कोरोना ने न केवल पूरे विश्व को अपनी चपेट में लिया बल्कि और भी कई तरह की गंभीर बीमारियों को जन्म दिया है। शारीरिक बीमारियों से त्रस्त व्यक्ति अब मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी बीमारियों से भी जूझ रहा है। ऐसी मानसिक बीमारियां जो न केवल मनुष्य के रहन-सहन के तरीकों पर बल्कि उसके आस-पास मौजूद लोगों की ज़िन्दगियों पर भी दुष्प्रभाव डाल रही है। कोरोना के चलते व्यक्ति सामान्य जीवन में बेरोज़गारी, महंगाई, जैसी बड़ी-बड़ी परेशानियों से किसी तरह गुज़र ही रहा था ही कि अब मानसिक स्वास्थ्य विकारों का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। हाल के अध्ययनों में, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लोगों को इसके बढ़ते गंभीर खतरों के प्रति सचेत किया है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंस (निम्हान्स) के एक हालिया अध्ययन के अनुसार, शहर में पेइंग गेस्ट (पीजी) आवास में रहने वाले युवाओं को मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा होता है, जो गंभीर मामलों में अवसाद का कारण बन सकता है।
इसी तरह कनाडा के एक विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक हालिया अध्ययन में पाया गया कि कोरोना महामारी के बाद मानसिक स्वास्थ्य विकारों की घटनाओं में तेजी से वृद्धि हुई है। आठ में से एक में पहली बार महामारी के दौरान अवसाद का पता चला है, जो दर्शाता है कि महामारी की प्रतिकूल परिस्थितियों ने लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि सभी उम्र के लोगों को अपने मानसिक स्वास्थ्य को लेकर विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है, क्योंकि गंभीर मामलों का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। इसका दुष्प्रभाव लगभग हर आयु वर्ग के लोगों में देखा जाता है।
निम्हांस के शोधकर्ताओं ने अध्ययन में पाया कि लोगों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं तेजी से बढ़ी हैं, इसके बावजूद लोग कई कारणों से डॉक्टर के पास नहीं जाते हैं। निमहंस में एपिडेमियोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अरविंद कहते हैं, मानसिक स्वास्थ्य विकारों के जोखिम तेजी से बढ़ रहे हैं। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015-16 के अनुसार, 2.8 प्रतिशत भारतीयों को मूड डिसऑर्डर है, जबकि 3.5 प्रतिशत को चिंता और न्यूरोटिक स्वास्थ्य समस्याएं हैं। ऐसे जोखिमों को लेकर सभी लोगों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है।
पीजी रेजिडेंट्स को अधिक परेशानी
शोधकर्ताओं ने पाया कि अधिकांश पीजी निवासी जिन्हें मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का पता चला था, वे मादक द्रव्यों के सेवन करने वाले पाए गए। इनमें से कुछ शराब पीने के आदी थे तो कुछ तंबाकू के सेवन के। शोधकर्ताओं ने पीजी में रहने वाले लोगों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के लिए जिम्मेदार दो कारकों को पाया।
पहला- वे घर से दूर एक नए शहर में रहते हैं और लंबे समय तक काम करते हैं।
दूसरा – उन्हें भावनात्मक समर्थन की कमी होती है। ऐसे लोगों को अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में कठिनाई होती है।
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विकराल होती तनाव की समस्या
कोरोना महामारी के कारण मानसिक स्वास्थ्य विकारों का खतरा काफी बढ़ गया है। इस संबंध में हाल ही में कनाडा में हुए एक अध्ययन में वैज्ञानिकों की एक टीम ने लोगों को इसके बढ़ते खतरों के प्रति आगाह किया है। 20 हजार से अधिक लोगों के एक अध्ययन में पाया गया कि महामारी के दौरान पहली बार आठ वयस्कों में से एक ने अवसाद का अनुभव किया। दूसरी ओर जो लोग पहले से ही तनाव-अवसादग्रस्तता विकारों के शिकार थे, उनमें लक्षणों की गंभीरता अधिक दिखाई दी।
कोरोना महामारी
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एनवायर्नमेंटल रिसर्च एंड पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने कहा कि कोरोना महामारी ने लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को कई तरह से प्रभावित किया है। कम आय और बचत की समस्या, अकेलापन, स्वास्थ्य सेवा तक पहुँचने में कठिनाई आदि इसके लिए जिम्मेदार पाए गए।