समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजकुमार भाटी ने आज मास्टर स्ट्रोक खेल दिया। चुनाव से पहले ही उनके इस कदम को राजनीतिक गलियारों में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। आज सुबह लखनऊ में समाजवादी पार्टी के मुखिया और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सामने गौतम बुद्ध नगर बसपा के दिग्गज नेता रहे गजराज नागर हाथी से उतरकर साइकिल पर सवार हो गए।
गौतम बुद्ध नगर की राजनीति में इसे समाजवादी पार्टी की महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया जा रहा है। गजराज नागर को समाजवादी पार्टी में लाने का श्रेय समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजकुमार भाटी को जाता है। गजराज नागर बसपा सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के करीबी नेताओं में गिने जाते हैं। वह मायावती के भाई आनंद के खास हुआ करते थे । यही नहीं बल्कि गजराज नागर की पत्नी गौतम बुद्ध नगर जिले की जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी है। खुद गजराज नागर 2017 का विधानसभा चुनाव बसपा के टिकट पर मेरठ के किठौर से लड़ चुके हैं।

इससे पहले 2 अक्टूबर के दिन राजकुमार भाटी के नेतृत्व में दादरी क्षेत्र के 10 दिग्गज नेताओं ने अपनी पार्टी छोड़ समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर ली थी। जिनमें सेन समाज उत्थान समिति के अध्यक्ष बबलू सेन, दादरी के पूर्व सभासद सुधीर वत्स, पूर्व जिला पंचायत सदस्य संजय भाटी, पूर्व जिलाध्यक्ष भाजपा युवा मोर्चा व पूर्व अध्यक्ष कलेक्ट्रेट बार एसोसिएशन गौतमबुद्ध नगर अतुल शर्मा, पूर्व अध्यक्ष बार एसोसिएशन प्रमेंद्र भाटी, अक्षय भाटी, नीरज भाटी, अनिल भाटी, प्रिंस नागर, सोनू सेन ठाकुर व अन्य लोगों ने भी पार्टी की सदस्यता ली थी। इस तरह राजकुमार भाटी ने पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के सामने चुनाव होने से पहले ही अपनी शक्ति का एहसास करा दिया है।
दादरी ही नहीं बल्कि पश्चिम उत्तर प्रदेश के लिए राजकुमार भाटी एक आंदोलनकारी के रूप में आज से तीन दशक पहले उभर कर सामने आए थे। तब वह देहात मोर्चा के थिंक टैंक हुआ करते थे। “उनकी आवाज जो बोलते नहीं”। देहात मोर्चा का यह स्लोगन आज से दो दशक पहले हर किसी की जुबान पर था। खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश और यहां के जिला गौतम बुद्ध नगर और गाजियाबाद में तो मोर्चा दबे कुचले और मुजलिमो की आवाज बन गया था। इसका ही असर था कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोग हर शोषण, भ्रष्टाचार और जुल्मों सितम के खिलाफ हल्ला बोल देते थे। क्योंकि तब इन लोगों के पीछे देहात मोर्चा हुआ करता था । राजकुमार भाटी देहात मोर्चा में रहकर आंदोलन का पर्याय बन गए थे। सत्ता प्रतिष्ठान के खिलाफ जब भी कोई आवाज उठती तो उस आवाज को बुलंद करने वाले भाटी ही होते थे।
दादरी के विधायक रहे पश्चिम उत्तर प्रदेश के दिग्गज नेता महेंद्र भाटी के प्रिय शिष्य रहे राजकुमार भाटी चाहते थे कि यह आवाज लखनऊ विधानसभा में गूंजे। इसके चलते ही वह तीन बार विधानसभा का चुनाव लड़े। लेकिन दादरी क्षेत्र की जनता ने उन्हें नकार दिया।
जनता द्वारा बार – बार नकार दिए जाने के चलते वह आंदोलन आदि से दूरी बनाकर टीवी चैनल की डिबेट में रच बस गए। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उनकी इस प्रतिभा को पहचान कर उन्हें पार्टी का प्रवक्ता बना दिया। अपने तथ्यात्मक विवरण और तीखे तेवर से डिबेट में वह विपक्षियों को परास्त करते हुए नजर आते हैं।
एक बार फिर वह नए जोश में पूरे होश के साथ ‘पथिक विचार केंद्र’ के जरिए पुराने लिबास में आ रहे हैं। धीरे-धीरे वह फिर से जनता के दिलों दिमाग में छा रहे हैं इसी दौरान उनके द्वारा लिखा हुआ एक गीत “अखिलेश आ रहे हैं” बहुत चर्चित हुआ है। एक आंदोलनकारी नेता, पत्रकार और प्रोफेसर अब गीतकार के रूप में सामने आए हैं।