कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी इन दिनों अमेरिकी दौरे पर हैं। हालांकि उनके हर विदेशी दौरे की तरह विवाद इस बार भी उनके साथ चल पड़ा। अमेरिका में उनके द्वारा दिए गए बयान विवाद का रूप ले रहे हैं। पहले टेक्सास, फिर वर्जीनिया और उसके बाद वाशिंगटन में विभिन्न कार्यक्रमों के दौरान उनके द्वारा दिए गए भाषणों ने देश में राजनीतिक भूचाल ला दिया है। राहुल गांधी अमेरिकी दौरे के दौरान भाजपा और आरएसएस पर जमकर निशाना साध रहे हैं । भाजपा के खिलाफ दिए इन विवादित बयानों से सत्ता पक्ष राहुल पर खासा आक्रमक हो चला है
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का हालिया अमेरिका दौरा नाना प्रकार के विवादों से घिर गया है। राहुल अपने इस दौरे के दौरान लगातार वहां के विश्वविद्यालयों में भाषण दे रहे हैं और भारतीय मूल के लोगों से मिलकर मोदी सरकार की नीतियों पर जमकर प्रहार कर रहे हैं। वर्जीनिया में प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा भाजपा से डरने की जरूरत नहीं है, प्रधानमंत्री का 56 इंच का सीना और भगवान से सीधा संपर्क, ये सब अब इतिहास बन चुका है। वहीं चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए उन्होंने भाजपा को मिली 240 सीटों पर भी संदेह व्यक्त किया। इस बयान को लेकर भाजपा राहुल गांधी पर खासी आक्रामक हो गई है। भाजपा का कहना है कि राहुल विदेशी धरती पर देश को बदनाम करने का काम कर रहे हैं राहुल गांधी ने संघ पर भी तीखे वाॅर अमेरिका में किए हैं। उन्होंने कहा कि ‘आरएसएस भारत को समझ ही नहीं पाई। आरएसएस कुछ धर्मों, भाषाओं और समुदायों को अन्य की तुलना में कमतर मानता आया है।’ राहुल गांधी के अनुसार आरएसएस तमिल, मराठी, बंगाली भाषाओं को कम आंकती आई है। उन्होंने कहा कि हर राज्य का अपना इतिहास और परम्परा होती है। आरएसएस की विचारधारा इनकी उपेक्षा करती है। इसके अलावा उन्होंने एक सिख को भारत में पगड़ी या कड़ा पहनने का अधिकार है या नहीं। एक सिख के रूप में वह गुरुद्वारा जा सकते हैं या नहीं। जैसे प्रश्न खड़े कर भी बड़ा विवाद पैदा कर डाला। राहुल के इस बयान पर भाजपा ने हमला करते हुए उन्हें 1984 के सिख दंगे याद दिलाए।
कांग्रेस प्रमुख द्वारा दिए गए इस बयान का खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने भी समर्थन दिया। इस बयान को जायज ठहराते हुए गुरपतवंत सिंह पन्नू ने कहा कि राहुल गांधी ने काफी साहसिक बयान दिया है। उनका ये बयान सिख फाॅर जस्टिस (एसएफजे) के अलग खालिस्तान देश की मांग को सही ठहराता है। पन्नू ने कहा कि भारत में सिखों की हालत पर राहुल गांधी ने जो बयान दिया है वो न केवल साहसिक है बल्कि 1947 के बाद से भारत में सिखों पर हो रहे अत्याचार को दिखाता है। राहुल गांधी द्वारा दिए गए बयानों का खालिस्तानी समर्थक द्वारा समर्थन देने से देशभर में विवाद बढ़ता जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डाॅ. सुधांशु त्रिवेदी ने राहुल गांधी और उनके विवादित बयानों पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘इस बार राहुल गांधी के भारत विरोधी मित्रों की लिस्ट में एक और उपलब्धि शामिल हुई है। इस बार खालिस्तान समर्थक आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने उनकी तारीफ की है।’ भाजपा के रविशंकर प्रसाद ने कहा कि ‘राहुल गांधी जब भी विदेश जाते हैं, तब भारत को बदनाम करते हैं, साथ ही भारत विरोधी तत्वों का सहयोग करते हैं। सिख फाॅर जस्टिस ने उनके बयान का समर्थन किया है, वह विपक्ष के नेता हैं और पता नहीं क्या-क्या बोलते हैं। भारत में सिख रेजीमेंट है। उसका सरकार सहयोग करती है। हाॅकी और अन्य खिलाड़ी हैं। सेना, ब्यूरोक्रेसी, आर्मी, पुलिस में हैं, उनका पूरा सहयोग किया जाता है। राहुल ने कह दिया कि उनको पगड़ी पहनने का अवसर नहीं मिलता, वे सुरक्षित नहीं हैं? राहुल गांधी का बयान गैर जिम्मेदाराना है।’
इसके अलावा डलास में राहुल गांधी द्वारा दिए महिला सम्मान के संदर्भ में दिए गए बयान पर भी हंगामा मचा हुआ है। राहुल ने टेक्सस यूनिवर्सिटी में छात्रों से बातचीत के दौरान कहा कि भाजपा और कांग्रेस के बीच वैचारिक संघर्ष है। भाजपा और आरएसएस का मानना है कि महिलाओं को अपनी पारंपरिक भूमिकाओं तक ही सीमित रखना चाहिए-घर पर रहना, खाना बनाना और कम बोलना। इसके विपरीत हमारा मानना है कि महिलाओं को वे सारे काम करने की आजादी होनी चाहिए, जो वे करना चाहती हैं। भाजपा और आरएसएस में महिलाओं को सम्मान न मिलने के बयान पर पलटवार करते हुए भाजपा नेता रविशंकर ने कहा कि आरएसएस से जुड़ी महिलाएं मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और अन्य पदों पर रही हैं। वे कुछ का कुछ बोलते हैं। राहुल गांधी का काम ही भारत को गिराना, भारत को बदनाम करना, शर्मिंदा करना और भारत विरोधी तत्वों के साथ सहयोग करना भर है।
राहुल गांधी ने आरक्षण को लेकर भी एक विवादित बयान दिया था। जिसके बाद देश भर में उनकी आलोचना की जाने लगी। जिसके बाद अमेरिकी दौरे पर गए राहुल गांधी ने आरक्षण को लेकर दिए गए अपने बयान पर सफाई दी। उन्होंने कहा कि वह आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं और कांग्रेस पार्टी का लक्ष्य इसे 50 प्रतिशत से आगे लेकर जाने का है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उन्होंने लिखा कि ‘किसी ने मेरे बयान को गलत तरीके से पेश किया कि मैं आरक्षण के खिलाफ हूं… लेकिन मैं साफ कर दूं- मैं आरक्षण के खिलाफ नहीं हूं। हम आरक्षण को 50 प्रतिशत की सीमा से आगे लेकर जाएंगे।’ गौरतलब है कि 10 सितंबर को अमेरिका में जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में छात्रों से उनकी बातचीत हुई थी। इस दौरान जब उनसे पूछा गया था कि भारत में आरक्षण कब तक जारी रहेगा। राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस आरक्षण खत्म करने के बारे में तब सोचेगी जब सही समय होगा, जो कि अभी नहीं है। राहुल ने कहा था, ‘जब आप वित्तीय आंकड़ों को देखते हैं, तो आदिवासियों को 100 रुपये में से 10 पैसे मिलते हैं, दलितों को 100 रुपये में से 5 रुपये मिलते हैं और ओबीसी को भी लगभग इतनी ही रकम मिलती है। असलियत यह है कि उन्हें भागीदारी नहीं मिल रही है। भारत के हर एक बिजनेस लीडर की सूची देखें, मुझे आदिवासी, दलित का नाम दिखाएं, मुझे ओबीसी का नाम दिखाएं, मुझे लगता है कि शीर्ष 200 में मात्र एक ओबीसी है। वे भारत के 50 प्रतिशत हैं, लेकिन हम इस बीमारी का इलाज नहीं कर रहे हैं। हालांकि अब, आरक्षण एकमात्र साधन नहीं है, अन्य साधन भी हैं।’
चीन मुद्दे को लेकर भाजपा का पलटवार