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जमीन खिसकते देख राज ठाकरे ने बदले सुर

शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने उत्तर भारत में अपनी पार्टी का प्रभाव बढ़ाने के संकेत क्या दिये कि उनके चचेरे भाई महाराष्ट्र नव निर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे के सुर भी बदलने लगे हैं। राज ने भी उत्तर भारतीयों के कार्यक्रमों में जाकर उन्हें प्रभावित करना शुरू किया है। वे न सिर्फ इन कार्यक्रमों में शिरकत कर रहे हैं, बल्कि हिंदी में भाषण भी दे रहे हैं। दरअसल, उद्धव पिछले कुछ दिनों से अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को लेकर मुखर हैं। इतने मुखर कि वे मंदिर निर्माण में देरी को लेकर भाजपा को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। हाल में अयोध्या में साधु-संतों के आह्वान पर आयोजित धर्म सभा में वे हजारों शिव सैनिकों के साथ पहुंचे और वहां जमकर केंद्र सरकार पर बरसे कि राम मंदिर निर्माण के नाम पर जनता को और नहीं छला जा सकता है। उद्धव अब आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर गंभीर हैं और उत्तर प्रदेश में भी प्रत्याशी खडे़ करना चाहते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक राम मंदिर के मुद्दे का उद्धव की सक्रियता का सियासी लाभ शिवसेना को महाराष्ट्र में मिलना स्वाभाविक है। महाराष्ट्र वासियों के साथ ही वहां बड़ीं संख्या में रह रहे उत्तर भारतीय इस मुद्दे पर शिव सेना के साथ खड़े हो सकते हैं।वास्तव में यही राज ठाकरे की चिंता हो सकती है। शायद उन्हें लगता है कि शिव सेना जिस तरह महाराष्ट्रवासियों के साथ ही उत्तर भारतीयों में प्रभाव जमा रही है कहीं इससे उनकी पार्टी मनसे महाराष्ट्र में बुरी तरह न पिछड़ जाए। यही वजह है कि उत्तर भारतीयों के प्रति उनके सुर भी बदल रहे हैं। राज जतला रहे हैं कि वे महाराष्ट्रवासियों के साथ ही उत्तर भारतीयों के हितों के प्रति भी गंभीर हैं। हाल मेें मुंबई में उत्तर भारतीयों के संगठन ‘उत्तर भारतीय मंच द्वारा आयोजित एक रैली को संबोधित करते हुये राज ने कहा कि उत्तर प्रदेश और बिहार से यहां आये लोगों को अपने-अपने राज्यों में नेताओं से वहां विकास के अभाव पर सवाल पूछना चाहिए। राज ठाकरे ने सवाल उठाया कि आखिर इसमें गलत क्या है कि महाराष्ट्र में नौकरी का पहला अवसर महाराष्ट्र के युवा को मिलना चाहिए? कल यदि उत्तर प्रदेश में कोई इंड्रस्टी लगती है तो स्वाभाविक है कि सबसे पहले यूपी के युवा को तरजीह दी जाएगी। यही अगर बिहार में होता है तो इसमें गलत क्या है।
मनसे प्रमुख ने कहा कि वे अपनी पार्टी के पिछले विरोध प्रदर्शनों के लिए कोई स्पष्टीकरण देने नहीं आये हैं, बल्कि हिंदी में अपने विचार रखने आए हैं ताकि वह बड़ी संख्या में लोगों तक अपनी बात पहुंचा सकें। उन्होंने कहा, ”उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों ने देश को वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई प्रधानमंत्री दिए हैं। आप में से कोई उनसे नहीं पूछते कि क्यों राज्य औद्योगीकरण में पीछे छूट रहा है और क्यों वहां कोई रोजगार नहीं मिल रहा है।
राज ने संदेश दिया कि मीडिया ने उनके साथ सौतेला व्यवहार किया जिससे उनकी छवि उत्तर भारतीय विरोधी बनी। जबकि वास्तव में वे ऐसे हैं नहीं। वे सिर्फ यह चाहते हैं कि अगर लोग आजीविका की तलाश में महाराष्ट्र आ रहे हैं, तो उन्हें स्थानीय भाषा और संस्कृति का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब भी मैं अपना पक्ष रखता हूं तो हर कोई मेरी आलोचना करता है। लेकिन हाल में गुजरात में बिहारी लोगों पर हुये हमलों के बाद किसी ने भी सत्तारूढ़ दल भाजपा या प्रधानमंत्री से सवाल नहीं किया। उन्होंने याद दिलाया कि इसी तरह के विरोध असम और गोवा में भी हुये। लेकिन मीडिया ने उसे कभी भी तरजीह नहीं दी। लेकिन मेरे विरोध को हमेशा ही मीडिया में बढ़ा-चढ़ाकर कर पेश किया जाता है।

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