वर्ष 2016 में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने संत समाज के एक बहुचर्चित शख्स को राज्यसभा सदस्य बनाने का ऑफर दिया था। लेकिन तब उस शख्स ने चांदी की थाली में परोसकर दिया जा रहा सांसद का पद ठुकरा दिया था। तब उन्होंने कहा था कि भाजपा द्वारा मेरे देश के कोने-कोने में फैले 16 करोड़ अनुयाइयों को अपने पाले में लाने के लिए यह प्रस्ताव दिया गया था।
करोडों अनुयाइयों के ऐसे गुरू और संत समाज के सर्वमान्य शख्स है डॉ. प्रणव पांड्या। जी हाँ, वही प्रणव पांड्या जो गायत्री परिवार के मुखिया है और फिलहाल हरिद्धार स्थित शांतिकुंज के अध्यक्ष भी हैं। इसके अलावा डॉ. पांड्या के पास देव संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति, ब्रह्मवर्चस शोध संस्थान के निदेशक तथा अखण्ड ज्योति पत्रिका के सम्पादक की जिम्मेदारी भी है। डॉ. प्रणव पांड्या को 1998 में ज्ञान भारती सम्मान, 1999 में हिन्दू ऑफ दि ईयर पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
यही नहीं बल्कि उन्हें अमेरिका के विश्वविख्यात अंतरिक्ष संस्थान ‘नासा’ द्वारा वैज्ञानिक अध्यात्मवाद के प्रचार-प्रसार के लिए भी सम्मानित किया जा चुका है। डॉ. प्रणव पांड्या का सबसे बड़ा परिचय यह है कि वह युग निर्माण योजना मिशन के जरिए गायत्री परिवार की स्थापना करने वाले पंडित श्रीराम शर्मा के दामाद हैं। देश के करोड़ों लोगों को सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाली देशव्यापी संस्था गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार के अध्यक्ष डॉ. प्रणव पांड्या फिलहाल एक गंभीर आरोप के चलते चर्चा में है।
डॉ. प्रणव पांड्या पर छत्तीसगढ़ की एक नाबालिग लड़की ने बलात्कार का आरोप लगाकर संत समाज में एक बार फिर सनसनी मचा दी है। इस नाबालिग लड़की के आरोप पर फिलहाल दिल्ली के यम विवेक विहार थाने में जीरो एफआईआर दर्ज करा दी गई है। जिसमें डॉ. प्रणव पांड्या और उनकी पत्नी शैलबाला पर धारा 376, 506 और 34 आईपीसी के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया है। बहरहाल, इस मामले को दिल्ली पुलिस ने उत्तराखंड के हरिद्वार कोतवाली स्थानांतरित कर दिया है ।
शांतिकुंज के अध्यक्ष डॉ. प्रणव पांड्या पर आरोप लगाने वाले लड़की ने जो एफआईआर में आरोप लगाए हैं वह बहुत गंभीर है जिसमें वह डॉ. प्रणव पांड्या की पत्नी शैलबाला को भी सहभागी बनाया है। दर्ज रिपोर्ट में डॉ. प्रणव पांड्या की पत्नी शैलबाला के नाम भी गंभीर आरोप लगाएं गए है। यही नहीं बल्कि आरोप लगाने वाली लड़की ने इस मामले की सीबीआई जांच कराने की भी अपील की है।
रिपोर्ट के अनुसार, आरोप लगाने वाली लड़की का कहना है कि वह छत्तीसगढ़ के एक गांव की रहने वाली है। अपनी जन्मतिथि बताते हुए वह कहती है कि मेरी जन्म तारीख 10 मई 1995 है। मेरा परिवार गायत्री परिवार शांतिकुंज से जुड़ा है, तथा उनका शांतिकुंज में आना जाना होता रहता है। वह बताती हैं कि 2010 में जब मैं लगभग 14 वर्ष की थी मनीराम साहू जो मेरे गांव के पास के हैं और गायत्री परिवार मिशन के कार्यकर्ता है, वे मुझे शांतिकुंज हरिद्वार में माताजी के चौके में भोजन व्यवस्था देखने, जप साधना करने तथा आगे की पढ़ाई-लिखाई के बाद शादी ब्याह करवा देने का भरोसा देकर शांतिकुंज हरिद्वार लेकर आए थे। मैं उन्हीं के साथ 19 मार्च 2010 को शांतिकुंज हरिद्वार पहुंची थी।
यहां पर मुझे माताजी की चौकी में 21 मार्च 2010 को शैल जीजी ने भोजन प्रसाद बनाने के लिए रख लिया। वहां उस समय लगभग 50 लड़कियां महिलाएं काम करती थी। लगभग 15 दिन के बाद मुझे डॉक्टर साहब तथा उनके परिवार की निजी सेवा के लिए शैल जीजी (पांड्या की पत्नी शैलबाला) द्वारा चुन लिया गया था। इस तरह अब मैं चौकी में ही 10 लड़कियों के विशेष समूह में शामिल कर ली गई। जहां अब मेरा काम डॉक्टर साहब और उनके परिवार के लोगों पर चाय, नाश्ता, भोजन, दवाई की व्यवस्था करना था। साथ ही हम लड़कियां ही जीजी की मालिश करते थे।
दोपहर 1:30 बजे हम 10 लड़कियों में से हर दिन एक एक लड़की की डयूटी शैल जीजी के ऊपर डॉक्टर साहब के कमरे मे कॉफी पहुंचाने की भी लगा रखी थी। बारिश के मौसम वाले दिनों जुलाई 2010 में जब मैं इन्हीं कामों में लगी थी, तब एक दिन जिसकी तारीख ठीक तरह याद नहीं दोपहर 1:30 बजे शैल जीजी के कहने पर ऊपर डॉक्टर साहब के कमरे में कॉफी देने गई।
डॉक्टर साहब ने मुझे अंदर आकर कॉफी टेबल पर रख देने को कहा। टेबल पर कॉफी रखते-रखते उन्होंने दरवाजा बंद कर दिया। फिर मेरा हाथ खींच कर मुझे बिस्तर पर बिठा लिया और जबरदस्ती मेरी साड़ी हटाकर मेरा बलात्कार किया। मैंने विरोध में उन्हें लात मारी। लेकिन वह ऐसे ही जबरदस्ती करते रहे। मैंने यह भी कहा कि ‘आप यह ठीक नहीं कर रहे हो’, तो उन्होंने कहा कि ‘बस 5 मिनट में छोड़ दूंगा’।
सात-आठ दिन बाद दूसरी बार फिर इसी तरह यही हुआ और उन्होंने मुझे किसी को नहीं बताने की धमकी भी दी। मैं बहुत डर गई। तीसरी बार आठ-दस दिनों बाद उन्होंने मेरा फिर से बलात्कार किया। इस बार मैंने कहा कि ‘जीजी को बता दूंगी’, तो उन्होंने मुझे धमकाया। फिर भी हिम्मत जुटाकर इस बार मैंने जीजी को बताया तो उन्होंने कहा कि ‘मुँह बंद करके रखो, किसी को बोलोगी तो तुम ही बदनाम हो जाओगी’। अब मेरी तबीयत बहुत खराब रहने लगी। मुझे अधिक ब्लडिंग होने लगी। जो 10 दिन लगातार चलती कुछ दिन रुकती और फिर शुरू हो जाती थी।
बार-बार यह समस्या आने लगी। फिर भी जीजी मुझे डॉक्टर साहब के कमरे में जाने को कहती। मैं इनकार कर देती थी तो जीजी मुझे गंदी गालियां देती। जीजी मुझे घर वालों के सामने ‘तुम्हें बदनाम कर देंगे, घरवालों को फंसा देंगे, जान से मरवा देंगे’ की धमकियां भी देती थी। मैं डर कर सहम कर रह जाती थी। शांतिकुंज चिकित्सालय में मेरी कुछ दिन दवाइयां चली। लेकिन ठीक से सुधार नहीं हुआ। बार-बार कई दिनों तक खून बंद नहीं होता था। ऐसे ही 2014 तक चलता रहा।
2014 में मेरी तबीयत इतनी बिगड़ गई कि मेरे घर वालों को बुला लिया गया। मुझे चुप रहने की धमकी देकर जीजी ने कहा कि ‘जाओ घर जाकर आराम करो,और किसी से कुछ कहा तो बदनाम कर देंगे, तुम्हारी बात कोई नहीं सुनेगा, मेरी बात सब मानेंगे, इसलिए अपना मुंह बंद रखना’। नवंबर 2014 को मुझे घर भेज दिया गया। मेरे शांतिकुंज से जाने के बाद भी यह लोग कुछ दिन बाद फिर से वहां आने की बात फोन करके कहने लगे। लेकिन जब मैं नहीं गई तो मुझे बदनाम करने लगे।
जब मेरी हालत कुछ सुधरी तो हिम्मत करके 2018 को मैंने शिकायत दर्ज कराने का प्रयास किया। जिसकी जानकारी डॉक्टर साहब को हो गई, तो उन्होंने मुझे फोन कर धमकी दी कि ‘तुम कुछ नहीं कर पाओगी’। आज निर्भया के दोषियों को सजा पाई देखती हूं तो मुझे फिर से हौसला मिला है और कानून पर विश्वास बढ़ा है। मुझे उम्मीद जगी है। अब आप से प्रार्थना है कि इसकी सीबीआई जांच जल्द से जल्द करवाएं। कानून के तहत दोनों दोषियों को सख्त से सख्त सजा दिलवाए। जिससे कि इस पवित्र मिशन की आड़ में फिर कोई ऐसा गलत काम अन्य बालिग-नाबालिग लड़कियों के साथ न कर सके।
लॉकडाऊन की वजह से मैं अभी 22 मार्च 2022 से यही दिल्ली में फंसी हुई हूं। मेरे साथी शक्ति (नाम बदला होना) द्वारा हस्तलिखित पत्र माननीय सीजेआई, एनएएल पीएमओ तथा एनसीडब्ल्यू को दिनांक 7 अप्रैल 2020 को ऑनलाइन इमेल किया गया है। जिसका प्रत्युत्तर और इस लाकडाऊन के अंतर्गत कार्रवाई हेतु वहां से आदेश पत्र की कापी भी संलग्न है।
विदित हो कि इस संदर्भ में प्रतिवादी की ओर से सोशल मीडिया एवं फोन से प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से धमकिया मुझे और मेरे सहयोगियों को मिल रही है। फिलहाल मैं यहां विवेक विहार में एक घर में हूं। लेकिन निवेदन है कि इसे गोपनीय रखा जाए ताकि मैं और मेरे सहयोगी हर प्रकार से सुरक्षित रह सके। अतः आपसे प्रार्थना है कि इस कार्रवाई को गति देने हेतु आप थाने में जीरो एफ आई आर दर्ज करके की कृपा करें।
उधर, पांड्या ने इसे साजिश करार दिया है और कहा है कि ”मुझ पर झूठे आरोप लगाए गए हैं। जिस शख्स ने यह शिकायत की है वह शांतिकुंज में रहता है।” साथ ही पांड्या ने यह भी आरोप लगाया कि वह शख्स अपनी पत्नी को भी उनके खिलाफ इस्तेमाल कर ब्लैकमेल करता रहता है।
प्रणव पांड्या के मुताबिक, वह 17 मई को लॉकडाउन खत्म होने के बाद उस शख्स को शांतिकुज आश्रम से निकालने पर विचार कर रहे हैं। साथ ही पांड्या कानूनी तरीके से पूरी लड़ाई लड़ने की भी बात करते हैं। गायत्री परिवार ने भी प्रणव पांड्या पर लगे आरोपों को बेबुनियाद बताया है। एक बयान में कहा गया कि ये आरोप 16 करोड़ भक्तों की भावनाओं को आहत करने की एक नाकाम कोशिश है और किसी बड़ी साजिश का हिस्सा है।
गौरतलब है कि पूर्व न्यायाधीश स्व. सत्यनारायण पांड्या के बेटे और शांतिकुंज आश्रम के प्रमुख डॉ. प्रणव पांड्या 1963 से गायत्री परिवार के संपर्क में आए थे। इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस करने वाले डॉ. प्रणव पांड्या शुरुआती वर्षों तक मिशन के कार्यों से अप्रत्यक्ष रूप से जड़े रहे। इसके बाद 1969 से 1977 के बीच वह गायत्री तपोभूमि मथुरा और शांतिकुंज हरिद्वार में आयोजित हुए कई शिविरों का हिस्सा बने।
इसी बीच, जून 1976 में उनकी तैनाती हरिद्वार स्थित भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बी एच ई एल ) में हो गई। वह जून 1976 से सितंबर 1978 तक हरिद्वार स्थिति बी एच ई एल और भोपाल के अस्पतालों के इन्टेंसिव केयर यूनिट से जुड़े रहे। इस बीच, वह मिशन के कार्यों से इस कदर प्रभावित हुए कि उन्होंने सितंबर 1978 में नौकरी से इस्तीफा दे दिया और हमेशा के लिए हरिद्वार चले आए। इसी दौरान युग निर्माण योजना मिशन के संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा ने हरिद्वार में ब्रह्मवर्चस शोध संस्थान की स्थापना की थी। हरिद्वार आने के बाद डॉ. प्रणव पांड्या को इस संस्थान के निदेशक की जिम्मेदारी सौंपी गई।
लेकिन समय के साथ-साथ डॉ. प्रणव पांड्या का प्रभुत्व शांतिकुंज में बढ़ता गया। पंडित श्रीराम शर्मा भी उनसे इस कदर प्रभावित थे कि उन्होंने अपनी इकलौती बेटी शैलबाला का विवाह उनसे करा दिया। शैलबाला से शादी के बाद से ही डॉ. प्रणव पांड्या को शांतिकुंज के अगले प्रमुख के रूप में देखा जाने लगा था। पंडित श्रीराम शर्मा के निधन के बाद न केवल शांतिकुंज, बल्कि पूरे गायत्री परिवार की बागडोर डॉ. पांड्या के हाथों में आ गई। इसके बाद से आज तक वे गायत्री परिवार और शांतिकुंज हरिद्वार के प्रमुख के तौर पर कार्य कर रहे हैं।
हालांकि, शांतिकुंज हरिद्वार की तरफ से मीडिया में विज्ञप्ति जारी कर अपना पक्ष रखा हैं। विज्ञप्ति में कहा गया हैं कि डाॅ. प्रणव पांड्या के खिलाफ टीवी चैनल पर झूठा दुष्प्रचार किया जा रहा हैं। संस्था ने मामले की निंदा करते हुए इसे संस्था प्रमुख की छवि धूमिल करने की सुनयोजित साजिश बताया। डॉ. पांड्या एक प्रसिद्ध आध्यात्मिक वैज्ञानिक व सामाजिक कार्यकर्ता के साथ ही अंतरराष्ट्रीय ख्याति के एक उच्च सम्मानित व्यक्तित्व हैं।
प्रचार में कोई सच्चाई नहीं है और आरोप के पीछे का उद्देश्य निहित स्वार्थ द्वारा बलात्कार के नाम पर पवित्र व्यक्तित्व की छवि को धूमिल करना हैं। प्रेस बयान में युवती के आरोपों को निराधार बताया हैं। लेकिन यहा ध्यान देने योग्य बात यह है कि विज्ञप्ति पर किसी भी अधिकृत व्यक्ति के न हस्ताक्षर है और न ही पत्रांक संख्या मौजूद है।
याद रहे कि डा. प्रणव पांड्या सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के बहुत करीबी माने जाते हैं। प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के साथ इनके गहरे ताल्लुकात है। तभी तो भाजपा का शाायद ही कोई सीएम होगा जो इनके दरबार में अपनी हाजिरी नहीं लगाता होगा। एक बार पांड्या उस समय भी चर्चा में आए थे, जब उन्होंने कहा था कि ‘मुझे कांग्रेस नेता राहुल गांधी की शक्ल अच्छी नही लगती है।’