कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को बड़ी राहत देते हुए उच्चतम न्यायालय ने निचली अदालत से मिली सजा पर रोक लगा उनकी संसद सदस्यता बहाल कर दी है। राहुल को मिली राहत कांग्रेस के लिए संजीवनी का काम करती नजर आ रही है। केंद्र सरकार के खिलाफ मानसून सत्र में लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के दौरान राहुल के दमदार भाषण ने स्पष्ट कर दिया है कि अब वे ज्यादा आक्रमक तेवरों के साथ भाजपा के खिलाफ विपक्ष की आवाज बन उभरेंगे
मोदी सरनेम वाले मानहानि मामले में राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने से गत सप्ताह पूरे चार महीने बाद 9 अगस्त को कांग्रेस नेता राहुल गांधी लोकसभा में दिखाई दिए। निचली अदालतों के फैसलों ने चार महीने से उन्हें चुप जरूर रखा लेकिन लोकसभा सदस्यता बहाल होने के बाद राहुल गांधी ने संसद में अपना पहला भाषण दिया। इस दौरान उन्होंने मणिपुर हिंसा से लेकर विपक्ष की ओर से पेश अविश्वास प्रस्ताव पर मोदी सरकार और उनकी नीतियों को लेकर कई सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि मणिपुर में इन लोगों ने पूरे हिंदुस्तान को मार डाला है। इसके अलावा उन्होंने उन महिलाओं की कहानी भी बताई जिनसे वे अपने मणिपुर दौरे के दौरान मिले थे। राहुल ने हरियाणा के नूंह में हुई हिंसा का भी जिक्र किया।
दरअसल राहुल गांधी ने संसद में अपने भाषण की शुरुआत तो भारत जोड़ो यात्रा से की, लेकिन इसके बाद उन्होंने मणिपुर को लेकर बोलना शुरू कर दिया। राहुल ने कहा, भारत इस देश के लोगों की आवाज है, अगर हम इस आवाज को सुनना चाहते हैं तो हमें अहंकार को मिटाना पड़ेगा। उन्होंने मणिपुर दौरे का जिक्र करते हुए कहा, कुछ दिन पहले मैं मणिपुर गया था। हमारे पीएम आज तक नहीं गए, क्योंकि उनके लिए मणिपुर हिंदुस्तान नहीं है। मैंने मणिपुर शब्द प्रयोग किया, लेकिन आज की सच्चाई ये है कि मणिपुर को आपने दो हिस्सों में तोड़ दिया है।
मणिपुर के राहत शिविरों की हालात
मणिपुर के राहत शिविरों की हालत को लेकर अपने दौरे का किस्सा सुनाते हुए राहुल गांधी ने कहा ‘मैं मणिपुर के राहत शिविर में गया और राहत शिविर में एक महिला मिली, जिसने मुझे बताया कि मेरा एक ही बच्चा है, जिसे सामने से गोली मारी गई है। महिला ने बताया कि मैं पूरी रात उसके शव के साथ पड़ी रही, फिर मैं डर गई और घर छोड़कर चली गई। इसके बाद मैंने उनसे पूछा कि आप अपने साथ कुछ तो लाए होंगे? उन्होंने अपने बच्चे की फोटो दिखाते हुए कहा कि अब मेरे पास यही बचा है। इसके बाद राहुल ने दूसरी महिला का जिक्र करते हुए कहा कि वह अपने दर्द को याद कर मेरे सामने बेहोश हो गई।
मणिपुर में हुई हिंदुस्तान की हत्या
मणिपुर में हिंसा का जिक्र करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि सरकार की राजनीति ने सिर्फ मणिपुर को ही नहीं मारा है, बल्कि मणिपुर में हिंदुस्तान को भी मार डाला है। भारत की हत्या कर दी गई है। राहुल गांधी ने आगे कहा कि जैसा कि मैंने भाषण की शुरुआत में कहा कि भारत एक आवाज है, भारत हमारे लोगों की आवाज है, उनके दिल की आवाज है। आपने मणिपुर में उस आवाज को मार डाला, इसका मतलब है कि आपने मणिपुर में भारत माता की हत्या कर दी। आप देशभक्त नहीं देशद्रोही हैं।
हरियाणा हिंसा पर भी बोले राहुल
लोकसभा में अपने भाषण में राहुल गांधी ने यह भी कहा कि रावण दो ही लोगों की सुनता था, एक मेघनाथ और कुंभकर्ण। उसी तरह नरेंद्र मोदी भी दो लोगों की सुनते हैं अमित शाह और अडानी। हनुमान ने लंका को भस्म नहीं किया था बल्कि रावण के घमंड ने लंका को राख कर दिया था। रावण को भी राम ने नहीं, बल्कि उसके अहंकार ने मारा था। आप पूरे देश में आग लगा रहे हैं पहले मणिपुर अब हरियाणा को जलाया जा रहा है। इस दौरान राहुल ने अपनी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ पर भी बताते हुए कहा, शुरुआत में मेरे दिमाग में यह था कि अगर मैं रोजाना 10 किमी दौड़ सकता हूं तो 25 किमी क्यों नहीं दौड़ सकता, यह कुछ भी नहीं है। उस समय जो भाव था वह मेरे मन का अहंकार था, लेकिन भारत अहंकार को एक क्षण में नष्ट कर देता है। दो- तीन दिन में मेरे घुटनों में दर्द होने लगा, पुरानी चोट थी। इस प्रकार पहले दो-तीन दिन में जो अहंकार था वह खत्म हो गया। जो अहंकार लेकर भारत देखने निकला था वो अहंकार गायब हो गया।
वापस मिला बंगला
राहुल को उनका सरकारी बंगला भी आवंटित कर दिया गया है। सांसदी बहाल होने के बाद उन्हें 12 तुगलक लेन का बंगला वापस मिल गया है। लोकसभा सदस्यता रद्द होने से पूर्व राहुल इसी में रहा करते थे। बंगला वापस मिलने के बाद राहुल गांधी ने कहा कि पूरा हिंदुस्तान मेरा घर है। राहुल गांधी को मार्च में एक सांसद के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था जब गुजरात की एक अदालत ने उन्हें मोदी उपनाम से संबंधित मानहानि मामले में दोषी ठहराया था। उसके बाद संसद की सदस्यता रद्द हुई तो राहुल गांधी ने 22 अप्रैल, 2023 को बंगला खाली कर दिया था।
वापसी से फायदा!
सर्वोच्च अदालत के फैसले के बाद राहुल की वापसी का फायदा कांग्रेस को होगा या नहीं? अगर हुआ भी तो कितना। इसको लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। राजनीतिक जानकारों का इस पर कहना है कि निश्चित ही कांग्रेस के लिए यह सुनहरा अवसर है तो है लेकिन पार्टी में नेतृत्व का संकट जो बहुत पहले से चुनौती की तरह सामने खड़ा है वह लगभग स्थायित्व की तरफ बढ़ता जा रहा है। मणिपुर तीन महीने से जल रहा है और वहां कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं किया गया है। विपक्ष का कहना है कि अगर मणिपुर में किसी और पार्टी की सरकार होती तो चार-छह दिन के अंदर वहां राष्ट्रपति शासन लग जाता लेकिन बीजेपी शासित राज्य में महिलाओं को नग्न कर घुमाने का वीडियो वायरल होने पर भी राज्य सरकार के कानों पर जूं नहीं रेंगती, जबकि इस घटना की रिपोर्ट वहां के थाने में ढाई महीने पहले ही लिखी गई थी। वैसे दबाव की एक और वजह है-‘इंडिया’ दरअसल, ये इंडिया उस संगठन के नाम का संक्षिप्त रूप है जिसे हाल ही में छब्बीस विपक्षी दलों ने मिलकर बनाया है। सत्ताधारी दल की समस्या यह है कि वह इंडिया का विरोध कैसे कर सकती है? यही देश का नाम है। इस पर हाल ही में कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। जिसमें याचिकाकर्ता को विपक्षी गठबंधन का नाम ‘इंडिया’ रखने पर आपत्ति है। इसमें कहा गया है कि राजनीतिक दलों के संगठन का नाम इंडिया रखना गलत है, क्योंकि यह प्रतीक और नाम अधिनियम का उल्लंघन है। दरअसल, प्रतीक अधिनियम 1950 के अनुसार, कोई भी व्यक्ति या संस्था केंद्र सरकार की अनुमति के बिना देश के नाम और उसके कुछ मान्यता प्राप्त प्रतीकों का व्यावसायिक उपयोग नहीं कर सकता है। अब यह कहीं भी स्पष्ट नहीं है कि राजनीतिक दलों द्वारा किया गया या किया जाने वाला कार्य व्यवसायिक है या नहीं! यदि है तो सभी दलों को यह स्वीकार करना चाहिए कि वे जनता और देश की सेवा करने के बजाय व्यवसाय कर रहे हैं!
सत्ता पक्ष पर दबाव की तीसरी वजह है राहुल गांधी पर हुआ केस। इस पूरे मामले से भविष्य में कांग्रेस या राहुल को कितना फायदा होगा, यह तो उनकी अपनी कोशिशों पर निर्भर करेगा, लेकिन इतना तय है कि फिलहाल राहुल के प्रति सकारात्मकता बनी है। वैसे इन दिनों लोकसभा में विश्वास और अविश्वास की जंग छिड़ी हुई है। अब तक सड़कों, पहाड़ों और घाटियों में रेंगने वाला मणिपुर अब लोकसभा में सिसक रहा है। विपक्ष के सभी वक्ता मणिपुर पर बोल रहे हैं। पहले दिन सत्ता पक्ष के वक्ताओं ने मणिपुर का नाम तक नहीं लिया, जबकि यह अविश्वास प्रस्ताव मणिपुर मुद्दे पर ही लाया गया है।