सियासत में अहम मुद्दा बना रहा राफेल विमान अब जल्दी ही भारतीय सेना में शामिल होने जा रहा है।लड़ाकू विमान राफेल की पहली खेप आज अंबाला एयरबेस पर पहुंचेगी , इस मौके पर वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया विमानों को रिसीव करेंगे। साथ ही वह पायलटों से भी मुलाकात करेंगे। फ्रांस से आ रहे 5 राफेल विमान फिलहाल यूएई के एयरबेस पर मौजूद हैं। जो सुबह करीब 11 बजे यूएई से भारत के लिए उड़ान भरेंगे।
राफेल डील से फिर सियासी घमासान
अंबाला एयरबेस पर विमानों की लैंडिंग से पहले स्टेशन के आस-पास सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। एयर फोर्स के आस-पास धारा 144 लगा दी गई है। साथ ही फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी पर भी प्रतिबंध है। अंबाला में मौसम खराब होने की स्थिति में बैकअप प्लान भी तैयार किया गया है। सूत्रों के मुताबिक अंबाला में अगर मौसम की समस्या आती है, तो राफेल विमान अंबाला एयरबेस की जगह जोधपुर एयरबेस पर लैंडिंग करेंगे। इसके लिए जोधपुर एयरबेस को बैकअप बेस के तौर पर तैयार कर लिया गया है।
दूसरी तरफ अंबाला से सटे चार गांवों में धारा 144 लागू कर दी गई है।अंबाला एयरबेस के तीन किलोमीटर के दायरे को नो ड्रोन जोन घोषित कर दिया गया है। इस दौरान एयरबेस के तीन किलोमीटर के दायरे में ड्रोन या अन्य किसी तरह की उड़ान पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी गई है।
गौरतलब है कि भारत ने सितंबर 2016 में फ़्रांस के साथ 36 राफेल लड़ाकू विमानों की डील की थी। यह डील लगभग 59 हजार करोड़ रुपये की थी। जिसकी पहली खेप आज भारत को मिल जाएगी। जिसके बाद जल्दी से कमेंट ऑपरेशन और meteor मिसाइल भारत के लिए रवाना कर दिया है। इन राफेल विमानों में हवा से हवा में 150 किलोमीटर तक की रेंज के वार करने वाली मिसाइल लगी है।
राफेल का जिन्न और सुप्रीम कोर्ट
ये विमान अपने पूरे पैकेज के साथ पहुंचेंगे और जल्द ही इन्हें चालू कर दिया जाएगा। इन विमानों के आने से भारतीय वायुसेना को और ताकत मिलेगी। राफेल विमानों को भारत लाने के लिए एक स्टॉफ का इस्तेमाल किया गया था । फ़्रांस से उड़ान भरने के बाद कल 28 जुलाई को यूएई के अल डाफरा एयरबेस पर पहुंचे ।उसके बाद आज 29 जुलाई को दोपहर लगभग 2 बजे हरियाणा के अम्बाला स्तिथ एयर फ़ोर्स स्टेशन पर लैंड करेंगे।
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ये विमान 7364 किलोमीटर की हवाई दूरी तय करके भारत के अंबाला एयरबेस पहुंचेंगे । खास बात ये है कि भारतीय वायुसेना के फाइटर पायलट खुद इन विमानों को उड़ाकर भारत ला रहे हैं।यानी भारत के पायलट इन्हें उड़ाने में पहले ही प्रशिक्षित हैं। ऐसे में बहुत संभावना है कि ये लड़ाकू विमान हफ्ते भर के अंदर ही ऑपरेशन के लिए तैयार हो सकते हैं। पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच तनाव को देखते हुए भी यह जरुरी समझा जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक दिल्ली में पिछले हफ्ते वायुसेना के कमांडर्स की बैठक में राफेल को लद्दाख में तैनात करने पर भी चर्चा हुई थी।