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चुनावी रण की पहली परीक्षा में ही तीसरा नंबर ले मायावती को चुनौती दे गए रावण

बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती की जमीन अब खिसकती हुई नजर आ रही है। लोगो की मानें तो पहले ही मायावती जमीन से दूर हो चुकी हैं। मायावती पर आरोप है कि वह अब लोगों के बीच जाने की बजाय सिर्फ मीडिया के जरिए प्रेस कॉन्फ्रेंस कर औपचारिकताएं पूर्ण करने की राजनीति कर रही है। मायावती गत दिनों प्रदेश में हुए 8 विधानसभा उपचुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पाई है। इस चुनाव में आठ में से 7 सीटों पर भाजपा ने परचम फहराया हैं। जबकि एक सीट पर सपा जीत गई हैं ।
 उत्तर प्रदेश में मायावती के लिए आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर रावण चुनौती बनते हुए दिख रहे हैं । विधानसभा उपचुनाव के बुलंदशहर में हुए चुनाव में वह मजबूती के साथ सामने आए । चंद्रशेखर रावण की आजाद समाज पार्टी बुलंदशहर के उपचुनाव में पहली परीक्षा में ही तीसरे नंबर पर पहुंच गई । हालांकि यहां बीजेपी प्रत्याशी उषा सिरोही ने जीत दर्ज कराई । दूसरे नंबर पर बसपा प्रत्याशी हाजी यूनुस रहे। जबकि राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के साथ ही लोकदल चंद्रशेखर रावण की पार्टी से नीचे रहे।
गौरतलब है कि भाजपा ने बुलंदशहर में दिवंगत विधायक वीरेंद्र सिंह सिरोही की पत्नी उषा सिरोही पर भरोसा जताते हुए मैदान में उतारा। उनके सामने बसपा ने इसी सीट पर पूर्व विधायक रहे दिवंगत हाजी अलीम के छोटे भाई और बुलंदशहर ब्लाक प्रमुख हाजी यूनुस को प्रत्याशी बनाया। जबकि रालोद और सपा गठबंधन से प्रवीण कुमार सिंह प्रत्याशी बनाए गए और कांग्रेस ने सुशील चौधरी पर दांव लगाया। पहली बार चुनाव मैदान में उतरी आजाद समाज पार्टी ने मोहम्मद यामीन को चुनावी मैदान में उतारा था।
यहा भाजपा प्रत्याशी को कुल 86879 मत मिले। जबकि बसपा प्रत्याशी को 65917  वोट मिले। जबकि तीसरे स्थान पर आजाद समाज पार्टी के  मोहम्मद यामीन रहे। इन्हें 13,402 मत प्राप्त हुए। चौथे स्थान पर रहे कांग्रेस प्रत्याशी को  10,137 वोट मिले। पांचवे स्थान पर रालोद सपा गठबंधन प्रत्याशी को 7132 वोट मिले।
 राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरो पर है कि महज एक दशक के राजनीतिक जीवन में मजबूती से उभर कर सामने आए भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर रावण ने पहले चुनाव में ही अपनी शक्ति का एहसास करा दिया है । चंद्रशेखर रावण  13 हजार से अधिक वोट लेकर तीसरे नंबर पर रहे। जबकि कांग्रेस कैंडिडेट चौथे नंबर पर रहे तो पांचवें नंबर पर समाजवादी पार्टी और लोक दल गठबंधन का प्रत्याशी रहा।
 बसपा के साथ समाजवादी पार्टी ने मिलकर लोकसभा का चुनाव लड़ा था। उसके बाद दोनों अलग-अलग हो गए थे। अब समाजवादी पार्टी ने लोकदल के साथ गठबंधन करके यह चुनाव लड़ा। जिसे 2022 का प्रयोग भी कहा गया। लेकिन बुलंदशहर में सपा और लोकदल गठबंधन का यह प्रयोग असफल साबित हो गया ।
बुलंदशहर में तीन मुस्लिम प्रत्याशी थे । जिनमें बसपा के कैंडिडेट के साथ ही चंद्रशेखर रावण और ओवैसी की पार्टी के उम्मीदवार भी मुस्लिम ही थे। ऐसे में अपनी पार्टी के उम्मीदवार को मजबूती से सामने लाना चंद्रशेखर रावण के लिए बड़ा लक्ष्य था। जिसमें काफी हद तक सफल हुए हैं ।
 फिलहाल बुलंदशहर उपचुनाव में साढे 13000 वोट पाकर चंद्रशेखर रावण चुनावी रण में मजबूती से सामने आए हैं। इससे सबसे ज्यादा नुकसान बसपा सुप्रीमो और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मायावती को हो सकता है। कारण यह है कि बुलंदशहर में जिस उम्मीदवार ने साढे 13000 वोट पाए है वह मुस्लिम है। मुस्लिम वोटों को बसपा के खाते से निकालकर चंद्रशेखर ने यह वोट पाई है।  जिस तरह से मायावती ने राज्यसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को सपोर्ट करने की बात कही उससे मुस्लिमों का उनसे विश्वास डगमगा गया। इसका फायदा चंद्रशेखर रावण को मिला है।
दूसरी तरफ यह भी कहा जा रहा है कि चंद्रशेखर रावण का दलित जाति से होना भी उनका प्लस्पॉइंट माना जा रहा है । क्योंकि मायावती भी इसी जाति से संबंध है। दलित वोटों पर उत्तर प्रदेश में अब तक मायावती का ही एकाधिकार चलता था । लेकिन बुलंदशहर उपचुनाव में चंद्रशेखर रावण के प्रत्याशी को मिली वोट कहीं ना कहीं यह संदेश देती नजर आ रही है कि दलित भी अब मायावती से छिटक रहा है। दलित वोट बैंक में ज्यादातर जाटव मतदाता है । जिनमें चंद्रशेखर रावण जाटव होने के साथ ही इस जाति के हीरो बनते नजर आ रहे हैं।
 पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चंद्रशेखर रावण ने भीम आर्मी से आजाद समाज पार्टी बनाकर सभी जाति के लोगों को अपने साथ लेकर मिशन 2022 की तैयारी कर दी है । इस पार्टी में वह हर जाति को साथ लेकर चल रहे हैं । गौतमबुध नगर जिले से चंद्रशेखर रावण ने अपनी पार्टी में पूर्व जिला पंचायत सदस्य रहे समाजवादी पार्टी के नेता रविंद्र भाटी को अपने साथ लेकर गुर्जर समाज का वोट आकर्षित करने की रणनीति बनाई है ।
आजाद समाज पार्टी कोर कमेटी के सदस्य रविंद्र भाटी ने बुलंदशहर उपचुनाव में गुर्जर मतदाताओं में अपनी छाप छोड़ी है। रविंद्र भाटी कहते हैं कि उनकी पार्टी को बुलंदशहर में सिर्फ 13 दिन के लिए ही चुनाव आयोग ने चुनाव चिन्ह आवंटित किया था। इसके चलते पार्टी के पास सिर्फ 13 दिन ही थे। इन 13 दिनों में ही पार्टी को अपने चुनाव चिन्ह को मतदाताओं तक पहुंचाना था।। यह चुनावी लिहाज से चुनौतीपूर्ण लक्ष्य था। जिसे उनकी पार्टी ने सफलतापूर्वक हासिल किया।
 जबकि दूसरी राष्ट्रीय पार्टियों के पास पहले से ही चुनाव चिन्ह था जो महीनों पहले से ही इस चुनाव चिन्ह के बलबूते मतदाताओं को आकर्षित करने में लग गए थे । आजाद समाज पार्टी नेता रविंद्र भाटी की माने तो वह विधानसभा चुनाव की पहली परीक्षा में पास हो चुके हैं। वह कहते हैं कि भाजपा में प्रत्याशी को जिताने के लिए आठ – आठ मंत्री और मुख्यमंत्री ने प्रचार किया। जबकि कांग्रेस में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय लल्लू और युवा नेता सचिन पायलट ने चुनावी रैलियां की। लेकिन उनकी पार्टी सिर्फ अध्यक्ष चंद्रशेखर रावण के बलबूते पर महत्वपूर्ण मुकाम तक पहुंची।

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