नई दिल्ली- कांग्रेस के भीतर आम कार्यकर्ता जोरदार मांग कर रहे हैं कि गांधी परिवार ही राष्ट्रीय स्तर पर उन्हें नेतृत्व दे। इस बीच हुई कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक के दौरान मचे घमासान के बीच आम कार्यकर्ताओं ने अपनी भावनाओं का खुलकर इजहार भी किय। कार्यकर्ता चाहते हैं कि आगामी छह महीने बाद जब सोनिया गांधी का अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर विस्तारित कार्यकाल खत्म हो तो राहुल गांधी ही अध्यक्ष बनें। कार्यकर्ताओं की भाववनाओं को देखते हुए राहुल फिर से अध्यक्ष बन भी जायेंगे, लेकिन इस बार वे अपनी शर्तों पर अध्यक्ष बनेंगे।
सूत्रों के मुताबिक राहुल चाहते हैं कि वे लोकतांत्रिक तरीके से आम जमीनी कार्यकर्ताओं के द्वारा चयनित होकर अध्यक्ष बनें। उनकी कोशिश होगी कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकर ब्लाॅक स्तर तक के पदाधिकारी कार्यकर्ताओं के बीच से चुनकर आएं। बताया जाता है कि राहुल की दूसरी शर्त यह रहेगी कि वे पार्टी संगठन का संचालन किसी पर निर्भर होकर नहीं, बल्कि स्वतंत्र तरीके से निर्णय लेकर करेंगे । उनके निर्णय आम कार्यकर्ताओं और जनता के हित में होते हैं तो कोई भी बड़े नेताओं की टीम बीच में टपककर अनावश्यक रोड़ा न अटकाएं। सुलझाने के बजाए उलझाने के अनुभव अब वे नहीं लेना चाहते हैं। सूत्रों के मुताबिक, राहुल के इन्हीं इरादों को भांपकर कांग्रेस के पुराने दिग्गजों में अपने भविष्य को लेकर खलबली मची हुई है। अब उन्हें पार्टी में अपनी भूमिका की चिंता सताने लगी है। यही वजह है कि उनके बगावती स्वर सुनाई भी देने लगे हैं।
दरअसल, कांग्रेस की कमान राहुल को ही संभालनी पड़ेगी। इसके भी ठोस राजनीतिक कारण हैं। सर्वविदित है कि देश में शुरू से ही गांधी परिवार ऐसा परिवार रहा है जिसे देश के हर क्षेत्र की जनता अपने करीब समझती आई है। उत्तर से लेकर दक्षिण तक हर राज्य में इस परिवार की पकड़ रही है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं को लगता है कि बेशक आज के राजनीतिक हालात प्रतिकूल हों, लेकिन कल अनुकूल स्थितियां बनने पर गांधी परिवार की छात्रछाया में कांग्रेस अपने स्वर्णिम अतीत की तरफ लौट सकती है। यही वजह है कि गांधी परिवार से बाहर किसी को भी अध्यक्ष की कुर्सी पर देखना कार्यकर्ता पसंद नहीं करते।
सूत्रों के मुताबिक सोनिया गांधी के छह माह बाद पद छोड़ने पर राहुल गांधी ही कांग्रेस की कमान संभालेंगे, लेकिन इस बार वे अपनी शर्तों पर नए अवतार में होंगे।