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मोदी सरनेम वाले मानहानि मामले में राहुल गांधी को पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली। शीर्ष अदालत ने सूरत अदालत एवं गुजरात हाईकोर्ट से मिली उनकी दो साल की सजा पर रोक लगा दी है। कांग्रेस नेता के लिए यह बहुत बड़ी राहत मानी जा रही है। इससे उनका लोकसभा की सदस्यता वापस मिलने और 2024 का चुनाव लड़ने का रास्ता साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं में भी जोश भर दिया है। सजा पर रोक के फैसले की खुशी उनके चेहरे पर साफ नजर आ रही है। कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं ने कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया और इसे सत्य की जीत बताया है। जाहिर है कि लोकसभा में राहुल की उपस्थिति कांग्रेस और विपक्ष के लिए संजीवनी की तरह काम करेगी। कांग्रेस ही नहीं समूचे विपक्ष के लिए यह उत्साहजनक है।

राजनीतिक पंडितों का कहना है कि राहुल गांधी की वापसी संसद से सड़क तक मोदी सरकार की मुसीबतें बढ़ाएगी। ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के बाद अडानी मामले को लेकर वह सीधे तोर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते रहे हैं। अपनी विदेश यात्राओं में भी उन्होंने मोदी सरकार की नीतियों की कड़ी आलोचना की है। लोकतंत्र पर खतरे का आरोप लगाकर उन्होंने मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। चीन सीमा विवाद, रोजगार, अर्थव्यवस्था से लेकर वह कई मुद्दों पर सरकार के खिलाफ मुखर रहे हैं। मोदी सरनेम मामले में दो साल की सजा की उम्मीद कांग्रेस और राहुल दोनों को नहीं रही होगी। संसद की सदस्यता जाने के बाद राहुल काफी समय तक लोकसभा से दूर रहे हैं। इसकी कसक उनके मन में होगी। अब वह नए तेवर के साथ मोदी सरकार को घेरने की पूरी कोशिश करेंगे।

सजा पर रोक लगने के बाद राहुल ने अपने तेवर भी दिखाने शुरू कर दिए हैं। कांग्रेस की ओर से जारी एक ट्वीट में कहा गया है कि ‘आ रहा हूं’, सवाल जारी रहेंगे। इस द्वीट में राहुल एक तस्वीर पकड़े हुए हैं। इस तस्वीर में पीएम मोदी और अडानी दिख रहे हैं। मणिपुर हिंसा को लेकर लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होगी। चूंकि राहुल मणिपुर होकर आए हैं। हिंसा पीड़ितों से उनकी मुलाकात हुई है। घटनास्थल की चीजों को उन्होंने देखा और महसूस किया है। ऐसे में वह मजबूती से लोकसभा में मणिपुर के मुद्दे पर बोल सकते हैं। संसद और संसद के बाहर यदि राहुल गांधी मोदी सरकार पर ज्यादा हमलावर नजर आए तो इसमें हैरानी नहीं होनी चाहिए।

राहुल को लोकसभा में वापसी से कांग्रेस और विपक्ष दोनों को एक नई ताकत मिली है। राहुल को भले ही एक अच्छे वक्ता के रूप में न देखा जाता हो लेकिन उनकी मौजूदगी कांग्रेस और विपक्ष के नेताओं में नया जोश भरेगी। विपक्ष ज्यादा आत्मविश्वास एवं दृढ़ता के साथ अपनी बात रखेगा। साथ ही विपक्ष के उन नेताओं को झटका लगेगा जो यह मानकर चल रहे थे कि राहुल को सजा हो गई है तो वह 2024 के पीएम पद की रेस में नहीं हैं। गौरतलब है कि मानहानि मामले की कानूनी लड़ाई को कांग्रेस मोदी और राहुल के बीच व्यक्तिगत लड़ाई के रूप में पेश कर रही थी। सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद वह इसे अपनी जीत के रूप में पेश कर रही है। वह विपक्ष के उन नेताओं को यह संदेश देने की कोशिश करेगी जो मोदी के मुकाबले राहुल को कमजोर आंकते हैं। कांग्रेस यह जोर-शोर से बताएगी कि मोदी का मुकाबला राहुल ही कर सकते हैं। भाजपा के ‘तिकड़मों से वह डरने वाले नहीं हैं। 2024 के रण को वह मोदी बनाम राहुल बनाने की कोशिश करेगी।

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