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असली अनामिका बेरोजगार, नकली कर गई एक करोड़ पार!

असली अनामिका बेरोजगार, नकली कर गई एक करोड़ पार!

13 महीने में 1 करोड़ का फर्जी वेतन लेने वाली अनामिका शुक्ला आजकल सुर्खियों में है। फ़िलहाल वह यूपी के शिक्षा विभाग की सनसनी बन गई है। मजे की बात यह है कि असली अनामिका बेचारी बेरोजगार रह गई और फर्जी अनामिकाएं 25 जिलों में नौकरी पाकर सेलरी उठाने लगीं। अब जो सच सामने आ रहा है उसके अनुसार असली अनामिका ने आवेदन किया। लेकिन उसको नौकरी नही मिली। चौकाने वाली बात यह है कि यूपी के शिक्षा विभाग को अनामिका में काबिलियित नहीं दिखी लेकिन नंबरों से भरपूर अंकपत्र बहुत काम के लगे। इसके बाद फाइल से गिरोह ने कागज निकालकर 25 जिलों में फर्जी अनामिकाओं को नौकरी दे डाली। सबके खाते में सेलरी जाने लगी।

आज गोंडा बीएसए दफ्तर पहुंची असली अनामिका ने बताया कि उन्होंने 25 जिलों में कभी आवेदन किया ही नहीं था। बहरहाल असली अनामिका शुक्ला तो सामने आ गई है, लेकिन अभी बहुत से राज खुलने बाकि हैं। जिलों से लेकर लखनऊ स्थित शिक्षा निदेशालय तक के चेहरे बेनकाब होंगे। बस सरकारी नौकरशाह इस केस को रफा-दफा न करें तो। यह उत्तर प्रदेश के शिक्षा विभाग में घनघोर भ्रष्टाचार का उदाहरण है।

 

उधर, इस मामले में कांग्रेस की महासचिव व यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी ने अनामिका प्रकरण पर योगी सरकार की घेराबंदी की है। प्रियंका गांधी ने कहा है कि यूपी सरकार को अनामिका शुक्ला के घर जाकर माफी मांगनी चाहिए और उन्हें मानहानि का मुआवजा दिया जाना चाहिए। इसके साथ ही प्रियंका गांधी ने अनामिका के लिए सरकारी नौकरी की मांग करते हुए कहा कि यूपी सरकार उनके परिवार को सुरक्षा भी दे। अनामिका शुक्ला को पता भी नहीं था उसके नाम पर ये चल रहा है। यूपी सरकार और उनके शिक्षा विभाग की नाक के नीचे चल रही लूट की व्यवस्था ने एक साधारण महिला को अपना शिकार बनाया। ये यूपी में चौपट राज की हद है। प्रियंका गांधी ने एक ट्वीट जारी करके अनामिका शुक्ला को न्याय देने की मांग की है।

गौरतलब है कि अनामिका शुक्ला के नाम पर यूपी के कई जिलों में फर्जी तरीके से नौकरी करने के मामले में रोज नए-नए खुलासे होते रहे हैं। यह मामला सबसे पहले बागपत के बड़ौत में पकड़ में आया था। जांच हुई तो पता चला कि ऐसा खेल तो कई जिलों में चल रहा है। इसके बाद शुरू हुई अनामिका शुक्ला की तलाश। दो दिन पहले तक दो अनामिका सामने आ चुकी थी। बाकी की तलाश की जा रही है। वैसे जब सभी अधिकारी यह कह रहे हैं उन्होंने सत्यापन के बाद ही अनामिका को नौकरी दी, तो ऐसे में अब बड़ा सवाल यह है कि जब असली अनामिका आज सामने आई तो विभाग नकली अनमिकाओ को क्यों कौन अनामिका असली बताकर सामने लाता रहा।

याद रहे कि केस का खुलासा सबसे पहले बागपत में हुआ था। लेकिन कासगंज में सबसे पहली अनामिका शुक्ला पुलिस के हाथ लगी। यहां प्रिया नाम की लड़की अनामिका बनकर नौकरी कर रही थी। जैसे ही मामला मीडिया की सुर्खियों में आया प्रिया बीएसए आफिस इस्तीफा देने पहुंच गई। अधिकारियों को शक हुआ और पुलिस बुला ली गई। जांच में पहले तो यही पता चला कि यही अनामिका शुक्ला है। लेकिन कड़ी पूछताछ के बाद खुलासा हुआ कि यह तो प्रिया है। कल दोपहर के बाद प्रदेश के बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री डॉक्टर सतीश द्रिवेदी ने पत्रकारों को बताया कि अभी असली अनामिका नहीं मिली है।

इधर, शिक्षा मंत्री की पत्रकार वार्ता खत्म हुई उधर गोंडा के बेसिक शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में एक अनामिका शुक्ला नाम की महिला पहुंची। उसका दावा है कि वहीं असली अनामिका है और उसके ही शैक्षिक प्रमाण पत्रों के आधार पर यूपी के बाकी जिलों में फर्जी तरीके से नौकरी की जा रही है। गोंडा की इस अनामिका के मुताबिक इसने आजतक नौकरी ही नहीं की। वह तो बेरोजगार है। इस अनामिका के दावे के बाद से अधिकारियों में हड़कंप मच गया, क्योंकि ऐसे में अब शिक्षिकाओं के चयन समिति पर सवाल खड़े हो गए। हालांकि, सवाल तो कई है जिनका जवाब देना यूपी सरकार के लिए फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती है।

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