[gtranslate]
Country

नहर में मिला रेप पीड़िता का शव ,जांच में जुटी पुलिस

देश में सख्त कानून होने के बावजूद बलात्कार के मामले कम होने का नाम नहीं ले रहा है। आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ के अवसर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी महिला सुरक्षा की भी बात करते है लेकिन उसका भी कोई असर देखने को नहीं मिल रहा है। उत्तर प्रदेश के उन्नाव से लेकर मध्य प्रदेश के जबलपुर तक की घटना इसकी गवाह है। ताज़ा मामला उत्तर प्रदेश के बाराबंकी का है, जहां नाबालिग रेप पीड़िता का शव एक नहर में मिला है। परिजनों का आरोप है कि जमानत मिलने के बाद से आरोपी केस वापस लेने का दबाव पीड़िता पर बना रहा था।

 

दरअसल, यह मामला सीतापुर के सकरन थाना क्षेत्र का है। पीड़िता 18 अगस्त से लापता थी। इसे लेकर परिजनों ने पुलिस में मामला भी दर्ज करवाई थी, जिसके बाद 21 अगस्त को नाबालिग की लाश बाराबंकी की एक नहर से मिली। फिलहाल मामले में पुलिस के हाथ खाली हैं और जांच चल रही है।एक रिपोर्ट के मुताबिक,उत्तर प्रदेश के पुलिस को शक है कि पीड़िता ने आत्महत्या की है। जिसके बाद पीड़िता का शव सीता पुर से बहकर बाराबंकी पहुंच गई होगी। बाराबंकी पुलिस के मुताबिक,परिजन लड़की की तलाश करते हुए सीतापुर से बाराबंकी पहुंचे। वहां ‘काजी बहटा’ गांव में एक लड़की की लाश मिलने की ख़बर उन्हें मिली। इसके बाद परिवार ने पुलिस को घटना की सूचना पुलिस को दी है। पीड़िता के पिता पिता ने कपड़ों के आधार पर शव की पहचान की है। इस पर मृतक पीड़िता के पिता का कहना है कि, पीड़िता 18 अगस्त से लापता थी। वो घर से ये बताकर निकली थी कि वकील से अपने रेप मामले की चर्चा करने के लिए जा रही है। लेकिन उसके बाद लौटी नहीं। इसके बाद परिवार वालों ने रिपोर्ट दर्ज करवाई। 21 अगस्त को नाबालिग की लाश एक नहर से मिली। जिसके बाद पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

पीड़िता का केस क्या है?

एक रिपोर्ट के मुताबिक,उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के एक गांव की लड़की ने 31 जनवरी, 2022 को अपने पड़ोस के गांव में रहने वाले धीरज शुक्ला पर शादी का झांसा देकर रेप करने का आरोप लगाया था। इसके अलावा पीड़िता ने तीन और लोगों पर जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया था। इस मामले में आरोपी धीरज शुक्ला को गिरफ्तार भी किया गया था। लेकिन जून में उसे ज़मानत पर रिहा कर दिया गया। जब 18 अगस्त को लड़की देर शाम तक घर नहीं लौटी तो परिवारवालों ने उसे तलाशना शुरू किया। परिवार को शक था कि पीड़िता के ग़ायब होने में धीरज शुक्ला और उसके दोस्तों का हाथ है। परिवार ने बेटी की जान पर खतरे की आशंका जताते हुए पुलिस में रिपोर्ट भी दर्ज करवाई। परिवार का कहना है कि आरोपी युवक लड़की और उसके परिवार पर केस वापस लेने का दबाव बना रहा था। इस मामले के बाद शक की सुई आरोपियों पर ही घूम रही है क्योंकि हाल ही में मध्य प्रदेश के जबलपुर से ऐसा ही एक मामला सामने आया था। जहां एक रेप के आरोपी ने जमानत पर रिहा होने के कुछ ही दिन बाद फिर से आपने दोस्त के साथ मिलकर पीड़िता के साथ कथित तौर पर बलात्कार किया और उसका वीडियो वायरल करने की धमकी देकर पीड़िता को केस वापस लेने का दवाव बनाया।

उदाहरण कई हैं लेकिन सबक शायद कम। तभी तो बिलक़ीस के अपराधियों को सरेआम मिठाई खिलाकर स्वागत किया गया और उन्हें इस कुकर्म के बाद भी संस्कारी बताया जा रहा है। ये न्याय की धज्जियां उड़ाने जैसा है। बलात्कार के आरोपियों या अपराधियों को छोड़ने के मामले में ध्यान देने वाली बात यह है कि इससे देश में संदेश जा रहा है कि कोई पीड़िता कितनी भी लड़ाई लड़कर अपने लिए न्याय पा ले लेकिन उसको मिलने वाला न्याय स्थायी नहीं बल्कि अस्थायी है।

न्याय के लिए लड़नी पड़ती है लंबी लड़ाई

देश में एक ओर महिलाओं के खिलाफ अपराध सुनामी की तरह बढ़ रहे हैं और तो वहीं उन्हें न्याय देने के लिए भारत में पर्याप्त सोच और आधारिक संरचना ही उपलब्ध नहीं है। पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक,देश में बलात्कार से संबंधित अपराध दर पिछले दो दशकों में 70% बढ़ गई है। जहां वर्ष 2001 में यह प्रति 1,00,000 महिलाओं में 11.6 थी। वहीं यह बढ़कर वर्ष 2018 में 19.8 हो गई। अपराध बढ़ रहे हैं लेकिन देश में हर 10 लाख लोगों के लिए जजों की संख्या मात्र 15 है।वर्ष 2016 में पार्टनर्स फॉर लॉ इन डेवलपमेंट द्वारा नई दिल्ली में किए गए एक अध्ययन में पाया गया था कि, फ़ास्ट ट्रैक होने के बावजूद बलात्कार के प्रति मामले में औसतन 8.5 महीने का समय लिया जा रहा है अर्थात अनुशंसित अवधि से 4 गुना अधिक। ऊपर से एनसीआरबी की रिपोर्ट से पता चलता है कि, बलात्कार के मामलों का बैकलॉग बहुत बड़ा है। महिलाओं के खिलाफ किए गए लगभग 89.6% मामले अभी भी लंबित ही हैं। इन लंबित मामलों के पूरा होने तक कई महिलाएं इस दुनिया में ही नहीं रहेंगी। ऐसे में बलात्कार के मामलों में लापरवाही निश्चित ही गंभीर मामला है। लेकिन इसमें उत्तर प्रदेश कहीं आगे ही नज़र आता है। यहां पीड़ित को प्रताड़ित करने के मामले लगातार सामने आते रहे हैं। वैसे भी महिला सुरक्षा के मामले में भाजपा सरकार प्रदेश में विफल ही नजर आती है।

गौरतलब है कि,वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव के रैलियों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महिला सुरक्षा के कसीदे पढ़ते नजर आ रहे थे। लेकिन राष्ट्रीय महिला आयोग की रिपोर्ट कुछ और ही कह रही है। आयोग के मुताबिक, वर्ष 2021 उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले सबसे ज्यादा दर्ज हुए है। जो महिला आयोग के कुल शिकायतों का आधे से अधिक है। एक अन्य रिपोट के मुताबिक,देश में वर्ष 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के लगभग 30 हज़ार से ज्यादा मामला सामने आए थे। जिसमे सबसे अधिक 15,828 मामले उत्तर प्रदेश से थी। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की मानें तो महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा क्राइम में भी उत्तर प्रदेश सबसे ऊपर है। यह वर्ष 2020 में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध के 49,385 मामले दर्ज कराये गये थे। बलात्कार के मामले में भी उत्तर प्रदेश पूरे देश में दूसरे स्थान पर है। यानी देश में राजस्थान के बाद उत्तर प्रदेश ही वो राज्य है जहां महिलाएं सबसे अधिक बलात्कार का शिकार हो रही हैं। वर्ष 2020 में देश भर में बलात्कार के कुल 28046 मामले दर्ज किए गए, जिसमें से अकेले उत्तर प्रदेश में कुल 2,769 मामले दर्ज हुए थे।

यह भी पढ़ें:थम नहीं रही नाबालिग लड़कियों से गैंगरेप के घटनाएं

You may also like

MERA DDDD DDD DD