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उत्तराखण्ड से युवा राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी भी हैं। बलूनी को मोदी- शाह का करीबी माना जाता है। प्रदेश और कई राष्ट्रीय नेता उत्तराखण्ड से राज्यसभा जाने की चाहत रखते थे, मगर अमित शाह ने इन पर अपना विश्वास जताया। गढ़वाल-कुमाऊं को जोड़ने के लिए लंबे समय से ट्रेन की मांग हो रही थी। बलूनी ने यह ठानी और नैनी-दून जनशताब्दी ट्रेन शुरू करवाई। उनसे प्रदेश और देशभर के कई तात्कालिक मुद्दों पर उसने बातचीत के मुख्य अंश

वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत का श्रेय आप किसे देते हैं? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या फिर भाजपा संगठन को।
विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की जीत का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और संगठन के समन्वय को जाता है। हम भाग्यशाली हैं कि नरेंद्र मोदी जी जैसे करिश्माई एवं विश्वसनीय व्यक्तित्व भारतीय जनता पार्टी के पास हैं। अमित शाह जी के रूप में सर्वश्रेष्ठ संगठनकर्ता हमारे अध्यक्ष हैं। इन दोनों के मार्ग-दर्शन और संगठन की मेहनत ने हमें उत्तराखण्ड में सत्ता तक पहुंचाया है।

प्रकाश पंत और सतपाल महाराज मुख्यमंत्री की दौड़ में थे, मगर फैसला त्रिवेंद्र सिंह रावत के हक में हुआ। निर्णय किसका था?
इसमें विवाद की गुंजाइश कहां है? भारतीय जनता पार्टी स्वभाव से ही लोकतांत्रिक पार्टी है। इसमें कांग्रेस की तरह नेता थोपने की परंपरा नहीं रही है। हमारी पार्टी की खूबी है कि यहां नेतृत्व स्वतः विकसित होता है और विकसित होने दिया जाता है। ये भाजपा में ही हो सकता है कि एक चाय वाला देश का प्रधानमंत्री और एक बूथ लेवल अध्यक्ष भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बन सकता है। निचले स्तर से निखरा कार्यकर्ता पार्टी के सर्वोच्च पद पर पहुंच सकता है। क्या ऐसी कल्पना आप अन्य राजनीतिक दलों में कर सकते हैं। हमारे यहां लोकतांत्रिक तरीके से संगठन एवं सरकार के नेतृत्व का चुनाव होता है।

2017 के विधानसभा चुनाव का नतीजा भाजपा की जीत थी या कांग्रेस की हार?
देखिए, हम नकारात्मक राजनीति में विश्वास नहीं करते। भारतीय जनता पार्टी हमेशा सकारात्मक राजनीति करती है। 2017 का जनादेश भाजपा के पक्ष में सकारात्मक जनादेश था न कि नकारात्मक। हां, सरकार की कमजोरियां और कारगुजारियां जनता के मध्य ले जाना हमारा कर्तव्य है।

उत्तराखण्ड में पहली बार राष्ट्रपति शासन लगा था। उच्चतम न्यायालय तक ने राष्ट्रपति शासन के फैसले को गलत ठहराया था। क्या केंद्र सरकार से उस समय चूक हुई थी?
उच्चतम न्यायालय के निर्णय पर मैं कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। लेकिन ये नहीं भूलना चाहिए कि लोकतंत्र की सबसे बड़ी अदालत जनता होती है और उसका फैसला हमारे पक्ष में आया। प्रदेश में अब तक का सबसे बड़ा जनादेश हमारे पक्ष में आया। 70 में से 57 सीटों पर भाजपा प्रत्याशी जीते।

प्रदेश में बढ़ते अपराध क्या सरकार की नाकामयाबी को नहीं दर्शाते?
प्रदेश में कानून व्यवस्था पहले की अपेक्षा बेहतर ही हुई है। अपराधों पर नियंत्रण हमारे मुख्यमंत्री की प्राथमिकता रही है। पिछली सरकारों की तुलना में अपराधों का ग्राफ काफी घटा है।

निर्भया कांड की तरह उत्तरकाशी की घटना घटी। सरकार ऐसी घटनाओं को रोकने में असफल क्यों रही?
देखिए, ऐसी घटनाएं दुख पहुंचाती हैं। जो कुछ उत्तरकाशी में हुआ वो शर्मनाक एवं निदनीय है। इसे इकतरफा नजर से नहीं देखा जाना चाहिए। सरकार एवं प्रशासन की त्वरित कार्रवाई से अपराधी गिरफ्तार हो गया। कुछ दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को छोड़ दें तो अपराधों पर नियंत्रण किया गया है।

दो मंत्री पद अभी तक खाली हैं। सरकार दायित्व भी नहीं बांट पाई है। इन पदों को भरने में संकोच क्यों कर रही है?
ये प्रश्न मुझसे पूछना गलत है। मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है कि वे इन पदों को कब भरते हैं। जब उन्हें उचित लगेगा, वे मंत्रिमंडल के खाली पद भी भरेंगे और दायित्व भी बांटेंगे।

पार्टी में प्रदेश स्तर पर गुटबाजी की खबरें आम हैं? जो अटल जी के अस्थि विसर्जन के समय हरिद्वार में साफ तौर पर देखने को मिली थी। राष्ट्रीय नेतृत्व इसे खत्म करने के लिए क्या कर रहा है?
गुटबाजी या असंतोष की परिकल्पना मीडिया जनित है। पार्टी में किसी भी स्तर पर नाराजगी या असंतोष की बातें महज अफवाह है, जिनमें कोई सच्चाई नहीं है। हरिद्वार में अटल जी के अस्थि विसर्जन के समय तो मैं स्वयं वहां मौजूद था। कहीं कोई गुटबाजी नहीं थी।

राफेल डील पर राहुल गांधी केंद्र सरकार खासकर प्रट्टानमंत्री नरेंद्र मोदी को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं?
कांग्रेसी विशेष रूप से रक्षा जैसे मुद्दे पर संवेदनहीनता दिखा रहे हैं। रक्षा जैसे मुद्दे पर उनका व्यवहार बचकाना है। उनका ये व्यवहार दिखाता है कि देश की सुरक्षा से उनका कोई वास्ता नहीं है। राफेल सौदा रक्षा सौदों में सबसे पारदर्शी सौदा है। कांग्रेस पर तो एक कहावत सही बैठती है। ‘जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखे तिन तैसी।’ जैसे वो स्वयं थे वैसी ही छवि दूसरों में भी देखते हैं। रक्षा सौदों में दलाली का कांग्रेस का लंबा इतिहास रहा है। आजादी के बाद से जीप घोटाला, पनडुब्बी घोटाला, बोफोर्स घोटाला, अगस्ता वेस्टलैंड घोटालों से कांग्रेस का दामन रंगा है। ये हर डील में कमीशन देखते हैं। राफेल रक्षा सौदा तो यूपीए सरकार में हो जाना चाहिए था। लगता है कांग्रेस इसमें भी कमीशन के इंतजार में रही और डील नहीं कर पाई। आज जब मोदी जी के आने के बाद एक साफ-सुथरा रक्षा सौदा हुआ है तो राफेल डील पर उनका दुष्प्रचार भर है। रक्षा मंत्री स्थिति स्पष्ट कर चुकी हैं तो प्रधानमंत्री से जवाब की अपेक्षा क्यों?

गोरक्षक और मॉब लिचिंग जैसी घटनाओं ने मोदी सरकार की छवि पर खासा असर डाला है। इस पर नियंत्रण क्यों नहीं हो पा रहा है?
गोरक्षक और मॉब लिचिंग जैसी घटनाएं कांग्रेस की फैलाई भ्रांति है और जनता कांग्रेस के ट्रेप में फंस रही है। विश्लेषण करें तो कांग्रेस के शासनकाल में ऐसी घटनाएं ज्यादा हुई। अगर कहीं पर ऐसा हुआ भी है तो इसमें सरकारों ने कार्रवाई की है। और फिर राज्यों में घटी घटनाओं का केंद्र से क्या वास्ता? प्रधानमंत्री जी ने तो इन घटनाओं पर चेतावनी भी दी थी।

उत्तराखण्ड में मोदी जी के ड्रीम प्रोजेक्ट पर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं। केंद्र सरकार इस पर निगरानी क्यों नहीं कर रही है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन पर स्वयं निगरानी रख रहे है। केदारनाथ पुनर्निर्माण हो या ऑल वेदर रोड वो इसकी निरंतर प्रगति की जानकारी लेकर समीक्षा करते हैं। केंद्र के पैसे का सदुपयेग हो, इसके लिए राज्य सरकार भी निरंतर समीक्षा करती रहती है।

एनडीए का कुनबा घट रहा है। ऐसे में आप 2019 में विजय पताका कैसे फहराएंगे?
आपका ये कहना सही नहीं हैं। आप शायद तेलगू देशम पार्टी की बात कह रहे हैं। अगर वो एनडीए से अलग हुए हैं तो आप ये भी देखिए कि बहुत से नये साथी जुड़े हैं। पूर्वोत्तर में असम, मेघालय, नागालैंड, त्रिपुरा, अरूणाचल में हमारे साथ नये दल जुड़े हैं। एनडीए का कुनबा घटा नहीं बढ़ ही रहा है।

10 करोड़ से अधिक कार्यकर्ताओं की पार्टी होने का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी में प्रट्टानमंत्री मोदी का कद पार्टी से बड़ा हो गया है। मोदी ब्रांड ने विश्व के सबसे बड़े राजनीतिक दल को ओवरशैडो कर दिया है। कितना सहमत हैं आप?
ये हमारे लिए गौरव की बात है कि मोदी जी जैसे व्यक्ति हमारे दल के नेता हैं। इनका विशाल व्यक्तित्व भारत ही नहीं विश्व में प्रतिष्ठा पा रहा है। पार्टी की अपनी नीतियां वही हैं। आज जिस शीर्ष स्थान पर वे हैं, उन्होंने संघर्षों से पाया है। हम कांग्रेस नहीं है जहां एक परिवार ही पार्टी है। उसका शीर्ष पद उस परिवार का व्यक्ति ही पा सकता है। उनको पता है कि उनका अध्यक्ष कौन होगा। विपक्षी दल के नेता अपना कद मोदी जी के अनुरूप बढ़ा नहीं पाए तो इसमें भाजपा का कोई दोष नहीं।

1990 से चुनावों को कवर कर रहे एक विश्लेषक का कहना है कि 2014 में जहां मोदी जी 99 फीसदी भाजपा की जीत की गारंटी थे, वो प्रतिशत आज 50-50 हो गया है। कितना सहमत हैं?
विश्लेषकों के अपने आकलन हो सकते हैं। मोदी जी के कद का नेता विपक्ष में कहां? हमें 2014 में 13 करोड़ मत मिले थे। उज्जवला योजना जिसने चूल्हें में खाना बनाने वाली गरीब महिला को धुएं से मुक्ति दिला दी, इससे करोड़ों महिलाएं लाभान्वित हुई हैं। हर घर बिजली की योजना ने करोड़ों लोगों को अंधकार से मुक्ति दिला दी। शौचालयों का वृहद स्तर पर निर्माण हो रहा है। स्वच्छता अभियान, न्यूनतम समर्थन मूल्य में डेढ़ गुना वृद्धि जैसे कार्यों को हमारी सरकार ने धरातल पर उतारा है। इनसे लाभान्वित लोगों में हमारा समर्थन और बढ़ा है। इसलिए जमीनी हककीत तो हमारे अनुकूल है।

राजनीतिक दल नीतियों पर कम व्यक्तियों पर ज्यादा निर्भर हो गए हैं। क्या ये व्यक्ति आधारित राजनीति लोकतंत्र के लिए घातक नहीं हैं?
हम मोदी जी के कुशल नेतृत्व एवं नीतियों के साथ ही चुनाव में जाएंगे। अपने साढ़े चार साल की उपलब्धियों के साथ जनता के बीच जाएंगे।

आज जिस प्रकार माहौल बन रहा है उससे खतरा है कि जनता से जुड़े मूल मुद्दे पार्श्व में चले जाएंगे और भावनात्मक मुद्दों को उभार कर चुनाव लड़ा जाएगा। कितने सहमत हैं?
ये सोचना गलत है कि चुनाव भावनात्मक मुद्दों पर लड़े जाएंगे। जनता अंततोगत्वा कार्य के नाम पर ही अपना समर्थन देती है। जनता ये भलीभांति जानती है कि हमने पिछले साढ़े चार सालों में जनता के हितों के लिए क्या-क्या किया?

बहुत से लोग भविष्य में आपको राज्य में भाजपा का चेहरा देखते हैं। क्या भविष्य में कभी आप भाजपा सरकार का नेतृत्व करते दिखेंगे?
पार्टी ने मुझे बहुत कुछ दिया है। कम उम्र में ही मुझे राज्यसभा में पहुंचा दिया। मेरा पूरा ध्यान अपने राज्यसभा के 6 साल के कार्यकाल पर है। शपथ लेते ही मैंने अपनी प्राथमिकताएं तय कर दी थीं। मैंने कुछ लक्ष्य तय किए हैं। पहले साल के लिए 7 लक्ष्य तय किए हैं। सांसद विकास निधि से 3-4 अस्पतालों में आईसीयू की स्थापना। दूसरा मेरा काम उत्तराखण्ड में एनडीआरएफ की बटालियन की स्थापना है। नैनी-दून जनशताब्दी ट्रेन का संचालन मेरे प्रयासों से शुरू हो गया है। हर वर्ष निश्चित लक्ष्यों को लेकर चलने का मेरा प्रयास है।

अभी राहुल गांधी ने अपने विदेशी दौरों पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को निशाने पर लेते हुए उसकी तुलना ‘मुस्लिम ब्रदरहुड’ संगठन से कर डाली। इन वक्तव्यों को किस रूप में देखते हैं?
मेरी नजर में राहुल गांधी एक अबोध बालक की तरह हैं। जिनका वास्तविकताओं से कोई वास्ता नहीं है। वे वही बोलते हैं जो उनके स्क्रिप्ट राइटर उनको लिख कर देते हैं। आरएसएस महिलाओं को दोयम दर्जे का मानता है जैसा उनका वक्तव्य उनकी अपरिपक्वता को दर्शाता है। भारत में महिलाओं का दर्जा अव्वल रहा है। यहां तो नारी को देवी के रूप में पूजा जाता है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक जैसे संगठन की तुलना मुस्लिम ब्रदरहुड से करना उनकी और कांग्रेस की वास्तविक मनःस्थिति को दर्शाता है। विरोध के नाम पर इस हद तक जाना समझ से परे है। आरएसएस देश भक्ति की प्रेरणा देता है, आतंकवाद की नहीं। अपनी महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए क्या आप भारत को आतंकवाद का अड्डा साबित करना चाहते हैं ये निंदनीय है। ऐसे वक्तव्यों से भारत की छवि विदेशों में खराब करने की उनकी मंशा पर संदेह होता है।

भाजपा ने तीन तलाक जैसे मुद्दों को मजबूती से उठाया है। फिर भी मुस्लिम विरोधी होने का आरोप कहां तक उचित है?
‘सबका साथ सबका विकास’ हमारा मोटो है। जो हम पर मुस्लिम होने का आरोप लगाते हैं। उन्होंने तुष्टिकरण की नीति अपनाकर आम मुस्लिम का अहित ही किया है। ये कांग्रेस द्वारा फैलाया गया भ्रम है। हम चाहते हैं कि मुस्लिम महिलाओं को न्याय मिले। ये विपक्ष ही है। जिसने तीन तलाक विधेयक को पारित करने में अडंगा लगाया है। वे तो स्वयं ही मुस्लिम एवं महिला विरोधी हैं।

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