उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी अलग शैली के लिए चर्चित रहे हैं। आज तक सख्त मिजाज उनका राजनीति का प्लस्पॉइंट रहा है । राजनीतिक रूप से लोकप्रियता के तौर पर देखा जाए तो साढे 3 साल के कार्यकाल में उनको सीएम से पीएम पद के दावेदार के रूप में देखा जाने लगा है । उत्तर प्रदेश में अगर आपराधिक मुद्दों को छोड़ दिया जाए तो कोई ऐसा मुद्दा नहीं है जहां पर विपक्ष हावी होता दिख रहा हो।
राजनीतिक रूप से उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मजबूती से उभरते दिखाई दे रहे हैं। फिलहाल अगले महीने होने वाले राज्यसभा चुनाव उनके कद में इजाफा करेंगे । जिस तरह से राजनीतिक हालात बन रहे हैं उससे उत्तर प्रदेश की राज्यसभा सीटों में से 9 पर भाजपा कैंडिडेट की जीत तय है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की 10 लोकसभा सीटों पर चुनाव होना है। यह चुनाव प्रक्रिया 20 अक्टूबर से शुरू होगी और 9 नवंबर को राज्यसभा चुनाव होंगे। 10 राज्यसभा सीटों के सदस्यों का 6 वर्ष का कार्यकाल 25 नवंबर को पूरा होने जा रहा है। इनमें सपा के पास चार, कांग्रेस के पास एक, भाजपा के पास तीन तथा बसपा के पास 2 सीटें हैं।

इनमें कांग्रेस के पीएल पुनिया सहित सपा के 4 सदस्य जावेद अली खान, प्रोफेसर रामगोपाल यादव, डॉक्टर चंद्रपाल सिंह यादव और ललिता शर्मा शामिल है। जबकि बसपा के राजाराम और वीर सिंह तथा भाजपा के नीरज शेखर, अरुण सिंह और केंद्रीय मंत्री हरदीप पूरी आदि शामिल है। इन सभी का कार्यकाल 25 नवंबर को पूरा हो जाएगा ।
याद रहे कि वर्ष 2014 में जब राज्यसभा चुनाव हुए थे तब सबसे ज्यादा सीटें सपा के खाते में गई थी। तब सपा ने छह राज्यसभा सीटों पर कब्जा किया था । इनमें जावेद अली खान, प्रोफेसर रामगोपाल यादव, डॉक्टर चंद्रपाल सिंह यादव, आकाश वर्मा के अलावा मोहम्मद आजम खान की पत्नी डॉक्टर फातिमा और चंद्रशेखर के पुत्र नीरज शेखर शामिल थे।
उत्तर प्रदेश विधानसभा की कुल 403 सीटें हैं। जिनमें से 8 स्थान फिलहाल रिक्त हैं। जिन पर उपचुनाव हो रहा है। जबकि बाकी बची 395 सीटों में सहयोगी दल सहित भाजपा के पास 314 से अधिक विधायक है। इनमें अकेले 305 विधायक भाजपा के हैं। इस तौर से देखे तो राज्यसभा चुनाव में भाजपा का बहुमत स्पष्ट दिखाई दे रहा है । राज्यसभा के एक उम्मीदवार को जीत के लिए कम से कम 39 से 40 विधायकों का समर्थन चाहिए होता है । इस समय समाजवादी पार्टी के पास 48 विधायक हैं। जबकि बसपा के पास 18 , कांग्रेस के पास सिर्फ 7 विधायकों का समर्थन है। इस तरह दूसरे नंबर पर समाजवादी पार्टी है। जिसके 48 विधायक हैं। समाजवादी पार्टी अपने एक राज्यसभा सदस्य को जिता सकती है। जिसमें प्रोफेसर रामगोपाल का जीतना लगभग तय हैं।