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राफेल, राष्ट्रवाद और राम मंदिर ही मुद्दे

कांग्रेस-भाजपा जिस तरह राफेल, राष्ट्रवाद और राम मंदिर पर ही फोकस किए हुए हैं उससे तो यही लगता है कि आगामी लोकसभा चुनाव में जनहित के अहम बुनियादी मुद्दे हाशिए पर चले जाएंगे

देश के मौजूदा सियासी माहौल को देखते हुए ऐसा लगता है कि आगामी लोकसभा चुनाव में राफेल, राष्ट्रवाद और राम मंदिर ही मुख्य मुद्दे बनने जा रहे हैं। हालांकि क्षेत्रीय दलों के लिए अपनी अस्मिता और जरूरत के हिसाब से अन्य मुद्दे भी हो सकते हैं, लेकिन कांग्रेस और भाजपा जैसी बड़ी पार्टियों की राजनीति राफेल, राष्ट्रवाद या राम मंदिर पर ही फोकस दिखाई दे रही है। ऐसे में आम जनता के हित से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दों के हाशिए पर चले जाने की आशंका है। चुनाव से ठीक पहले पुलवामा में आतंकवादी हमले के बाद देश के भीतर राष्ट्रवाद की भावनाओं का जो जन ज्वार उमड़ा उसे पक्ष से लेकर विपक्ष तक सभी अपने-अपने हिसाब से भुनाने की कोशिश में हैं।

जानकारों के मुताबिक देश की लगभग सभी सीटों पर राष्ट्रवाद की भावना प्रभावी रहेगी। लिहाजा सत्तारुढ़ भाजपा की ओर से बालाकोट में आतंकी ठिकानों पर हुई एअर स्ट्राइक को मोदी सरकार के पराक्रम के तौर पर परिभाषित किया जा रहा है। भाजपा को कहीं इसका चुनावी लाभ न मिल जाए, इसलिए विपक्ष की ओर से सबूत मांगा जा रहा है कि एअर स्ट्राइक में आतंकी मारे भी गए या नहीं और मारे गए तो कितने? विपक्ष निरंतर सबूत मांगने पर अड़ा हुआ है, जबकि भाजपा पलटवार कर कह रही है कि सबूत मांगने वाले पाकिस्तान जैसी भाषा बोल रहे हैं।

भाजपा की पूरी कोशिश यह संदेश देने में है कि मोदी के मजबूत हाथों में ही देश सुरक्षित है, तो कांग्रेस लगातार राफेल मुद्दे पर सरकार को घेरती आ रही है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से लेकर पार्टी के तमाम प्रवक्ता निरंतर एक सुर में बोलते आ रहे हैं कि राफेल सौदे में बड़े स्तर पर घपला हुआ और इसमें सीधे-सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हैं। कांग्रेस का आरोप है कि यूपीए सरकार द्वारा जो राफेल सौदा किया गया था, एनडीए सरकार में उसकी कीमत और बढ़ गई। यानी जब मोदी एयर क्राफ्ट खरीदते हैं तो कीमत कई गुना बढ़ जाती है। कांग्रेस के मुताबिक इंडियन नेगोशिएशन टीम ने माना कि 36 जहाज की कीमत में ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी शिमल नहीं हैं। पिछले कई माह से लेकर चुनाव के पहले तक कांग्रेस जिस तरह राफेल पर फोकस किए हुए है, उससे साफ है कि वह चुनाव में इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाएगी। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी तो यहां तक कह रहे हैं कि इसमें प्रधानमंत्री के खिलाफ केस होना चाहिए।

राम मंदिर का मुद्दा भी पिछले कई महीनों से खासकर अर्धकुंभ के शुरू होने पर चर्चा का विषय रहा है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सभी पक्षकारों को मध्यस्थता के लिए नाम देने को कहा है। इससे यह विषय फिर आम चर्चा में है कि पक्षकार मध्यस्थता को लेकर कोई राय बना सकेंगे या फिर कोर्ट से ही अंतिम निर्णय होगा। बहरहाल हिंदू महासभा ने कहा है कि जनता मध्यस्थता के फैसले को नहीं मानेगी। जाहिर है कि मंदिर का मुद्दा चुनाव में प्रमुखता से उठता रहेगा। माना जा रहा है कि भाजपा मंदिर को लेकर जन भावनाओं का राजनीतिक लाभ उठाना चाहेगी, तो कांग्रेस और विपक्षी दल उसे इस बात के लिए घेरेंगे कि मंदिर के लिए भाजपा की कोशिश कभी भी ईमानदार नहीं रही है। वह सिर्फ इस मुद्दे पर लोगों को गुमराह करती रही है।

दिक्कत यह है कि राफेल, राष्ट्रवाद और राम मंदिर के शोर में दशकों से आम चुनाव में प्रमुखता से उठाए जाते रहे गरीबी बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे तमाम बुनियादी मुद्दों के हाशिए पर चले जाने की प्रबल आशंका है। यह सच है कि गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनावों के समय और उसके कुछ समय बाद भी कांग्रेस ने किसानों की ऋण माफी का मुद्दा जोर-शोर से उठाया, लेकिन लगता है कि अब उसका फोकस इस पर नहीं है। कारण कि जिन राज्यों में उसने ऋण माफी की वहां के किसानों की ओर से कोई खास संतोषजनक उत्साह नहीं दिखाया गया है। लिहाजा अभी कांग्रेस का जोर राफेल और इस बात पर दिखाई दे रहा है कि सरकार एयर स्ट्राइक के सबूत पेश करे। उसकी कोशिश है कि राष्ट्रवाद की बात करने वाली भाजपा देश की अकेली पार्टी नहीं है। सभी विपक्षी दलों को चिंता है कि यदि जवानों की शहादत का बदला लिया गया तो देश को एअर स्ट्राइक में मारे गए आतंकियों की वास्तविक संख्या से अवगत कराया जाए। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने 250 आतंकियों के मारे जाने की जो बात कही है उस पर कांग्रेस सवाल उठा रही है कि आखिर ये आंकड़े आए कहां से? इस पर भाजपा का तर्क है कि सबूत मांगने वालां को देश की वायु सेना पर भी भरोसा नहीं है।

भाजपा और विपक्ष के बीच सवाल-जवाब और आरोप-प्रत्यारोप का जो सिलसिला चल रहा है, उससे साफ है कि आगामी चुनाव में जनहित के बहुत से बुनियादी मुद्दे गौण हो सकते हैं। इन मुद्दों का गौण हो जाना आम जनता के लिए काफी नुकसानदायक साबित होगा।

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