रेडियो सुनने वाले तमाम श्रोता जिस एक नाम को कभी नहीं भूल पाएंगे, वो नाम है अमीन सयानी का। जिनका हृदय गति रुकने से निधन हो गया है
रेडियो पर अपनी आवाज से करोड़ो दिलों पर राज करने वाले अमीन सयानी का हार्ट अटैक से निट्टान हो गया है। जो लोग रेडियो को सुनना पसंद करते हैं वो एक बार मुकेश, रफी, महेंदर कपूर या लता जी की आवाज पहचानने में गलती कर सकते हैं लेकिन अमीन सयानी की आवाज पहचानना सबसे आसान था। रेडियो पर उनका चर्चित ‘बिनाका गीतमाला’ शो बहुत ही फेमस था। वे कार्यक्रम की शुरुआत ‘जी हां बहनो और भाइयो, मैं हूं आपका दोस्त अमीन सयानी और आप सुन रहे हैं बिनाका गीतमाला’ इसी संबोट्टान से किया करते थे। उनकी आवाज ही उनकी पहचान थी। आज एक गोल्डन एरा का अंत जरूर हुआ लेकिन उनकी आवाज हमेशा उनके प्रशंसकों के दिलों में गूंजत रहेगी।
अमीन सयानी का जन्म 21 दिसंबर 1932 में मुंबई में हुआ था। रेडियो की दुनिया से रूबरू उन्हें उनके भाई हामिद सयानी ने कराया था। करियर के शुरुआती में 10 सालों तक उन्होंने अंग्रेजी प्रोग्राम्स ही किए। बाद में उन्होंने हिंदी प्रोग्राम का रुख किया। जिसके बाद उनका हिंदी का सबसे हिट शो’ बिनाका गीतमाला’ की शुरुआत हुई। यह कार्यक्रम वर्ष 1952 में शुरू हुआ था और 1986 में इस कार्यक्रम का नाम बदलकर ‘सिबाका गीतमाला’ कर दिया गया। लगभग 42 वर्षों तक उनका यह प्रोग्राम चलता रहा। लेकिन जब ट्टारे-ट्टारे रेडियो की डिमांड कम होती गई तो उनका यह कार्यक्रम बंद हो गया।
ये अमीन सयानी की आवाज का जादू ही था वो जिस तरह से श्रोताओं को संबोट्टित करते थे ‘बहनों और भाइयों में आपका अमीन सयानी बोल रहा हूं’ उससे उनकी लोकप्रियता में काफी उछाल आया था। उनको सुनने वाले श्रोता अपनी पसंद का गाना बजाने के लिए वोट करते थे और वोटिंग के आट्टार पर गाने चलाए जाते थे। उनकी आवाज ने रेडियो की ‘लोकप्रियता’ में उछाल ला दिया था। श्रोताओं को रेडियो की और खीचने के लिए रेडियो कार्यक्रम में कई तरह के प्रयोग भी किए इसके लिए उन्होंने गुलजार साहब को अपने कार्यक्रम में आने का निमंत्रण दिया क्योंकि गुलजार साहब भी ऐसी शख्सियत हैं जिनकी कलम के साथ-साथ उनकी आवाज के मुरीद लोगों की संख्या लाखों में है। कार्यक्रम ‘बिनाका गीतमाला’ के दौरान गुलजार साहब से बातचीत करना लोगों को काफी पसंद आया। इस दौरान गुलजार साहब किसी गाने के लिखे जाने की पृष्ठभूमि बताते थे। सुनने वालों के लिए ये कमाल का अनुभव था। उनके सभी कार्यक्रम हिट जाने लगे थे। उस समय रेडियो पर अमीन सयानी के बोलने का अंदाज ऐसा था कि कई कलाकारों ने उनके बोलने के अंदाज को कॉपी करने की कोशिश की लेकिन वो इसमें सफल नहीं हो सके।
अपने लंबे करियर के दौरान अमीन सयानी ने 54 हजार रेडियो कार्यक्रम किए हैं। इन कार्यक्रमों के दौरान वो कई बॉलीवुड सितारों के संपर्क में भी रहे। उनके मुकेश, राज कपूर से अच्छे संबंट्टा थे और किशोर संग अच्छी बॉन्डिंग भी थी। इसके आलावा उन्होंने ‘वो तीन देवियां’, ‘भूत बंगला’, ‘कत्ल और बॉक्सर’ जैसी फिल्मों में अभिनय किया है।
अमिताभ बच्चन और अमीन सयानी
अमिताभ बच्चन और अमीन अपनी-अपनी आवाज को लेकर विख्यात हैं। दोनों ने ही अपनी बुलंद आवाज से करोड़ों लोगों का दिल जीता है। दोनों ही स्टार्स अपने जीवन में घटित एक किस्से का जिक्र करते हैं। जब अमिताभ बच्चन अभिनेता बनने से पहले रेडियो अनाउंसर बनने के लिए वो कोलकाता से मुंबई ऑडिशन में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे थे तो अमीन सयानी ने अमिताभ बच्चन को रिजेक्ट कर दिया था। तब अमीन सयानी ने कहा था कि उनकी आवाज में कई कमियां हैं। इसलिए उनको रिजेक्ट कर दिया गया था। अमिताभ बच्चन के लिए ये मुश्किलों भरा दौर था। एक अभिनेता के तौर पर प्रोड्यूसर ने जिसकी तस्वीर खारिज कर दी थी, बतौर अनाउंसर उनकी आवाज भी रिजेक्ट कर दी गई थी। बाद में अमिताभ बच्चन अमीन सयानी से मिलने जा पहुंचे। लेकिन उस समय अमीन सयानी का रुतवा किसी सुपरस्टार से कम नहीं था। लगातार कई शोज में संलग्न होने के चलते उनकी बहुत ज्यादा व्यस्तता रहती थी जिसकी वजह से वो अमीन सयानी से नहीं मिल सके। हालांकि कुछ ही वर्षों बाद जब अमिताभ बच्चन को सयानी ने स्क्रीन पर देखा और पता चला कि पतला, दुबला और लंबी काया वाला ये लड़का उनसे मिल चुका है तो उन्हें ऑडिशन को रिजेक्ट करने समेत टाइम नहीं देने का सारा वाकया याद आ गया। इस दौरान उन्होंने अमिताभ को स्कीन पर देख-सुन कर शुभकामनाएं दी और कहा कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को भविष्य का एक प्रतिभाशाली कलाकार मिल गया है।
इसके बाद एक सार्वजनिक कार्यक्रम में जब दोनों की मुलाकात हुई तब सयानी ने कहा कि अच्छा हुआ जो मैंने अमिताभ बच्चन को ऑडिशन में रिजेक्ट कर दिया था। इससे दो फायदे हुए- एक तो रेडियो में मेरी नौकरी बच गई। दूसरा सबसे बड़ा नुकसान बॉलीवुड को होता। भारतीय फिल्म इंडस्ट्री को इतना बड़ा सितारा नहीं मिलता। अमीन सयानी की इन बातों पर अमिताभ बच्चन कहते हैं- उनके जैसा रेडियो प्रस्तोता और कोई नहीं। उनकी आवाज में उच्चारण की शुद्धता और स्पष्टता कमाल की है। अपनी प्रस्तुति में वो बोलचाल के ऐसे मुहावरों का इस्तेमाल किया करते थे कि सुनने वाले मंत्रमुग्ट्टा हो जाते थे और यही वजह है कि हर पीढ़ी के उनके प्रशंसक हैं।
सयानी की आवाज सुन लोग भूल जाते थे गम
जिस समय अमीन सयानी ने रेडियो का दामन था, उस समय देश में कई तरह की समस्याएं थीं। वर्ष 1947 में भारत और पाकिस्तान के बीच खींची गई लकीर ने जैसे आत्मा और शरीर को जुदा कर दिया था। ऐसे में रेडियो पर अमीन सयानी गीतों की माला पिरोके, लोगों के गम और थकान को दूर करने का काम कर रहे थे।
देश के पहले रेडियो जॉकी
अमीन सयानी देश के पहले रेडियो जॉकी माने जाते हैं। बतौर करियर आज भी ये युवाओं में खासा लोकप्रिय हैं। रेडियो में करियर बनाने वालों के लिए सयानी किसी विश्वविद्यालय से कम नहीं हैं। आवाज की दुनिया में नाम कमाने वाला शायद ही कोई शख्स हो जिसने अमीन की आवाज और शैली का अट्टययन न किया हो।
दशकों तक चलने वाला कार्यक्रम
‘बिनाका गीतमाला’ रेडियो जगत में सबसे लंबा चलने वाला कार्यक्रम है। ये 1952 से 1994 तक रेडियो पर प्रसारित किया गया। रेडियो पर उनकी आवाज का जादू 50 वर्षों तक रहा, यही कारण है उन्हें आट्टा सदी की आवाज भी कहा जाता है। रेडियो के लिए दिए गए उनके योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया था।
गौरतलब है कि 23 जुलाई 1927 में मुंबई और कोलकाता से भारत में रेडिया प्रसारण का अगाज हुआ। शुरुआत में इसे इंडियन स्टेट ब्रॉड कास्टिंग सर्विस कहा जाता था। 1930 में रेडियो का राष्ट्रीयकरण हुआ। फिर 1956 में ऑल इंडिया रेडियो को आकाशवाणी नाम दिया गया। देश में फिल्म और कलाकारों को लेकर दीवानगी बढ़ने लगी थी। उस समय फिल्मी गीतों के सुनने के लिए रेडियो सिलोन को ही ट्यून करते थे। वजह थी, उस दौर में आकाशवाणी ने फिल्मी गीतों पर प्रतिबंट्टा लगा रखा था। इसके पीछे तर्क था कि इससे युवा पीढ़ी पर गलत प्रभाव पड़ सकता है लेकिन कुछ समय बाद ‘आकाशवाणी’ को अपनी इस गलती का अहसास हुआ और 3 अक्टूबर 1957 को ‘विविट्टा भारती’ का प्रसारण हुआ जहां पर फिल्मी गीत सुनवाये जाते थे।
मगर इससे पहले अमीन सयानी ‘रेडियो सिलोन’ पर बिनाका गीतमाला कार्यक्रम लेकर आ चुके थे। अमीन सयानी और ‘बिनाका गीतमाला’ एक दूसरे के पर्याय बन चुके थे। बिनाका गीतमाला से अमीन सयानी की ख्याति देश के कोने-कोने में पहुंच चुकी थी। 1952 में पहली बार बिनाका गीतमाला कार्यक्रम ऑन इयर हुआ, और अपने पहले ही प्रसारण से इसने लोकप्रियता के कीर्तिमान रचने शुरू कर दिये थे। अमीन सयानी ने अपनी आवाज और खास शैली से इसे लोगों के बीच इस कदर लोकप्रिय बना दिया था कि लोग सब कुछ छोड़कर रेडियो के समाने बैठ जाते थे। इस लोकप्रिय कार्यक्रम को बाद ‘सिबाका गीतमाला’ और ‘कोलगेट गीतमाला’ के नाम से प्रसारित किया गया था।
इन पुरस्कारों से सम्मानित हुए थे सयानी
1. सर्वप्रथम उन्हें 1991 में इंडियन सोसाइटी ऑफ एडवटाईजमेंट द्वारा गोल्ड मेडल दिया गया ।
2. 1992 में लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने पर्सन ऑफ द ईयर का अवॉर्ड दिया।
3. इसके बाद 1993 में इंडियन अकेडमी एडवरटाइजिंग फिल्म आर्ट से नवाजा गया।
4. वर्ष 2003 में कॉन हॉल ऑफ फेम रेडियो मिर्ची की तरफ से दिया गया।
5. लूप फेडरेशन ऑफ आईसीसी द्वारा 2006 में लिविंग लीजेंड अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था।
6. हिंदी भवन नई दिल्ली ने 2007 में सयानी को हिंदी रत्न पुरस्कार दिया था।
7. वर्ष 2009 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री दिया।