बढ़ती महंगाई को संतुलन में करने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के द्वारा लगातार कोशिशें की जा रही हैं। उन्ही कोशिशों के चलते एक बार फिर रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के गवर्नर ‘शक्तिकांत दास’ ने एमपीसी की तीन दिन चली बैठक के बाद रेपो रेट बढ़ा दिया गया है। मई से लेकर अब तक यह चौथा मौका है जब आरबीआई ने रेपो रेट में इजाफा किया है। रिजर्व बैंक की तरफ से कहा गया कि महंगाई सभी सेक्टर के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। ऐसे में रेपो रेट एक बार फिर बढ़ाना जरूरी बताया गया है।
एमपीसी (मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी) के 6 में से 5 सदस्य के बीच चली बैठक के द्वारा रेपो रेट बढ़ाने के पक्ष अधिक ज़ोर दिया गया। क्योंकि निरंतर बढ़ रही महंगाई को देखते हुए इस साल मई से अब तक लगातार चौथी बार रेपो रेट बढ़कर 5.90 प्रतिशत पर पहुंच गया है। इससे पहले जून और जुलाई में भी रेपो रेट में इजाफा किया गया था। रेपो रेट बढ़ने के बाद होम लोन, पर्सनल लोन और कार लोन की दरों में बढ़ोत्तरी हो जाएगी। दूसरी तरफ बैंकों के द्वारा ग्राहकों को एफडी पर दिये जाने वाले ब्याज को भी बढ़ा दिया जाएगा। इसके असर आने वाले दिनों में सभी तरह के होम लोन पर देखने को मिलेंगे।
रेपो रेट बढ़ने के कारण, अब तक यदि आपके होम लोन की ब्याज दर 7.90 प्रतिशत है तो अब इसके बढ़कर 8.40 प्रतिशत होने की संभावना है। 30 लाख के लोन पर मौजूदा ब्याज दर से 20 साल के लिए हर महीने आप 24,907 रुपये की ईएमआई दे रहे हैं, लेकिन ब्याज दर में 0.50 प्रतिशत का इजाफा होने पर यह ईएमआई बढ़कर 25,845 रुपये हो जाएगी। यानी हर महीने 928 रुपये ज्यादा चुकाने होंगे। इस हिसाब से हर साल करीब 11256 अधिक रुपये देने होंगे।
क्या होता है रेपो रेट?
जिस रेट पर आरबीआई की तरफ से बैंकों को लोन दिया जाता है, उसे रेपो रेट कहा जाता है। रेपो रेट बढ़ने का मतलब है कि बैंकों को आरबीआई से महंगे रेट पर कर्ज मिलेगा। इससे होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन आदि की ब्याज दर बढ़ जाएगी, जिससे आपकी ईएमआई पर सीधा असर पड़ेगा।