देशभर में पिछले 50 दिन से ट्रेनों और फ्लाइट्स का संचालन पूरी तरह से बंद है। इसके चलते एक तरफ जहां मंदी के दौर से गुजर रहे एविएशन सेक्टर को भारी नुकसान हुआ है। वहीं रेलवे की भी कमर टूट गई है। ऐसा इसलिए क्योंकि रेलवे को 100 रुपये कमाने के लिए 341 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं।
रेलवे को वर्ष 2019 में 100 रुपये कमाने के लिए 112 रुपये खर्च करने पड़े थे। कोरोना ने इस बार रेलवे के इस गणित को बिगाड़ दिया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, रेलवे को इस बार 100 रुपए कमाने के लिए 341 रुपए खर्च करने पड़े हैं। यानी लागत निकालना तो दूर की बात रेलवे के लिए इस कोरोना काल में फ्रेट और पैसेंजर ट्रेन चलाना बड़े घाटे का सौदा साबित हुआ है।
उत्तर पश्चिम रेलवे को इस साल अप्रैल में 270 करोड़ का घाटा हुआ है। रेलवे को बीते वर्ष अप्रैल माह में फ्रेट और पैसेंजर ट्रेनों से 595 करोड़ की आय हुई थी, जो इस बार घटकर 225 करोड़ रह गई है।
रेलवे को बीते वर्ष इस अवधि में यात्री भाड़े से 172 करोड़ की आय हुई थी, जो इस बार शून्य रही है। 22 मार्च से 17 मई के दौरान जयपुर से गुजरने वाली करीब 150 ट्रेनों में जयपुर से ऑनलाइन और ऑफलाइन करीब 5 करोड़ के टिकट बुक हुए हैं। लेकिन ट्रेन रद्द होने के कारण लोगों ने इनमें से करीब 70 फीसदी टिकट कैंसल कर लिए हैं।
राजस्थान के हवाई यात्रियों का 110 करोड़ रुपये का रिफंड भी अटका हुआ है। जयपुर से संचालित होने वाली सभी 7 इंटरनेशनल फ्लाइट्स का संचालन मार्च के मध्य तक पूरी तरह बंद कर दिया गया था। 24 मार्च से सभी 55 घरेलू फ्लाइट्स का भी संचालन बंद कर दिया गया था।