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राजस्थान: भीम आर्मी के सदस्य विनोद बामनिया की हत्या पर चंद्रशेखर ‘रावण’ ने क्या कहा ?

राजस्थान के हनुमानढ़ जिले में एक गांव जिसका नाम किकरालिया है वहां एक दलित युवक को पीट-पीटकर मार डालने का मामला सामने आया है।ऐसी ख़बरें लिखते वक़्त बनता है एक चित्र जिसमें एक अख़बार बनाया गया है, जहाँ किसी युवक या युवती के आगे दलित नहीं लिखा हुआ है।

इस मामले में इस युवक का नाम है विनोद बामनिया। विनोद की मौत का आरोप ओबीसी समुदाय के कुछ लोगों पर लगा है। युवक के घायल होने के बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन उसने कल दम तोड़ दिया। स्थनीय पुलिस ने बताया है कि मृतक किकरालिया गांव का रहने वाला था और भीम आर्मी का सदस्य था।

पुलिस ने आरोपियों के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 307, 323, 341, 143 और SC-ST ऐक्ट समेत तमाम धाराओं में तहत केस दर्ज किया है।हालांकि अब विनोद की मौत के बाद पुलिस ने धारा 307 हटाकर धारा 302 लगा दी है, जो हत्या करने पर लगती है।

5 जून को हुए इस मामले में मृतक के चचेरे भाई और चश्मदीद गवाह मुकेश ने कहा एफआईआर में जो बयान दिया है उसके अनुसार,
आरोपी विनोद को पीटते हुए बार-बार यह कह रहे थे कि ,’आज तुम्हें तुम्हारी अम्बेडकर विचारधारा याद दिला देंगे।’
मुकेश की माने तो विनोद को इसलिए पीटा गया, क्योंकि उसने इन लोगों के खिलाफ शिकायत की थी। युवक को पीटते हुए और भी कई जातीय टिप्पणियां की गईं।

मृतक विनोद बामनिया, महज 21 वर्ष का था।फ़िलहाल पुलिस ने पीड़ित परिवार की शिकायत के बाद चार में से दो लोगों को गिरफ्तार किया है। दोनों आरोपियों के खिलाफ पोस्टर को फाड़ने और युवक से मारपीट करने के मामले में रिपोर्ट दर्ज की गई है।

विनोद से बदला लेना चाहते थे आरोपी!

पुलिस ने बताया है कि मृतक युवक ने पहले भी कई बार अलग-अलग मामलों को लेकर उन लोगों की शिकायत की थी। इस मामले में मृतक के चचेरे भाई और चश्मदीद गवाह मुकेश ने भी इस बात की पुष्टि की है।मुकेश ने कहा कि विनोद ने इससे पहले अन्य युवकों के साथ मिलकर आंबेडकर की जयंती मनाई थी और घर के बाहर पोस्टर भी चिपकाए थे, जिसके बाद आरोपियों ने उन्हें फाड़ दिया और वहीं से विवाद शुरू हुआ।

‘दि संडे पोस्ट’ से बात करते हुए भीम आर्मी के चीफ़ चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ ने कहा कि,

“आप देखिए कि अगर अम्बेडकर के पोस्टर लगाने से यह हरक़त की जा रही है तो समाज में जातिवाद की जड़ें कितनी मजबूत हैं।
विनोद भीम आर्मी का बेहद ही सक्रिय कार्यकर्ता था। पुलिस ने अभी तक मुख्य आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं की है। मैं हमेशा से कहता हूं कि बदलाव लाना है तो सत्ता में आना ही पड़ेगा, जैसा कि कांशीराम जी मानते थे। मैं विनोद के मामले में यूं ही चुप बैठने वाला नहीं। फिलहाल विनोद की डेड बॉडी लेकर जो धरना हो रहा था वह परिवार से संवाद के बाद ख़त्म कर दिया गया। हम नहीं चाहते कि कोविड काल में कोई ऐसा कदम हम उठाएं जिससे किसी तरह से किसी नियम का उल्लंघन हो।

लेकिन विनोद के मामले में यदि पुलिस ने किसी के दबाव में आकर भेदभाव किया तो हम पूरे राज्य में सरकारी कार्यालयों पर ताला लगा देंगे। अधिकारियों को घुसने नहीं दिया जाएगा। मुख्यमंत्री आवास और कार्यालय के सामने भी धरना किया जाएगा।जाति की जड़ों ने इतना जहर बो दिया है कि इस तरह के मामले कम ही नहीं हो रहे हैं। बिहार में भी एक और घटना हुई है।

मुझसे पूछा गया कि विनोद के मामले में फ़ेसबुक लाइव या डायरेक्ट ट्वीट क्यों नहीं किया गया। मुझे बताइये क्या ये सरकार सिर्फ ट्वीट कर देने से न्याय कर रही है? ट्वीट कर देने से क्या बेरोजगारों को रोजगार मिल रहा है?”

विनोद के भाई मुकेश ने साफ़ तौर पर दो आरोपियों का नाम लिया है। उनके अनुसार, ”हाल ही में, हमारे गांव में रहने वाले अनिल सिहाग और राकेश सिहाग सहित कुछ लोगों ने बाबासाहेब अंबेडकर के बैनर फाड़ दिए थे, जो 14 अप्रैल को अंबेडकर जयन्ती से हमारे घर के बाहर लगे थे। उनकी पहचान करने के बाद, हमने उनके परिवारों से शिकायत की। पंचायत की मध्यस्थता से मामला सुलझ गया और उनके परिजनों ने उनकी ओर से माफी मांगी।”

 

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