झारखंड की राजधानी रांची अपराधियों का गढ़ बन गई है। वे खुलेआम यहां अपराध कर रहे हैं, लेकिन उन्हें पूछने वाला कोई नहीं। हालत यह है कि लॉकडाउन के समय जबकि जगह-जगह पुलिस का सख्त पहरा रहा, तब भी अपराधियों ने अपनी हरकतों को अंजाम दिया। इससे साफ है कि पुलिस-प्रशासन की या तो उन्हें खुली छूट है या फिर वह इससे बेखबर है।
रांची में अप्रैल से जून के बीच लॉकडाउन की अवधि के दौरान चोरी, हत्या और अपहरण की घटनाएं हुईं। इससे पुलिस व्यवस्था पर सवाल खड़े हुए हैं। रांची के आंकड़ों पर नजर डालें तो इस वर्ष रेप जैसी घिनौनी वारदातों में काफी इजाफा हुआ है। 2019 में अप्रैल-जून में 49 रेप के मामले सामने आए थे लेकिन इस बार 52 मामले दर्ज किए गए हैं। जिले में करीब 1000 से अधिक सुरक्षाकर्मी ड्यूटी दे रहे हैं, फिर भी रेप जैसी घटनाएं रूकने का नाम नहीं ले रही। हालांकि डकैती के मामलों में इस बार पिछले साल की तुलना में कमी आई है। जहां 2019 में अप्रैल-जून में 57 मामले सामने आए, वहीं इस बार डकैती के 41 मामले दज किए गए। हत्या के इस बार 41 और अपहरण के 36 केस सामने आए, वहीं बीते साल हत्या के 49 और अपहरण के 59 मामले दर्ज किए गए।
डॉकडाउन के दौरान सभी लोग अपने ही घरों में थे, लेकिन अपराधी बिना किसी डर के लोगों के घरों में घुसकर सेंधमारी करते रहे। सेंधमारी के मामले 2019 में 23 थे, वहीं इस बार बढ़कर 74 हो गए। लोगों में आक्रोश है कि अगर पुलिस इसी तरह अपराधियों को पकड़ने में नाकाम होती रही तो आने वाले दिनों में उनका जीना मुश्किल हो जाएगा।