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एक समय में बीजेपी और प्रधानमंत्री के कट्टर आलोचक माने जाने वाले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के नेता राज ठाकरे के सुर इन दिनों बदले-बदले से नजर आ रहे हैं। महाराष्ट्र में शिवसेना की सरकार गिरने के बाद से ही राज ठाकरे बीजेपी नेताओं के संपर्क में हैं। कभी मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने की मांग पर शिवसेना को घेरने वाले ठाकरे ने इसी मुद्दे पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की तारीफ की है। राज ठाकरे के इस कदम से महाराष्ट्र की राजनीति में कुछ अलग ही मायने निकाले जा रहे हैं। प्रदेश के राजनीतिक हलकों में उनके इस कदम को बीजेपी से उनकी नजदीकियों को जोड़कर देखा जा रहा है। कयास लगाए जाने लगे हैं कि वे अब मराठी मुद्दा छोड़ हिंदुत्व की राह चल पड़े हैं।

पिछले कई महीनों से राज ठाकरे खुद को हिंदुत्व के नेता के तौर पर स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि महाराष्ट्र की सियासत में शिवसेना के हिंदू वोटों को अपने पाले में लाया जा सके। पीएम मोदी के विरोध और कांग्रेस के समर्थन में प्रचार कर चुके राज ठाकरे की राजनीति में आए हालिया बदलाव को उनकी पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना और बीजेपी के बीच बढ़ती नजदीकियों के रूप में देखा जा रहा है। दरअसल, महाराष्ट्र की राजनीति में कभी मराठी मानुष और कट्टर हिंदुत्व की समर्थक माने जाने वाली शिवसेना की हिंदुत्व के मुद्दों पर पकड़ ढीली होने से राज ठाकरे को फ्रंट-फुट पर खेलने का मौका मिल गया है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि राज ठाकरे का हिंदुत्व एजेंडा अचानक नहीं, बल्कि सोच-समझ कर उठाया गया कदम है। उनके इस कदम को राजनीतिक विस्तार से भी जोड़ कर देखा जा रहा है।

माना जा रहा है कि हिंदुत्व आधारित राजनीति से एमएनएस की गैर-मराठी वोटरों के बीच भी स्वीकार्यता बढ़ेगी। मुंबई में 26 फीसदी मराठी मतदाता हैं, जबकि बाकि 64 प्रतिशत उत्तर भारतीय, गुजराती और अन्य शामिल हैं। इसकी एक और बड़ी वजह एमएनएस की उत्तर भारतीय विरोधी पार्टी होने की छवि को धोने की कोशिश भी है। गौरतलब है कि कभी अपने ही धुर विरोधी रहे दलों कांग्रेस और एनसीपी से हाथ मिलाने के बाद उद्धव ठाकरे के समर्थक भी खुद को असहज महसूस कर रहे हैं। इस बीच राज ठाकरे को हालिया राजनीतिक अवसर का फायदा उठाने का मौका भी मिल गया। दूसरा कारण यह कि कांग्रेस और एनसीपी से गठबंधन की वजह से शिवसेना को हिंदुत्व पर अपने रुख को भी नरम करना पड़ा।

शिवसेना हाल के दिनों में लाउडस्पीकर से अजान पर रोक लगाने के विवाद से लेकर हनुमान चालीसा के पाठ के मुद्दे पर दोराहे पर खड़ी नजर आई है। जिसके कारण राज ठाकरे ने कट्टर हिंदुत्व की राह पर चलते हुए शिवसेना की सरकार को परेशानी में डाल दिया था। उन्होंने महाराष्ट्र सरकार से मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने की मांग कर डाली थी। उन्होंने हनुमान जयंती के मौके पर पुणे में मनसे कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में हनुमान चालीसा का पाठ भी किया था। इसके बाद उद्धव सरकार को अल्टीमेटम भी दिया था। इसके विरोध में उन्होंने औरंगाबाद में रैली भी की थी। यह सब देखते हुए ऐसा कहा जा सकता है कि वे अब हिंदुत्व की राह पर चल पड़े हैं।

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