रायसीना डायलॉय 13 अप्रैल से 16 अप्रैल तक चलने वाला है। इस कार्यक्रम में 50 देशों के 150 स्पीकर हिस्सा ले रहे है। कोरोना महामारी के कारण इस बार संवाद आनलाइन रखा गया है। रंवाडा के राष्ट्रपति पॉल कगामे डेनमार्क के प्रधानमंत्री मेट्टे फ्रेडरिक्शन इस बार मुख्य अतिथि के तौर पर आएंगे।
आस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री मरीसे पायने, फ्रांस के विदेश मंत्री जीन वेस ली ड्रायन, नेपाल, इटली, स्वीडन, पुर्तगाल, रोमानिया, सिंगापुर,चिल्ली, ईरान, नाईजीरिया, भूटान और कतर के विदेश मंत्री हिस्सा ले रहे है। इस कार्यक्रम को भारत के विदेश मंत्रालय द्दारा आयोजित करवाया जाता है। भारत का विदेश मंत्रालय और ऑब्जर्वर रिसर्च फांउडेशन मिलकर इस संवाद को आयोजित करवाती है।
यह भी पढ़े:भारत सरकार ‘क्रिप्टो करेंसी’ को लेकर क्या योजना बना रही है?
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 अप्रैल को रायसीना डायलॉग के 6वें संस्करण का ऑनलाइन उद्धाटन किया। नरेंद्र मोदी ने उद्धाटन के दौरान कहा कि कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी एक सदी पहले आई थी। आज इस तरह की महामारी को संभालने के लिए पूरी मानवता को एक साथ आना होगा। हमारे वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और उद्योग ने कुछ सवालों के जवाब दिए है।
वायरस क्या है, यह कैसे फैलता है, हम इसे कैसे धीमा कर सकते है। दुनिया के विचारकों और नेताओं के रुप में हमे खुद से कुछ और सवाल पूछने चाहिए। पिछले एक साल से हमारे समाजों का सबसे अच्छा दिमाग इस महामारी से लड़ने में लगा हुआ है।
अपने स्तर पर सभी राष्ट्र इस महामारी को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे है। उन्होंने आगे कहा कि हमने अपने देश के 1.3बिलियन नागरिकों को महामारी से बचाने की कोशिश की और साथ ही हमने दूसरों के महामारी प्रतिक्रिया प्रयासों का समर्थन करने की कोशिश की है।
वासुदेव कुटुंम्बकम भारत का ध्येय वाक्य
वहीं भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रायसीना डायलॉग पर बोलते हुए कहा कि महामारी से पहले भी भारत दुनियाभर में आपदाओं के समय सहयोग करता आया है। वसुधैव कुटुंम्बकम ही भारत का ध्येय वाक्य है। भारत ने 83 देशों को कोरोना वैक्सीन मानवीय आधार पर भेजी है। दरअसल भारत सरकार ने मैत्री नाम से एक मुहिम चला रखी है।
जिसके तहत भारत अपने मित्र देशों और गरीब देशों को फ्री में कोरोना वैक्सीन की डोज मुहैया करवाएंगा। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने साउथ-साउथ कॉर्पोरेशन को बढ़ाने की बात की, इसके साथ ही विदेश मंत्री ने कहा कि भारत काफी लंबे समय से साउथ-साउथ कॉर्पोरेशन का हिस्सा रहा है।
क्या है साउथ-साउथ कार्पोरेशन
साउथ-साउथ कॉर्पोरेशन शब्द का प्रयोग विकासशील देशों के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इससे पहले नार्थ साउथ शब्द का प्रयोग किया जाता था, लेकिन विकसित देश हमेशा अपने स्वार्थ में रहे, इसलिए अब विकासशील देशों के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए साउथ-साउथ शब्द प्रचलन में लाया गया है।
एस. जयशंकर ने आगे कहा कि यह दुनिया के सहयोग के कारण ही संभव हो पाया की भारत ने कई देशों को वैक्सीन दी। एक तरफ भारत ने दुनिया को वैक्सीन फ्री में सप्लाई की, तो दूसरी तरफ भारत में कई राज्य ऐसे है जहां कोरोना के सबसे ज्यादा मामले आने के बाद वैक्सीन की कमी से जूझ रहे है।