राजस्थान में विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस गहलोत और पायलट की रार को राहुल गांधी के आने से खत्म होने का दावा कर रही है तो वहीं बीजेपी में अभी तक सीएम फेस को लेकर असमंजस बना हुआ है। हालांकि सभी बीजेपी नेता एक सुर में कह रहे हैं कि राजस्थान में बीजेपी पीएम मोदी और कमल के निशान पर सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी लेकिन सीएम फेस को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और बीजेपी के प्रदेश मुखिया सतीश पूनिया की अंतर्कलह जगजाहिर है, जहां दोनों खेमों के नेताओं के बीच लंबे समय से जंग छिड़ी हुई है।
इस बीच वसुंधरा राजे का हाल में एक बयान आया जहां राजे ने पहली बार बीजेपी में सीएम चेहरे को लेकर जारी विवाद पर अपनी चुप्पी तोड़ी है। राजे ने कहा कि बीजेपी में जो भी फैसला होगा वह ठीक ही होगा और पार्टी सामूहिक निर्णय करेगी। राजे के इस बयान के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी आलाकमान राजस्थान में भी बिना किसी चेहरे के चुनावी मैदान में उतर सकता है। बीते दिनों बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय चुनाव प्रबंधन समिति के सदस्य ओम माथुर ने कहा था कि बीजेपी विधानसभा चुनाव में बिना मुख्यमंत्री के चेहरे की घोषणा करते हुए चुनावी मैदान में जाएगी। राजे ने कहा है कि बीजेपी में जो भी फैसला होगा वह ठीक ही होगा और पार्टी सामूहिक निर्णय करेगी। उन्होंने कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेता अब तक कई राज्यों के विधानसभा चुनाव में व्यस्त थे, अब सबका ध्यान राजस्थान पर जाएगा और हम सब मिलकर बेहतर फैसला करेंगे। इसके साथ ही वसुंधरा राजे ने भरोसा जताया कि बीजेपी आने वाले चुनावों में भारी बहुमत से प्रदेश की सत्ता में लौट रही है।
गौरतलब है कि राजे के सीएम फेस को लेकर दिए गए बयान के पीछे उनका आलाकमान पर भरोसा माना जा रहा है। राजे को यकीन है कि राजस्थान बीजेपी में जिस तरह के हालात हैं उससे उनकी स्थिति अन्य नेताओं से किसी भी मामले में कम नहीं है। वहीं जानकारों का कहना है कि राजे का सूबे में अब भी बड़ा जनाधार है और बीजेपी की कई नेताओं को रेस में पछाड़ सकती हैं। दरअसल बीजेपी में एक दर्जन नेता खुद को सीएम पद का दावेदार मान रहे हैं। ऐसा खुद सतीश पूनिया ने कई मौकों पर कहा है। पूनिया के प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद राजस्थान में सीएम फेस को लेकर गुटबाजी तेज हुई है। राजे खेमे के कई नेता अक्सर सीएम फेस राजे को घोषित करने की मांग करते हैं, वहीं राजे के खिलाफ पूनिया-शेखावत गुट भी लामबंद हैं।
कुछ दिनों पहले नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा था कि बीजेपी में व्यक्ति नहीं पार्टी बड़ी होती है। कटारिया ने किसी भी नेता का नाम लिए बिना कमल के निशान पर ही चुनाव लड़ने का दावा किया। इसके साथ ही हाल में बीजेपी की जन आक्रोश रैली से पहले भी बीजेपी में आपसी खींचतान की कई घटनाएं सामने आई थीं। राजस्थान में सीएम फेस को लेकर गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुनराम मेघवाल, राजेन्द्र राठौड़, ओम बिरला सहित दर्जनों नेताओं के नाम चलते रहते हैं।