यह कर्नल बैंसला के संघर्ष से मिला।
गुर्जर आरक्षण आंदोलन के अगुआ रहें कर्नल किरोड़ी बैंसला की कर्मस्थली भरतपुर का बयाना रहा । उन्होंने बयाना के पीलूपुरा में 2007 के आंदोलन में महत्वपूर्ण पहचान बनायी थी।

भारतीय रेल के इतिहास में पहली बार 26 दिनों तक रेलों का संचालन बंद रहा था। इसका श्रेय भी कर्नल बैंसला को ही जाता है। आंदोलन के बाद गुर्जर सहित 5 जातियों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण मिला था। याद रहे कि सरकार ने नया वर्ग एसबीसी बनाकर गुर्जर सहित 5 अन्य जातियों को आरक्षण दिया था।