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केदारनाथ की तरह ही आपदाओं से बेअसर होगा राम मंदिर 

हिमालय में स्थित केदारनाथ मंदिर की एक विशेषता यह है कि 13 वीं से 17 वीं सदी के बीच आए छोटे हिम युग में यह मंदिर करीब 400 साल तक बर्फ में दबा रहा, सदियों से हिमाल में आते रहे विनाशकारी भूकंप इसने देखे, लेकिन इसे कोई नुकसान नहीं हुआ। वर्ष 2013 की आपदा भी इस मंदिर ने झेली। निर्माण शैली की खासियत ही है कि तमाम आपदाएं झेलता आ रहा यह मंदिर ज्यों का त्यों खड़ा है। अब जबकि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है, तो यहां भी इसी बात का ध्यान रखा जा रहा है कि भविष्य में राम मंदिर कैसे प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षित रह सके।

राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने खुद ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी है। गौरतलब है कि हाल में 5 अगस्त को यहां आयोजित एक भव्य भूमि पूजन कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शिलान्यास किया था। बताया जाता है कि राम मंदिर निर्माण कार्य कुशल शिल्पियों द्वारा किया जा रहा है। निर्माण में इस बात का खास ध्यान रखा गया है कि यह मंदिर भूकंप रोधी और हजार सालों तक प्राकृतिक आपदाओं को झेलने में सक्षम हो। नींव के स्तंभ उतने गहरे होंगे जितने नदियों पर बनने वाले पुलों के होते हैं जिससे मंदिर भूकंप रोधी होगा।

मंदिर निर्माण का कार्य ‘लार्सन एंड टर्बो’ कंपनी कर रही है। मंदिर के नींव की योजना अंतिम चरण में है। जमीन की खुदाई और उसे समतल किये जाने के दौरान मिलने वाली प्रस्तर प्रतिमाओं को मंदिर में प्रदर्शन के लिये रखा जाएगा।

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